
Bhairav Chalisa-परिचय
भैरव चालीसा हिंदू आध्यात्मिकता में एक पवित्र और श्रद्धेय रचना है, जिसमें भगवान शिव के उग्र और दुर्जेय स्वरूप भगवान भैरव को समर्पित चालीस छंद शामिल हैं। यह भक्ति भजन उन भक्तों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है जो भगवान की तीव्र और परिवर्तनकारी ऊर्जा से सुरक्षा, शक्ति और मार्गदर्शन चाहते हैं।
भगवान भैरव को अक्सर एक डरावने देवता के रूप में चित्रित किया जाता है जो भक्तों को उनके आध्यात्मिक पथ पर नकारात्मक प्रभावों और बाधाओं से बचाता है। भैरव चालीसा इस देवता की शक्ति का सार प्रस्तुत करती है, जो उन लोगों के लिए एक अभिभावक और मार्गदर्शक के रूप में उनकी भूमिका पर प्रकाश डालती है जो ईमानदारी और भक्ति के साथ उनके पास आते हैं।
चालीसा के छंद धार्मिकता के रक्षक, बुरी ताकतों के विनाशक और आशीर्वाद देने वाले के रूप में भगवान भैरव की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हैं। भक्तों का मानना है कि श्रद्धा के साथ चालीसा का पाठ करके, वे भय, बाधाओं और अनिश्चितताओं को दूर करने और आंतरिक शक्ति और साहस प्राप्त करने के लिए उनकी ऊर्जा का उपयोग कर सकते हैं। ऐसी दुनिया में जहां चुनौतियाँ और परीक्षण प्रचुर मात्रा में हैं, भैरव चालीसा आध्यात्मिक सांत्वना और सशक्तिकरण चाहने वाले व्यक्तियों को सांत्वना और आश्वासन प्रदान करती है। इसके छंद हमारे भीतर और आसपास मौजूद दैवीय शक्ति के साथ जुड़ाव को प्रेरित करते हैं, जो भक्तों को अटूट विश्वास के साथ जीवन की जटिलताओं से निपटने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
शिव की कच्ची और परिवर्तनकारी ऊर्जा के अवतार के रूप में, भैरव चालीसा आध्यात्मिक साधकों के लिए भगवान भैरव के आशीर्वाद का आह्वान करने और जीवन की यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक निडर भावना को अपनाने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में कार्य करता है।
भैरव चालीसा हिंदी में उपलब्ध
भैरव चालीसा हिंदी में प्रकाशित करने के कारण, यह संपूर्ण हिन्दी भाषा के प्रेमियों के लिए सुलभता से उपलब्ध होती है। इसमें संस्कृत के साथ-साथ हिन्दी का प्रमुख स्थान होने के कारण, इसे हिन्दी में पढ़ना, समझना और गाना आसान होता है। यह संकलन, मंत्रों, महिमा-स्तुति, प्रार्थना-प्रकरण, पुरुषोत्तम-कृपा-लहरी, संकलन-प्रकरण, मंत्र-महिमा-प्रकरण, महिमा-प्रकरण, प्रेम-महिमा-प्रकरण, सुंन्दर-काण्ड, आरती, स्तोत्र, चौपाई, भैरव-वंश-कथा, कपिल-सम्बंधि कथा, प्रेम-महिमा-प्रकरण और मंत्रों के सहित है।
हिंदी में भैरव चालीसा पढ़ने के फायदे हैं कि इसे हमेशा सुलभता से समझा जा सकता है। हिन्दी में प्रकाशित होने के कारण, इसे हमेशा प्रिय भाषा में पढ़ने की सुविधा होती है। इससे मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, मनोकामनाओं की प्राप्ति होती है और सुख-समृद्धि मिलती है।
हिंदी में उपलब्ध 3 प्रमुख संस्करण
भैरव चालीसा के कई प्रमुख संस्करण हिंदी में उपलब्ध हैं। इनमें से कुछ प्रमुख संस्करणों में शामिल हैं:
1. भैरव चालीसा हिंदी (हिन्दी) में:
- हिन्दी में लिखित भैरव चालीसा को पढ़ने से हमेशा मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, सुख-समृद्धि मिलती है, और भक्ति का प्रतीक माना जाता है।
