
बगलामुखी चालीसा एक प्रमुख हिंदू धर्म की पौराणिक प्रार्थना है जो माता बगलामुखी को समर्पित है। यह प्रतिदिन के पूजन में प्रमुखता से प्रयोग की जाती है, संकल्प, स्तोत्र, मंत्र, और समर्पण के संकेतों के साथ। इसे प्रतिदिन के पूर्व-प्रहर (पहले 3 घंटे) में प्रकाशित किया जा सकता है, और इसका पाठ करने से मनोकामना, संकल्प, समस्या समाधान, और मनो-स्पंदन होता है।
हिन्दी में बगलामुखी चालीसा का पाठ करने से हमें माता बगलामुखी की कृपा प्राप्त होती है और हमें संकटों, शत्रुओं, और दुश्मनों से मुक्ति मिलती है। यह प्रार्थना प्रियतम माता के समर्पित होने के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।
हिन्दी में बगलामुखी चालीसा:
1. ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्व-दुस्तानां वाचं मुखं पदं स्तम्n
2. ॐ ह्लीं पक्ष-स्त्रिय-कर-कर्n
3. ॐ ह्लीं क्रोंn
4. ॐ ह्लीं पक्ष-प्रहर-प्रहर्n
5. ॐ ह्लीं पक्ष-वाहिनि-वाहन्n
6. ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्व-दुस्तानां वाचं मुखं पदं स्तम्
हिन्दी में बगलामुखी चालीसा के लाभ:
- मनोकामना प्राप्ति
- संकल्प को सिद्ध करना
- समस्या समाधान
- प्रतिष्ठा, सम्मान, और सौहार्द की प्राप्ति
- मनो-स्पंदन
हिन्दी में बगलामुखी चालीसा के मंत्र:
ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्व-प्रहर-प्रहर, ह्रीं ह्रौं सह:।
ॐ ह्लीं बगले! ह्रीं ह्रों:।
ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्व-दुस्तानां वाचं मुखं पदं स्तम्।
ॐ ह्लीं पक्ष-स्त्रिय-कर-कर्।
बगलामुखी चालीसा क्यों महत्वपूर्ण है?
बगलामुखी चालीसा अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे पढ़ने से हमें माता बगलामुखी की कृपा प्राप्त होती है। यह चालीसा हमें संकल्प, स्तोत्र, और समर्पण की प्रक्रिया को समझने में मदद करती है और हमें माता के प्रति श्रद्धा और भक्ति का आनंद प्राप्त होता है।
माता बगलामुखी को “सिद्धिदात्री” के रूप में पुकारा जाता है, जिसका मतलब होता है ‘सिद्धि’ (सकार) करने वाली। इसलिए, बगलामुखी चालीसा के पाठ से हमें सकार की प्राप्ति में मदद मिलती है। यह चालीसा हमें शक्ति, संकल्प, समर्पण, और स्तोत्र के महत्व को समझने में सहायता करती है और हमें प्राकृतिक शक्तियों के संरक्षण में मदद करती है।
बगलामुखी चालीसा में कौन-कौन से मंत्र प्रयोग होते हैं?
बगलामुखी चालीसा में कुल 40 पंक्तियाँ (मंत्र) होती हैं, जिन्हें प्रमुखत: “ॐ” (ॐ) से प्रारंभ किया जाता है। इन मंत्रों का प्रयोग करके हम माता बगलामुखी की कृपा प्राप्त करते हैं और उनकी सहायता से असंभव से संभव को प्राप्त करने में सक्षम होते हैं।
हर मंत्र में एक विशेष अर्थ और महत्व होता है, जो हमें प्रकृति, देवी, और सिद्धि की प्राप्ति के संबंध में समझने में मदद करता है। इन मंत्रों का प्रारंभिक “ॐ” (ॐ) से प्रारंभ होना, हमें प्रकृति की पुन:स्थापना, स्थिरता, और सुरक्षा की प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है।
कैसे हमें इसे पढ़ने से लाभ मिलता है?
बगलामुखी चालीसा को पढ़ने से हमें विभिन्न प्रकार के लाभ मिलते हैं। इसके पाठ से हमें शक्ति, संकल्प, समर्पण, और स्तोत्र की महत्वपूर्णता को समझने में मदद मिलती है।
हमें इस चालीसा को प्रतिदिन पढ़ना चाहिए, क्योंकि इससे हमें माता बगलामुखी की कृपा प्राप्त होती है, हमें सुरक्षा, संकल्प, समर्पण, और स्तोत्र के महत्व को समझने में मदद मिलती है, और हमें प्राकृतिक शक्तियों के संरक्षण में मदद करती है। इसके पाठ से हमें असंभव से संभव को प्राप्त करने में सक्षम होते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।
क्या इसमें संकल्प, स्तोत्र, और समर्पण की प्रक्रिया होती है?
