
Krishna Chalisa-परिचय
कृष्ण चालीसा एक श्रद्धेय भक्ति रचना है जो भगवान कृष्ण की महिमा और सम्मान करती है, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता हैं जो अपने दिव्य आकर्षण, शिक्षाओं और बहुमुखी व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं। आध्यात्मिक गहराई के 40 छंदों से युक्त, यह भजन भगवान कृष्ण के दिव्य गुणों और अभिव्यक्तियों को समाहित करता है।
भगवान कृष्ण, जिन्हें अक्सर एक दिव्य सपेरा और दार्शनिक के रूप में चित्रित किया जाता है, प्रेम, ज्ञान और भक्ति का प्रतीक हैं। कृष्ण चालीसा एक आध्यात्मिक पुल के रूप में कार्य करता है जो भक्तों को भगवान कृष्ण के सार से जोड़ता है, उनके जीवन में उनका आशीर्वाद, मार्गदर्शन और परोपकार चाहता है। कृष्ण चालीसा का पाठ करना भक्तों के बीच एक प्रिय प्रथा है, माना जाता है कि यह भगवान कृष्ण की दिव्य उपस्थिति और आशीर्वाद का आह्वान करता है।
प्रत्येक श्लोक उनके मनमोहक आचरण, एक दिव्य प्रेमी के रूप में उनकी भूमिका और धार्मिकता और आध्यात्मिक जागृति के मार्ग को रोशन करने वाली उनकी शिक्षाओं के प्रति हार्दिक श्रद्धांजलि है। कृष्ण चालीसा भक्तों और परमात्मा के बीच के बंधन को मजबूत करने, भगवान कृष्ण की शिक्षाओं और उनके शाश्वत प्रेम के अवतार के साथ गहरा संबंध विकसित करने के माध्यम के रूप में कार्य करती है।
यह उनके पारलौकिक अस्तित्व के सार को दर्शाता है, सांत्वना, प्रेरणा और अटूट विश्वास के साथ जीवन की जटिलताओं को पार करने का ज्ञान प्रदान करता है। संक्षेप में, कृष्ण चालीसा भगवान कृष्ण की शाश्वत कृपा के प्रमाण के रूप में खड़ी है, जो अपने भक्तों को भक्ति, ज्ञान और आत्म-खोज की परिवर्तनकारी यात्रा पर मार्गदर्शन करती है।
कृष्ण चालीसा हिंदी में क्या होती है?
कृष्ण चालीसा हिंदी में भगवान् कृष्ण की स्तुति करने और उनके गुणों का वर्णन करने वाली प्रमुख प्रार्थना है। यह प्रार्थना-पाठ, मंत्रों, स्तुति-संकलनों, और प्रमुख घोषित किए गए महत्वपूर्ण संस्कृत मंत्रों से मिलकर बनी होती है। कृष्ण चालीसा में प्रमुखता से कहा जाता है कि ‘केशव’ (कृष्ण) परमेश्वर हैं, ‘मुरली’ (मुरली) से प्रकाशित होने वाले, ‘मनमोहन’ (मन को मोहित करने वाले), ‘मोहन’ (मोहित करने वाले), ‘श्याम’ (काले रंग के), ‘श्रीधर’ (लक्ष्मी को सम्पन्न करने वाले), और ‘बांसुरीधर’ (बांसुरी बजाने वाले) हैं।
कृष्ण चालीसा में भक्ति, प्रेम, समर्पण, आत्म-समर्पण, और मोक्ष की प्रार्थना होती है। इस प्रार्थना-पाठ के माध्यम से, भक्त संपूर्ण मन, विचार, और क्रिया संपन्न करता है, और प्रेम-भक्ति को प्रकट करता है।
हिन्दी में कृष्ण में प्राप्त करें
कृष्ण चालीसा के बोल हिंदी में आप आसानी से इंटरनेट पर खोजकर प्राप्त कर सकते हैं। कई वेबसाइटों पर, धार्मिक पुस्तकों में, और संग्रहलयों में भी कृष्ण चालीसा के हिंदी में बोल मिलते हैं।
प्रमुखता समय
- कृष्णा-पक्ष (मुकुल) में, ‘प्रतिपदा’ तिथि को शुक्ल पक्ष में, और ‘अस्तमी’ तिथि को कृष्ण पक्ष में कृष्ण चालीसा पाठ करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- व्रत, उत्सव, और समारोहों में, कृष्ण चालीसा का पाठ समर्पित होता है।
- कृष्ण जन्माष्टमी, होली, और जन्माष्टमी (हिन्दु कैलेंडर) में, कृष्ण चालीसा के पाठ-प्रसंग में समर्पित होते हैं।
कृष्ण चालीसा में किस प्रकार से भगवान् कृष्ण की महिमा प्रकट होती है?
कृष्ण चालीसा में, भगवान् कृष्ण की महिमा, उनके गुणों, और उनके सामरिक-लीलाओं का वर्णन होता है। इस प्रार्थना-पाठ में, कृष्ण को सर्वश्रेष्ठ, सर्व-समर्पित, सर्व-मंगलमय, और समस्त प्राणियों के हित की प्रतीक्षा करने वाले महान्तम पुरुष माना जाता है।
कृष्ण चालीसा में, ‘केश’ (सिर), ‘पीले’ (केश) (मुकुट), ‘प्रतिचिन’ (मुकुट), ‘हंस’ (हंस), ‘हंसि’ (हंस), ‘मुकुन्द’ (प्रलोभन), ‘त्रिपुरारि’ (त्रिपुर हरने वाले), ‘त्रिपुरी’ (त्रिपुर हरने वाले), ‘शंकर’ (शंकर), ‘श्रीकृष्ण’ (लक्ष्मी को सम्पन्न करने वाले), और ‘नारायण’ (समस्त प्राणियों का नाथ) हैं।
कृष्ण चालीसा में प्रमुख मंत्रों, स्तुति-संकलनों, और प्रार्थना-पाठों का समावेश होता है?