- हिन्दी में प्रकाशित होने के कारण, इसे सुलभता से समझा, पढ़ा, और सुना जा सकता है。
2. देवनागरी लिपि में भैरव चालीसा:
- भैरव चालीसा देवनागरी लिपि में भी उपलब्ध है, जिससे उन लोगों के लिए हिंदी पढ़ना आसान हो जाता है जो हिंदी पढ़ने में सहज हैं।
- भैरव चालीसा के देवनागरी लिपि संस्करण को हिंदी भाषा से परिचित लोग आसानी से समझ सकते हैं और इसका जाप कर सकते हैं।
3. अंग्रेजी अनुवाद के साथ भैरव चालीसा:
- जो लोग हिंदी में पारंगत नहीं हैं, उनके लिए अंग्रेजी अनुवाद के साथ भैरव चालीसा का एक संस्करण भी उपलब्ध है।
- यह उन व्यक्तियों को प्रत्येक श्लोक के अर्थ और महत्व को समझने की अनुमति देता है जो हिंदी में अच्छी तरह से वाकिफ नहीं हैं।
हिंदी में लिखित भैरव चालीसा के प्रमुख स्रोत
हिंदी में लिखित भैरव चालीसा के प्रमुख स्रोतों में कुछ प्रमुख हैं:
- पुराण: भैरव चालीसा हिन्दू पुराणों में संकलन के रूप में मौजूद होती है, और हिन्दी में प्रकाशित होने के कारण, पुराणों के संदर्भों के साथ इसका प्रयोग किया जाता है।
- आरती-स्तोत्र: भैरव चालीसा कुछ आरतियों, स्तोत्रों, और मंत्रों के सहित होती है, जिन्हें पढ़ने से भक्ति और प्रेम में वृद्धि होती है।
- मंत्र-महिमा-प्रकरण: भैरव चालीसा में कुछ मंत्र-महिमा-प्रकरण होते हैं, जिन्हें पाठ करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, सुख-समृद्धि मिलती है, और मन की शांति प्राप्त होती है।
हिंदी में प्रकाशित करने के पीछे भैरव चालीसा के मंत्रों के कारण
हिंदी में लिखित भैरव चालीसा को प्रकाशित करने के पीछे कुछ मंत्रों के आपसी सम्बन्ध होते हैं। इन मंत्रों का प्रयोग सुख, समृद्धि, और अन्य समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता है।
- महाकाल-महकली-महाकल-परमेश्वर: यह मंत्र भैरव चालीसा में प्रकट होने वाले महकली-महकल-परमेश्वर स्वरूप में सुन्न्दरता, प्रेम, और प्रकृति-पुरुष के संबंधों को प्रकट करता है।
- पुरुषोत्तम: पुरुषोत्तम मंत्र भैरव चालीसा में प्रकट होने वाले पुरुषोत्तम स्वरूप का संकेत करता है, जिससे मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, सुख-समृद्धि मिलती है, और मन की शांति प्राप्त होती है।
- महिमा: महिमा मंत्र भैरव चालीसा के प्रमुख संस्करणों में प्रकट होने वाले महिमा-प्रकरण की प्रमुख स्थली होता है, जिससे महिमा-प्रकरण की सुंदरता, प्रेम, और प्रकाश का स्पष्टीकरण किया जाता है।
हिंदी में लिखित भैरव चालीसा के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें
हिंदी में लिखित भैरव चालीसा के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए, आप संबंधित पुस्तकों, वेबसाइटों, और समुदायों का सहारा ले सकते हैं। हिन्दी में प्रकाशित होने के कारण, आपको सुलभता से मलूम होगा कि कौन-सी पुस्तक, समुदाय, या संस्था भैरव चालीसा के प्रमुख स्रोत हैं।
समुदायों, मंदिरों
हिंदी में प्रकाशित करने के पीछे भैरव चालीसा के मंत्रों के कारण
मंत्रों का महत्व
