Laxmi Chalisa in Hindi PDF- लक्ष्मी चालीसा

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Laxmi Chalisa in Hindi PDF- लक्ष्मी चालीसा

Laxmi Chalisa-परिचय

सनातन धर्म में माता लक्ष्मी को धन, वैभव और सम्पत्ति की देवी के रूप में जाना जाता है। दुनियाभर में भक्त माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए माता की आरती और चालीसा का पाठ करते है। माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की धर्म पत्नी हैं, माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ वैकुण्ठ धाम में वास करती हैं। जो भी भक्त भगवान विष्णु की सच्चे मन से पूजा-पाठ करते है, माता लक्ष्मी उनकी हर मनोकामना पूर्ण करती है। सनातन धर्म में दीपाली पर्व को बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। ऐसे में दीपवाली के खास अवसर पर भक्त माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा-पाठ करते है। दीपवाली की शुरुआत धनतेरस से शुरू होती है, और भाई दूज के साथ खत्म हो जाती है। ऐसे में इतने दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश अपने भक्तों के यहा वास करते है। ऐसे में भक्त माता लक्ष्मी और भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए धूम-धाम से उनकी स्थापना करते है। कहते हैं कि इस दौरान यदि विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा की जाए तो घर में सुख-समृद्धि और धन-दौलत की कमी नहीं रहती है। लेकिन क्या आप जानते हैं दिवाली के दिन आखिर मां लक्ष्मी का पूजन क्यों किया जाता है?

जानिए क्यों होती है दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी की पूजा

सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार दिवाली के पांच दिनों में ही देवताओं और असुरों द्वारा किया गये समुंद्रमंथन से माता लक्ष्मी उत्पन्न हुई थी। इसी कारण दिवाली को माता लक्ष्मी का जन्मदिवस भी माना जाता है। साथ ही यह मान्यता भी है की दिवाली की रात को माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को अपने वर के रूप में चुना था, और उनसे विवाह किया था। इसी दौरान सभी देवी-देवता उनके विवाह में हुए थे। इसी कारण दिवाली के त्यौहार को धूम-धाम से मनाया जाता है, साथ ही माता लक्ष्मी को पूजा-आराधना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं, और जो भी भक्त उस दिन उनकी पूजा करते है, माता उनकी समयस्या का निवारण कर देती है।

दिवाली से जुड़ी अन्य मान्यताएं

मान्यताओं के अनुसार भगवान राम द्वारा रावण का वध और माता सीता को लंका से वापस लाने के बीस दिन बाद दिवाली मनाई गई थी। इसके बाद ही भगवान राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ चौदह वर्ष का वनवास काटकर वापस अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत के लिए पूरा अयोध्या शहर सजाया गया था। भगवान राम और माता सीता के वापस अयोध्या लौटने की खुशी में अयोध्या वासियों ने उस दिन अयोध्या को दीपकों की रौशनी से जग-मग कर दिया था।

Laxmi Chalisa in Hindi

दोहा॥

 

जय जय श्री महालक्ष्मी

करूँ माता तव ध्यान

सिद्ध काज मम किजिये

निज शिशु सेवक जान

 

चौपाई

 

नमो महा लक्ष्मी जय माता ,

तेरो नाम जगत विख्याता

आदि शक्ति हो माता भवानी,

पूजत सब नर मुनि ज्ञानी

जगत पालिनी सब सुख करनी,

निज जनहित भण्डारण भरनी

श्वेत कमल दल पर तव आसन ,

मात सुशोभित है पद्मासन

श्वेताम्बर अरू श्वेता भूषणश्वेतही श्वेत सुसज्जित पुष्पन

शीश छत्र अति रूप विशाला,

गल सोहे मुक्तन की माला

सुंदर सोहे कुंचित केशा,

विमल नयन अरु अनुपम भेषा

कमल नयन समभुज तव चारि ,

सुरनर मुनिजनहित सुखकारी

अद्भूत छटा मात तव बानी,

सकल विश्व की हो सुखखानी

शांतिस्वभाव मृदुलतव भवानी ,

सकल विश्व की हो सुखखानी

महालक्ष्मी धन्य हो माई,

पंच तत्व में सृष्टि रचाई

जीव चराचर तुम उपजाये ,

पशु पक्षी नर नारी बनाये

क्षितितल अगणित वृक्ष जमाए ,

अमित रंग फल फूल सुहाए

छवि विलोक सुरमुनि नर नारी,

करे सदा तव जय जय कारी

सुरपति और नरपति सब ध्यावें,

तेरे सम्मुख शीश नवायें

चारहु वेदन तब यश गाये,

महिमा अगम पार नहीं पाये

जापर करहु मात तुम दाया ,

सोइ जग में धन्य कहाया

पल में राजाहि रंक बनाओ,

रंक राव कर बिमल न लाओ

जिन घर करहुं मात तुम बासा,

उनका यश हो विश्व प्रकाशा

जो ध्यावै से बहु सुख पावै,

विमुख रहे जो दुख उठावै

महालक्ष्मी जन सुख दाई,

ध्याऊं तुमको शीश नवाई

निज जन जानी मोहीं अपनाओ,

सुख संपत्ति दे दुख नशाओ

ॐ श्री श्री जयसुखकी खानी,

रिद्धि सिद्धि देउ मात जनजानी

ॐ ह्रीं- ॐ ह्रीं सब व्याधिहटाओ,

जनउर विमल दृष्टिदर्शाओ

ॐ क्लीं- ॐ क्लीं शत्रु क्षय कीजै,

जनहीत मात अभय वर दीजै

ॐ जयजयति जय जयजननी,

सकल काज भक्तन के करनी

ॐ नमो-नमो भवनिधि तारणी,

तरणि भंवर से पार उतारिनी

सुनहु मात यह विनय हमारी,

पुरवहु आस करहु अबारी

ऋणी दुखी जो तुमको ध्यावै,

सो प्राणी सुख संपत्ति पावै

रोग ग्रसित जो ध्यावै कोई,

ताकि निर्मल काया होई

विष्णु प्रिया जय जय महारानी,

महिमा अमित ना जाय बखानी

पुत्रहीन जो ध्यान लगावै,

पाये सुत अतिहि हुलसावै

त्राहि त्राहि शरणागत तेरी,

करहु मात अब नेक न देरी

आवहु मात विलंब ना कीजै,

हृदय निवास भक्त वर दीजै

जानूं जप तप का नहीं भेवा,

पार करो अब भवनिधि वन खेवा

विनवों बार बार कर जोरी,

पुरण आशा करहु अब मोरी

जानी दास मम संकट टारौ ,

सकल व्याधि से मोहिं उबारो

जो तव सुरति रहै लव लाई ,

सो जग पावै सुयश बढ़ाई

छायो यश तेरा संसारा ,

पावत शेष शम्भु नहिं पारा

कमल निशदिन शरण तिहारि,

करहु पूरण अभिलाष हमारी

दोहा

 

महालक्ष्मी चालीसा

पढ़ै सुने चित्त लाय

ताहि पदारथ मिलै अब

कहै वेद यश गाय

इति श्री महालक्ष्मी चालीसा

 

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