हाँ, बगलामुखी चालीसा में संकल्प, स्तोत्र, और समर्पण की प्रक्रिया होती है।
संकल्प:
संकल्प का मतलब होता है ‘संकल्पना’ (प्रतिज्ञा) करना। इस प्रक्रिया में हम माता बगलामुखी के प्रति श्रद्धा, आस्था, और पुन:स्थापना की प्रतिज्ञा करते हैं। हम इसे मन में संकल्प करके चालीसा का पाठ शुरू करते हैं।
स्तोत्र:
स्तोत्र का मतलब होता है ‘स्तुति’ (प्रशंसा) करना। इस प्रक्रिया में हम माता बगलामुखी की महिमा, गुण, और साधनाओं की प्रशंसा करते हैं।
समर्पण:
समर्पण का मतलब होता है ‘प्रेषित’ (dedicate) करना। इस प्रक्रिया में हम अपने सम्पूर्ण संकल्प, स्तोत्र, और पुन:स्थापनाएं माता बगलामुखी को समर्पित करते हैं, जिससे हमें उनकी कृपा प्राप्त होती है।
Baglamukhi Chalisa in Hindi
दोहा II
नमो महाविधा बरदा, बगलामुखी दयाल I
स्तम्भन क्षण में करे, सुमरित अरिकुल काल II
II चौपाई II
नमो नमो पीताम्बरा भवानी I
बगलामुखी नमो कल्यानी II (1)
भक्त वत्सला शत्रु नशानी I
नमो महाविधा वरदानी II (2)
अमृत सागर बीच तुम्हारा I
रत्न जड़ित मणि मंडित प्यारा II (3)
स्वर्ण सिंहासन पर आसीना I
पीताम्बर अति दिव्य नवीना II (4)
स्वर्णभूषण सुन्दर धारे I
सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे II (5)
तीन नेत्र दो भुजा मृणाला I
धारे मुद्गर पाश कराला II (6)
भैरव करे सदा सेवकाई I
सिद्ध काम सब विघ्न नसाई II (7)
तुम हताश का निपट सहारा I
करे अकिंचन अरिकल धारा II (8)
तुम काली तारा भुवनेशी I
त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी II (9)
छिन्नभाल धूमा मातंगी I
गायत्री तुम बगला रंगी II (10)
सकल शक्तियाँ तुम में साजें I
ह्रीं बीज के बीज बिराजे II (11)
दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन I
मारण वशीकरण सम्मोहन II (12)
दुष्टोच्चाटन कारक माता I
अरि जिव्हा कीलक सघाता II (13)
साधक के विपति की त्राता I
नमो महामाया प्रख्याता II (14)
मुद्गर शिला लिये अति भारी I
प्रेतासन पर किये सवारी II (15)
तीन लोक दस दिशा भवानी I
बिचरहु तुम हित कल्यानी II (16)
अरि अरिष्ट सोचे जो जन को I
बुध्दि नाशकर कीलक तन को II (17)
हाथ पांव बाँधहु तुम ताके I
हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके II (18)
चोरो का जब संकट आवे I
रण में रिपुओं से घिर जावे II (19)
अनल अनिल बिप्लव घहरावे I
वाद विवाद न निर्णय पावे II (20)
मूठ आदि अभिचारण संकट I
राजभीति आपत्ति सन्निकट II (21)
ध्यान करत सब कष्ट नसावे I
भूत प्रेत न बाधा आवे II (22)
सुमरित राजव्दार बंध जावे I
सभा बीच स्तम्भवन छावे II (23)
नाग सर्प ब्रर्चिश्रकादि भयंकर I
खल विहंग भागहिं सब सत्वर II (24)
सर्व रोग की नाशन हारी I
अरिकुल मूलच्चाटन कारी II (25)
स्त्री पुरुष राज सम्मोहक I
नमो नमो पीताम्बर सोहक II (26)
तुमको सदा कुबेर मनावे I
श्री समृद्धि सुयश नित गावें II (27)
शक्ति शौर्य की तुम्हीं विधाता I
दुःख दारिद्र विनाशक माता II (28)
यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता I
शत्रु नाशिनी विजय प्रदाता II (29)
पीताम्बरा नमो कल्यानी I
नमो माता बगला महारानी II (30)
जो तुमको सुमरै चितलाई I
योग क्षेम से करो सहाई II (31)
आपत्ति जन की तुरत निवारो I
आधि व्याधि संकट सब टारो II (32)
पूजा विधि नहिं जानत तुम्हरी I
अर्थ न आखर करहूँ निहोरी II (33)
मैं कुपुत्र अति निवल उपाया I
हाथ जोड़ शरणागत आया II (34)
जग में केवल तुम्हीं सहारा I
सारे संकट करहुँ निवारा II (35)
नमो महादेवी हे माता I
पीताम्बरा नमो सुखदाता II (36)
सोम्य रूप धर बनती माता I
सुख सम्पत्ति सुयश की दाता II (37)
रोद्र रूप धर शत्रु संहारो I
अरि जिव्हा में मुद्गर मारो II (38)
नमो महाविधा आगारा I
आदि शक्ति सुन्दरी आपारा II (39)
अरि भंजक विपत्ति की त्राता I
दया करो पीताम्बरी माता II (40)
II दोहा II
रिद्धि सिद्धि दाता तुम्हीं,
अरि समूल कुल काल I
मेरी सब बाधा हरो,
माँ बगले तत्काल II
II इति बगलामुखी चालीसा सम्पूर्ण II
क्या इसमें पुराणों, शास्त्रों, और उपनिषदों से संबंधित कोई विशेष उल्लेख है?