भैरव चालीसा हिंदी में प्रकाशित होने का मुख्य कारण इसमें सम्मिलित मंत्रों का अत्यंत महत्व है। भैरव चालीसा में सुन्दरकाण्ड, आरती, स्तुति, बहुत से मंत्र और पौराणिक कथाएं होती हैं। ये मंत्र और पौराणिक कथाएं भक्तों को सुप्रसन्न करने, सुख-समृद्धि, सुरक्षा, समस्या-समाधान, स्थिरता, स्वस्थ्य, प्रेम-प्रसन्नता, सम्मान और मोक्ष की प्राप्ति में सहायता करते हैं। इन मंत्रों का जाप, पठन या सुनने से भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसकी आशा-विश्वास में स्थिरता आती है।
मंत्रों के प्रभाव
भैरव चालीसा में सम्मिलित मंत्रों के प्रभावस्वरूप, इसके पाठकों को मनोबल, आत्म-प्रेरणा, सुरक्षा, स्थिरता, सुख-समृद्धि, स्वस्थ्य, प्रेम-प्रसन्नता, सम्मान और मुक्ति की प्राप्ति करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये मंत्र भक्त को नेगेटिविटी से मुक्त करके पॉजिटिव ऊर्जा, स्थिरता और समृद्धि की ओर प्रेरित करते हैं। इन मंत्रों का प्रयोग करने से भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, समस्याएं हल होती हैं, और उसका मार्गदर्शन सही और सुरक्षित होता है।
मंत्रों का प्रयोग
भैरव चालीसा में सम्मिलित मंत्रों का प्रयोग करने के लिए, पहले-पहले 21-21 माला (108 माला) की संख्या में मंत्रों का 11-11 माला (108 माला) की संख्या में प्रार्थना करें। इसके बाद, भैरव चालीसा का पाठ करें और सम्पूर्ण मंत्रों का जाप करें। मंत्रों का प्रयोग सुबह-शाम किया जा सकता है, या फिर आप अपनी सुविधा के हिसाब से मंत्रों की प्रार्थना, पाठ, और जाप को समय-समय पर कर सकते हैं।
मंत्रों के प्रकाशन
हिंदी में प्रकाशित होने से, भैरव चालीसा में सम्मिलित मंत्रों की पहुंच हिन्दी-भाषी पाठकों तक होती है। मन्त्रों के प्रकाशन से, लोग मंत्रों के महत्व, प्रभाव, और प्रयोग के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और उन्हें समय-समय पर मंत्रों का प्रयोग करने की सलाह दी जा सकती है।
Bhairav Chalisa in Hindi
।। दोहा ।।
गणपति, गुरू गौरी पद, प्रेम सहित धरि माथ ।
चालीसा वन्दन करौं, श्री शिव भैरवनाथ ।।
श्री भैरव संकट हरण, मंगल करण कृपाल ।
श्याम वरण विकराल वपु, लोचन लाल विशाल ।।
।। चौपाई।।
जय जय श्री काली के लाला ।
जयती जयती काशी-कुतवाला ।।
जयती ‘बटुक भैरव’ भय हारी ।
जयती ‘काल भैरव’ बलकारी ।।
जयती ‘नाथ भैरव’ चिख्याता ।
जयती ‘सर्व भैरव’ सुखदाता ।।
भैरव रूप कियो शिव धारण ।
भव के भार उतारण कारण ।।
भैरवं रव सुनि है भय दूरी ।
सब विधि होय कामना पूरी ।।
शेष महेश आदि गुण गायो ।
काशी के कोतवाल कहलायो ।।
जटा जूट शिव चन्द्र विराजत ।
बाला, मुकुट बिजायठ साजत ।।
कटि करधनी घुंघरू बाजत ।
दर्शन करत सकल भय भाजत ।।
जीवन दान दास को दीन्हयो ।
कृपा नाथ तब चीन्ह्यो ।।
वसि रसना बनि सारद-काली ।
दीन्ह्यो वर राख्यो मम लाली ।।
धन्य धन्य भैरव भय भंजन ।
जय मनरंजन खल दल भंजन ।।
कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा ।
कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोड़ा ।।
जो भैरव निर्भय गुण गावत ।
अष्टसिद्धि नवनिधि फल पावत ।।
रूप विशाल कठिन दुःख मोचन ।
क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन ।।
अगणित भूत-प्र -प्रेत संग डोलत ।
बं बं बं शिव बं बं बोलत ।।
रूद्रकाय काली के लाल ।
महा कालहू के हो कालाः ।।
बटुक नाथ हो काल गंभीरा ।
श्वेत, रक्त अरु श्याम शरीरा ।।
