
Kali Chalisa- परिचय
काली चालीसा एक प्रतिष्ठित हिंदू भक्ति रचना है जिसमें देवी काली को समर्पित चालीस छंद शामिल हैं, जो एक उग्र और शक्तिशाली देवी हैं जो अक्सर विनाश, परिवर्तन और सुरक्षा से जुड़ी होती हैं। यह भक्ति भजन उन भक्तों के लिए गहरा महत्व रखता है जो शक्ति, साहस और जीवन की चुनौतियों से मुक्ति चाहते हैं।
देवी काली को एक दुर्जेय और अदम्य शक्ति के रूप में दर्शाया गया है, जो दिव्य स्त्री के पोषण और उग्र दोनों पहलुओं का प्रतीक है। काली चालीसा उनके सार को समाहित करती है, नकारात्मकता को नष्ट करने वाली, अज्ञानता से मुक्ति दिलाने वाली और परम ब्रह्मांडीय ऊर्जा के स्रोत के रूप में उनकी भूमिका पर प्रकाश डालती है। चालीसा के छंद राक्षसों का संहार करने वाली, ब्रह्मांड की माता और भक्तों की रक्षक के रूप में देवी काली की विशेषताओं का गुणगान करते हैं।
माना जाता है कि भक्तिपूर्वक चालीसा का पाठ करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है, बुरी ताकतों से सुरक्षा मिलती है और व्यक्तियों को आध्यात्मिक जागृति के मार्ग पर मार्गदर्शन मिलता है। ऐसी दुनिया में जहां चुनौतियाँ और अनिश्चितताएँ बहुत अधिक हैं, काली चालीसा उन लोगों को सांत्वना और सशक्तिकरण प्रदान करती है जो आंतरिक शक्ति और परिवर्तन चाहते हैं। इसके छंद देवी काली की उग्र और दयालु ऊर्जा के साथ जुड़ाव को प्रेरित करते हैं, भक्तों से अपने डर का सामना करने और जीवन और मृत्यु के चक्र को गले लगाने का आग्रह करते हैं।
दैवीय शक्ति और उग्र करुणा के अवतार के रूप में, काली चालीसा आध्यात्मिक साधकों के लिए देवी काली के आशीर्वाद का आह्वान करने और उनकी अटूट शक्ति का उपयोग करने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में कार्य करती है। इसके छंदों के माध्यम से, भक्तों का लक्ष्य उस परिवर्तनकारी ऊर्जा को अपनाना है जिसका देवी प्रतीक है, जीवन की यात्रा को साहस और अनुग्रह के साथ आगे बढ़ाना।
काली चालीसा क्या है?
काली चालीसा हिन्दू धर्म में माता काली को समर्पित एक प्रमुख पूजा-पाठ है। यह 40 श्लोकों का संग्रह है, जिसे प्रतिदिन पढ़ने से माता काली की कृपा प्राप्ति होती है और सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। काली चालीसा में माता काली के गुण, महिमा, आरोह-अवरोह, प्रेम, समर्पण, और सेवा के प्रमुख मंत्रों और दोहों का वर्णन है।
काली चालीसा में प्रतिदिन पढ़ने से मनुष्य के मन, शरीर, और आत्मा को प्रकाशमय और शक्तिशाली बनाने का प्रयास किया जाता है। इस पूजा-पाठ के माध्यम से माता काली से आपत्ति, भय, दु:ख, और पीड़ा से मुक्ति मिलती है। काली चालीसा को प्रतिदिन प्रेम, समर्पण, विश्वास, और संकल्प से पढ़ने से मनुष्य को मनोकामना सिद्धि होती है और महाकाली की कृपा प्राप्त होती है।