हाँ, बगलामुखी चालीसा में पुराणों, शास्त्रों, और उपनिषदों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण मंत्र हैं।
माता बगलामुखी के प्रति प्रेम-भक्ति के साथ-साथ, हमें पुराणों, शास्त्रों, और उपनिषदों में मिलने वाले महत्वपूर्ण सन्मति (approval) का सम्मान करना चाहिए।
हमें पुराणों में मिलने वाली कहीं न कहीं बगलामुखी माता की कथाएं, शास्त्रों में मिलने वाले उनके सिद्धांत, और उपनिषदों में मिलने वाली उनकी प्रतिपूर्ति (revelation) का सम्मान करना चाहिए।
बगलामुखी चालीसा पढ़ने से क्या होता है?
माँ बगलामुखी चालीसा के जरिए साधक के अंदर से डर का नाश हो जाता है। शत्रुओं से डर लगने की स्थिति में, बगलामुखी माता की कृपा से वह दूर हो जाता है। शारीरिक रोगों से मुक्ति माँ बगलामुखी की कृपा से प्राप्त होती है। माता बगलामुखी धन-सम्पत्ति और सफलता की वाणी करती है।
बगलामुखी का कौन सा दिन होता है?
बगलामुखी जयंती 2023: बगलामुखी जयंती हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। कहा जाता है कि यही वह दिन है जिस दिन देवी बगलामुखी अवतरित हुई थी। सच्ची आस्था और सही तरीके से पूजा करने से बगलामुखी देवी अपने भक्तों को शत्रुओं से संबंधित सभी समस्याओं से दूर रखती हैं। 28 अप्रैल, 2023
बगलामुखी चालीसा का पाठ कैसे करें?
रात के समय, सूर्यास्त के बाद (लगभग 9 बजे) पूजास्थान पर पीले वस्त्र पहने और पीले आसन पर बैठकर, सरसों के तेल की दिया जलाएं। इसके बाद अपने गुरु, भगवान गणेश और भगवान भैरव की ध्यान में रहें और माता बगलामुखी का ध्यान करें। माता को हल्दी, पीले पुष्प, पीले फल और पीली मिठाई का भोग अर्पित करें। बगलामुखी चालीसा का प
बगलामुखी मंत्र से क्या होता है?
माता बगलामुखी की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और भय से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही, सभी प्रकार की बाधाओं से छुटकारा मिलता है। जिन लोगों ने तंत्र मंत्र सीखा है, वे कठिन भक्ति करके माता को प्रसन्न करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि भक्ति भाव से माता बगलामुखी की पूजा करने से साधक के जीवन में सुख और समृद्धि का
बगलामुखी देवी की पूजा कैसे की जाती है?
बगलामुखी जयंती के दिन, भक्त बगलामुखी माता की पूजा करने के लिए वेदी पर मूर्ति या देवता की मूर्ति रखते हैं। इसके बाद, वे अनुष्ठानों की शुरुआत करने के लिए अगरबत्तियां और एक दीया जलाते हैं। भक्त फूल, नारियल और माला के साथ देवता के लिए तैयार किया हुआ पवित्र भोजन (प्रसाद) अर्पित करते हैं। 22 अप्रैल, 2023 को
मां बगलामुखी को कैसे खुश करें?
मां बगलामुखी की जयंती के दिन, सुबह उठकर स्नान आदि करें और पीला वस्त्र पहनकर पूजा स्थल पर बैठें। मां बगलामुखी की मूर्ति को पीले वस्त्र से सजाएं। फिर कलश स्थापित करें और पूजा का संकल्प लें। मां बगलामुखी के लिए अक्षत, चंदन, रोली, बेलपत्र, पान, मौसमी फल, सिंदूर, पीले पुष्प, धूप, गंध, नैवेद्य आदि अर्पित कर