करत तीनहुं रूप प्रकाशा ।
भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा ।।
रत्न जड़ित कंचन सिंहसान ।
व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआसन ।।
तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं ।
विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं ।।
जय प्रभु संहारक सुनन्द जय ।
जय उन्नत हर उमानन्द जय ।।
भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय ।
बैजनाथ श्री जगतनाथ जय ।।
महाभीम भीषण शरीर जय ।
रुद्र त्र्यत्वक धीर वीर जय ।।
अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय ।
रूवानारूढ़ सयचन्द्र नाथ जय ।।
निमिष दिगम्बर चक्रनाथ जय ।
गहत अनाथन नाथ हाथ जय ।।
त्रेशलेश भूतेश चन्द्र जय ।
क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय ।।
श्री वामन नकुलेश चण्ड जय ।
कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय ।।
रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर ।
चक्र तुण्ड दश पाणिव्यालधर ।।
करि मद पान शम्भु गुण गावत ।
चौंसठ योगिन संग नचावच ।।
करत कृपा जन पर बहु ढंगा ।
काशी कोतवाल अड़बंगा ।।
देय काल भैरव जब सोटा ।
नसै पाप मोटा से मोटा ।।
जनकर निर्मल होय शरीरा ।
मिटै सकल संकट भव पीरा ।।
श्री भैरव भूतों के राजा ।
बाधा हरत करत शुभ काजा ।।
ऐलादी के दुःख निवार्यो ।
सदा कृपा करि काज सम्हार्यो ।।
। सुन्दरदास सहित अनुरागा ।
श्री दुर्वासा निकट प्रयागा ।।
‘श्री भैरव जी की जय’ लेख्यो ।
सकल कामना पूरण देख्यो ।।
।। दोहा ।।
जय जय जय भैरव बटुक, स्वामी संकट टार ।
कृपा दास पर कीजिए, शंकर के अवतार ।।
जो यह चालीसा पढ़े, प्रेम सहित सत बार ।।
उस घर सर्वानन्द हो, वैभव बढ़े अपार ।।
हिंदी में लिखित भैरव चालीसा के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें
पुस्तक का महत्व
हिंदी में लिखित भैरव चालीसा पुस्तक, पुस्तकालयों, इंटरनेट, और स्मारकों में सुलभता से मिल सकती है। इस पुस्तक के माध्यम से, पाठकों को हिन्दी-में-लिखित-प्रप्ति का सुन्दर, सुलभ, 24×7 महत्वपूर्ण, प्रभावी, और आसान साधन प्राप्त होता है। यह पुस्तक पाठकों के लिए भैरव चालीसा के महत्व, प्रभाव, मंत्रों का प्रयोग, और मंत्रों की सही-प्रमाणित संख्या के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करती है।
पुस्तक के लाभ
हिंदी में लिखित भैरव चालीसा पुस्तक के पठन से, पाठकों को मनोकामना-पूर्णि, सुरक्षा, समृद्धि, स्थिरता, स्वस्थ्य, प्रेम-प्रसन्नता, सम्मान, मुक्ति, और मनो-में-लक्ष्य-प्रेषिति होती है। इस पुस्तक के द्वारा, पाठक भैरव चालीसा के मंत्रों को सही-प्रमाणित संख्या में प्रार्थना कर सकते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं।
पुस्तक की प्राप्ति
हिंदी में लिखित भैरव चालीसा पुस्तक की प्राप्ति के लिए, पुस्तकालयों, धार्मिक स्मारकों, और इंटरनेट पर सम्मिलित हो सकते हैं। आप अपने पसंद के पुस्तकलय में, ऑनलाइन-पुस्तक-स्टोर में, या सम्मानित-पुस्तक-प्रकाशन-होमपेज (website) से हिंदी में लिखित भैरव चालीसा पुस्तक को खरीद सकते हैं।
शिरोमणि भैरव चालीसा के माध्यम से हिन्दी भाषा में एक संक्षिप्त और सुंदर समापन प्रस्तुत किया गया है।
भैरव जी का मंत्र कौन सा है?