काली चालीसा के प्रमुख मंत्रों और दोहों का वर्णन:
1. “नमो महकलि रुपें संहेट
काली चालीसा के प्रमुख मंत्रों और दोहों का वर्णन
मंत्र:
काली चालीसा में कई प्रमुख मंत्र हैं, जिनका पाठ करने से माता काली की कृपा प्राप्त होती है। इन मंत्रों में से पहला मंत्र है – “ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वपूजितायै नमः”। यह मंत्र माता के समर्पित होने का संकेत करता है और उनकी पूजा-अर्चना को समर्पित किया जाता है।
दूसरे मंत्र “कलि-कलि-महाकलि, स्वप्न-देखि-सुलेम् ॥” है, जिसके पाठ से मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक रूप से शक्ति प्राप्त होती है। यह मंत्र सुख, समृद्धि, और सुरक्षा की प्राप्ति के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
दोहे:
काली चालीसा में कुछ महत्वपूर्ण दोहे हैं, जिनका पाठ करने से माता के प्रति भक्ति और समर्पण की भावना प्रकट होती है। “मन-मन-हीं-सुलेम्-सुलेम्, सों-सों-हरि-निस्पलेम् ॥” – यह दोहा मन को स्थिर, प्रसन्न, और प्रेमपूर्ण बनाने का कार्य करता है।
एक और महत्वपूर्ण दोहा है – “माता काली जय, महाकाली जय, अम्बे गौरी जय, भवानी माता जय ॥” – इसके पाठ से माता को प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है और उनकी कृपा प्राप्त होती है।
काली चालीसा के महत्वपूर्ण स्थलों पर जानकारी
1. कलिघाट:
कलिघाट, पश्चिम बंगाल में स्थित होने के कारण, कुंडलिनी-महत्म्-केंत्रों में से एक महत्म्-स्थल है। इस स्थल पर महिषासुर-मर्दिनी (महिषासुर-मर्दन) मंदिर स्थित होता है, जहां माता काली की पूजा और अर्चना की जाती है।
2. कालीघाट:
कोलकाता, पश्चिम बंगाल में स्थित होने के कारण, काली मंदिर से प्रसिद्ध है। यह मंदिर 19वीं सदी में बना हुआ है और यहां माता काली के प्रति भक्ति-प्रेम को समर्पित होता है।
काली चालीसा कब, कहाँ और किसलिए पढ़ी जाती है?
काली चालीसा, महिषासुर-मर्दन (महिषासुर-मर्दन) स्तोत्र, महिषसुर-मर्दिनि (महिषसुर-मर्दन) स्तोत्र, आदि में से एक है। 40 पंक्तियों की इस चालीसा का पाठ माता काली के समर्पण में किया जाता है। इसे सुबह-शाम पढ़ने से माता की कृपा प्राप्त होती है और भक्ति में वृद्धि होती है।
काली माता के सम्बंध में महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर
1. माता काली को किसने प्रकट किया?
माता काली, प्रकट्-हुनेवली (प्रकट्-हुनेवल) देवी हैं, जिन्हें महिषासुर-मर्दिन (महिषासुर-मर्दन) स्तोत्र (स्तोत्र) में “कलि-कलि” (कलि-कलि) रूप में संबोधित (संबोधित) किया गया है।
2. काली माता की पूजा कब और कैसे की जाती है?
काली माता की पूजा अक्सर निश्चित (निश्चित) दिनों पर, विशेषत: नवरात्रि (नवरात्रि) में, की जाती है। पूजा में सुपार्श्व-हस्त (सुपार्श्व-हस्त) समेटे हुए, मंत्रों के सहित मला (मला) पहनकर, पुष्प (पुष्प) और प्रसाद (प्रसाद) समेटे हुए, मन्दिरों (मन्दिरों) में की जाती है।
Kali Chalisa in Hindi
॥दोहा॥
जयकाली कलिमलहरण,
महिमा अगम अपार ।
महिष मर्दिनी कालिका,
देहु अभय अपार ॥
॥ चौपाई ॥
अरि मद मान मिटावन हारी ।
मुण्डमाल गल सोहत प्यारी ॥
अष्टभुजी सुखदायक माता ।
दुष्टदलन जग में विख्याता ॥
भाल विशाल मुकुट छवि छाजै ।
कर में शीश शत्रु का साजै ॥
दूजे हाथ लिए मधु प्याला ।
हाथ तीसरे सोहत भाला ॥4॥
चौथे खप्पर खड्ग कर पांचे ।
छठे त्रिशूल शत्रु बल जांचे ॥
सप्तम करदमकत असि प्यारी ।
शोभा अद्भुत मात तुम्हारी ॥
अष्टम कर भक्तन वर दाता ।
जग मनहरण रूप ये माता ॥
भक्तन में अनुरक्त भवानी ।
निशदिन रटें ॠषी-मुनि ज्ञानी ॥8॥
महशक्ति अति प्रबल पुनीता ।
तू ही काली तू ही सीता ॥
पतित तारिणी हे जग पालक ।
कल्याणी पापी कुल घालक ॥
शेष सुरेश न पावत पारा ।
गौरी रूप धर्यो इक बारा ॥
तुम समान दाता नहिं दूजा ।
विधिवत करें भक्तजन पूजा ॥12॥
रूप भयंकर जब तुम धारा ।
दुष्टदलन कीन्हेहु संहारा ॥
नाम अनेकन मात तुम्हारे ।
भक्तजनों के संकट टारे ॥
कलि के कष्ट कलेशन हरनी ।
भव भय मोचन मंगल करनी ॥
महिमा अगम वेद यश गावैं ।
नारद शारद पार न पावैं ॥16॥
भू पर भार बढ्यौ जब भारी ।
तब तब तुम प्रकटीं महतारी ॥
आदि अनादि अभय वरदाता ।
विश्वविदित भव संकट त्राता ॥
कुसमय नाम तुम्हारौ लीन्हा ।
उसको सदा अभय वर दीन्हा ॥
ध्यान धरें श्रुति शेष सुरेशा ।
काल रूप लखि तुमरो भेषा ॥20॥
कलुआ भैंरों संग तुम्हारे ।
अरि हित रूप भयानक धारे ॥
सेवक लांगुर रहत अगारी ।
चौसठ जोगन आज्ञाकारी ॥
त्रेता में रघुवर हित आई ।
दशकंधर की सैन नसाई ॥
खेला रण का खेल निराला ।
भरा मांस-मज्जा से प्याला ॥24॥
रौद्र रूप लखि दानव भागे ।
कियौ गवन भवन निज त्यागे ॥
तब ऐसौ तामस चढ़ आयो ।
स्वजन विजन को भेद भुलायो ॥
ये बालक लखि शंकर आए ।
राह रोक चरनन में धाए ॥
तब मुख जीभ निकर जो आई ।
यही रूप प्रचलित है माई ॥28॥
बाढ्यो महिषासुर मद भारी ।
पीड़ित किए सकल नर-नारी ॥
करूण पुकार सुनी भक्तन की ।
पीर मिटावन हित जन-जन की ॥15॥
तब प्रगटी निज सैन समेता ।
नाम पड़ा मां महिष विजेता ॥
शुंभ निशुंभ हने छन माहीं ।
तुम सम जग दूसर कोउ नाहीं ॥32॥
मान मथनहारी खल दल के ।
सदा सहायक भक्त विकल के ॥
दीन विहीन करैं नित सेवा ।
पावैं मनवांछित फल मेवा ॥17॥
संकट में जो सुमिरन करहीं ।
उनके कष्ट मातु तुम हरहीं ॥
प्रेम सहित जो कीरति गावैं ।
भव बन्धन सों मुक्ती पावैं ॥36॥
काली चालीसा जो पढ़हीं ।
स्वर्गलोक बिनु बंधन चढ़हीं ॥
दया दृष्टि हेरौ जगदम्बा ।
केहि कारण मां कियौ विलम्बा ॥
करहु मातु भक्तन रखवाली ।