ओम भयहरणं च भैरव:। ओम कालभैरवाय नम:। ओम ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं। ओम भ्रं कालभैरवाय फट्।
Paraphrase: ओम भयहरणं च भैरव:। ओम कालभैरवाय नम:। ओम ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं। ओम भ्रं कालभैरवाय फट्। (Translation: Om Bhayharanam cha Bhairava: Om Kalabhairavaya Namah: Om Hreem Bam Batukay Apaduddharanay
भैरव जी को प्रसन्न करने के लिए क्या करना चाहिए?
काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए, इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करें, फिर स्वच्छ वस्त्र पहनें। भगवान काल भैरव को काले तिल, उड़द और सरसों के तेल के दीपक से आराधना करें, साथ ही मंत्रों का जाप करें और उनकी विधिवत पूजा करें। इससे वे प्रसन्न होंगे और आपको उनकी कृपा प्राप्त होगी। Nov 16, 2022
भैरव जी का दिन कौन सा होता है?
यह एक दिन है जो मंगलवार और रविवार के रोज़ मनाया जाता है और इसे अधिक शुभ माना जाता है क्योंकि यह दिन भगवान काल भैरव को समर्पित होता है. इसे महा काल भैरव अष्टमी या काल भैरव अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. उदयातिथि के अनुसार, कालभैरव जयंती इस बार 16 नवंबर, बुधवार को मनाई जा रही है.
काल भैरव और भैरवनाथ में क्या अंतर है?
बटुक भैरव और काल भैरव दो भिन्न स्वरूपों में प्रसिद्ध हैं। बटुक भैरव अपने भक्तों को अभय देने वाले सौम्य स्वरूप माने जाते हैं, जबकि काल भैरव आपराधिक प्रवृत्तियों पर नियंत्रण करने वाले प्रचण्ड दंडनायक के रूप में प्रसिद्ध हुए हैं। बटुक भैरव को भैरवनाथ का युवा रूप माना जाता है, जबकि काल भैरव को
भैरव जी का बीज मंत्र क्या है?
ॐ कालभैरवाय नमः। ॐ भयहरणं च भैरवः। 16 जनवरी, 2020
भैरव मंत्र सिद्ध कैसे करें?
आइफ़ोन एक स्मार्टफ़ोन है जो Apple द्वारा बनाया गया है, जो एक कंप्यूटर, आइपॉड, डिजिटल कैमरा और सेल्युलर फोन को एक ही डिवाइस में मिलाकर रखता है जिसमें एक टचस्क्रीन इंटरफ़ेस होता है।
भैरव भगवान की साधना मन में किसी न किसी इच्छा के साथ करनी चाहिए, क्योंकि यह एक सकाम साधना है। उनकी सिद्धि प्राप्त करने के लिए स