जयति जयति काली कंकाली ॥
सेवक दीन अनाथ अनारी ।
भक्तिभाव युति शरण तुम्हारी ॥40॥
॥दोहा॥
प्रेम सहित जो करे,
काली चालीसा पाठ ।
तिनकी पूरन कामना,
होय सकल जग ठाठ ॥
हिन्दु मिथकों में क्या-क्या प्रक्रिया/क्रिया को ध्यान में रखते हुए काली चालीसा पढ़ने
हिन्दू मिथकों में काली चालीसा को पढ़ने से पहले, शुभ-मुहूर्त (मुहूर्त) का ध्यान रखना आवश्यक होता है। प्रात: (प्रात:) समय में, स्नान (स्नान) करके, पुरेप्रेम (प्रेम) के साथ, मंत्रों की मला (मला) समेटकर, अपने मन-को-स्तिर (मन-को-स्तिर), और पूर्ण-समर्पित (पूर्ण-समर्पित) होकर, काली माता की पूजा की जाती है।
प्रति (प्रति) 40 पंक्तियों की चालीसा, 9/16/108/1008/10008/100008/1,000,008/10,000,008 बार पढ़ी जा सकती है। प्रतिदिन (प्रतिदिन) काली माता के समर्पण में इसे पढ़ने से भक्ति-प्रेम में वृद्धि होती है और माता की कृपा प्राप्त होती है।
सारांश: हिन्दी भाषा में “काली चालीसा” के आधार पर, यह स्पष्ट है कि काली माता को समर्पित यह प्रार्थना-स्तोत्र महत्वपूर्ण है और उसके प्रभुत्व, संकटों से बचाने की क्षमता, और सुख-शांति को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका
मां काली का मंत्र क्या है?
‘ॐ ह्रौं काली महाकाली किलिकिले फट् स्वाहा’ मंत्र के जाप से भद्रकाली माता व्यक्ति को अष्ट सिद्धियों का स्वामी बना देती हैं और व्यक्ति के ऊपर माता काली के साथ-साथ माता लक्ष्मी (लक्ष्मी पूजन के नियमों) की भी कृपा बनी रहती है।
काली माता का जाप कैसे करते हैं?
महाकाली मंत्र जाप करने के फायदे: महा काली मंत्र का जाप करने का सबसे उपयुक्त समय सूर्यास्त के बाद है। इस मंत्र को रोजाना 40 दिनों तक हर रोज़ 108 बार जाप करें। कोई भी व्यक्ति इस मंत्र का जाप कर सकता है, उसे किसी भी दिशा की ओर मुँह करके जाप करना चाहिए, चाहे पूर्व दिशा हो या उत्तर दिशा।
काली माता का पुत्र कौन है?
मां काली एक पर्वतीय देवी हैं, जिसके द्वारा कुमार कार्तिकेय और भगवान गणेश भी पैदा हुए हैं।
काली और भद्रकाली में क्या अंतर है?
देवी महाकाली एक स्वरूप हैं जो श्मशान काली के रूप में जानी जाती हैं और वे विनाश करती हैं। दूसरी सौम्यमूर्ति भद्रकाली हैं जो सुख और समृद्धि प्रदान करती हैं।
मां काली को प्रसन्न करने के लिए क्या करना पड़ेगा?
काली माता को दुष्टता को नष्ट करने वाली देवी के रूप में मान्यता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, काली माता को खुश करने का सबसे उत्कृष्ट तरीका उनकी मूर्ति की पूजा करना माना जाता है।
कौन सा बीज मंत्र शक्तिशाली है?
गायत्री मंत्र एक 24 अक्षरों से बना मंत्र है जो कि मंत्र शास्त्रों में बहुत शक्तिशाली माना जाता है. इसे महामंत्र भी कहा गया है. गायत्री मंत्र ‘ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्’ 24 अक्षरों से मिलकर बना हुआ है.