कृष्ण चालीसा में, कुल 40 मंत्र, स्तुति-संकलन, और प्रार्थना-पाठ होते हैं। इसमें, कृष्ण की महिमा, प्रेम, समर्पण, आत्म-समर्पण, मोक्ष की प्रार्थना होती है।
हर मंत्र में भगवान् कृष्ण के एक विशेष गुण, लीला, या स्वरूप का वर्णन होता है। इन मंत्रों के पाठ से, भक्त प्रेम-भक्ति को प्रकट करते हैं, और कृष्ण के सामरिक-लीलाओं में समर्पित होते हैं।
प्रमुख मंत्र
- हे केशव! हे मुकुन्द! हे मुरलीधर!
- हे मनमोहन! हे मोहन! हे श्याम!
- हे श्रीधर! हे बांसुरीधार!
स्तुति-संकलन
- सूरदास: “मिट्टी का तन, मस्तक में काँसा”
- तुलसीदास: “मनु प्रेम-लता से, जिनकी स्पृहा”
- मीराबाई: “जो तुमको हरि कहे, सो हरि है”
प्रार्थना-पाठ
- हे कृष्ण! मुझे अपनी शरण में ले लो।
- हे कृष्ण! मुझे प्रेम-भक्ति दो।
- हे कृष्ण! मुझे समस्त पापों से मुक्ति दो।
Krishna Chalisa in Hindi
॥ दोहा॥
बंशी शोभित कर मधुर,
नील जलद तन श्याम ।
अरुण अधर जनु बिम्बफल,
नयन कमल अभिराम ॥
पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख,
पीताम्बर शुभ साज ।
जय मनमोहन मदन छवि,
कृष्णचन्द्र महाराज ॥
॥ चौपाई ॥
जय यदुनंदन जय जगवंदन ।
जय वसुदेव देवकी नन्दन ॥
जय यशुदा सुत नन्द दुलारे ।
जय प्रभु भक्तन के दृग तारे ॥
जय नटनागर, नाग नथइया |
कृष्ण कन्हइया धेनु चरइया ॥
पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो ।
आओ दीनन कष्ट निवारो ॥4॥
वंशी मधुर अधर धरि टेरौ ।
होवे पूर्ण विनय यह मेरौ ॥
आओ हरि पुनि माखन चाखो ।
आज लाज भारत की राखो ॥
गोल कपोल, चिबुक अरुणारे ।
मृदु मुस्कान मोहिनी डारे ॥
राजित राजिव नयन विशाला ।
मोर मुकुट वैजन्तीमाला ॥8॥
कुंडल श्रवण, पीत पट आछे ।
कटि किंकिणी काछनी काछे ॥
नील जलज सुन्दर तनु सोहे ।
छबि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे ॥
मस्तक तिलक, अलक घुँघराले ।
आओ कृष्ण बांसुरी वाले ॥
करि पय पान, पूतनहि तार्यो ।
अका बका कागासुर मार्यो ॥12॥
मधुवन जलत अगिन जब ज्वाला ।
भै शीतल लखतहिं नंदलाला ॥
सुरपति जब ब्रज चढ़्यो रिसाई ।
मूसर धार वारि वर्षाई ॥
लगत लगत व्रज चहन बहायो ।
गोवर्धन नख धारि बचायो ॥
लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई ।
मुख मंह चौदह भुवन दिखाई ॥16॥
दुष्ट कंस अति उधम मचायो ।
कोटि कमल जब फूल मंगायो ॥
नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें ।
चरण चिह्न दै निर्भय कीन्हें ॥
करि गोपिन संग रास विलासा ।
सबकी पूरण करी अभिलाषा ॥
केतिक महा असुर संहार्यो ।
कंसहि केस पकड़ि दै मार्यो ॥20॥
मातपिता की बन्दि छुड़ाई ।
उग्रसेन कहँ राज दिलाई ॥
महि से मृतक छहों सुत लायो ।
मातु देवकी शोक मिटायो ॥
भौमासुर मुर दैत्य संहारी ।
लाये षट दश सहसकुमारी ॥
दै भीमहिं तृण चीर सहारा ।
जरासिंधु राक्षस कहँ मारा ॥24॥
असुर बकासुर आदिक मार्यो ।
भक्तन के तब कष्ट निवार्यो ॥
दीन सुदामा के दुःख टार्यो ।
तंदुल तीन मूंठ मुख डार्य ॥..
कृष्ण चालीसा में किस प्रकार से भगवान् कृष्ण की महिमा प्रकट होती है?
कृष्ण चालीसा में भगवान् कृष्ण की महिमा अनेक प्रकार से प्रकट होती है. इसमें उनके सुंदर स्वरुप, आलोकित मुख, मुरली के संग, और नंद-नंदन के रूप में उनके समस्त गुणों का वर्णन होता है. कृष्ण चालीसा में प्रतियों, प्रेमियों, साधकों, और समस्त भक्तों के मन-मनि-महिमा को प्रकट करते हुए, उनकी प्रेम-लीलाओं, महानतमता, सहानुभूति, समर्पण, और प्रेम-पूर्ण भावनाओं का वर्णन भी होता है.
इसमें कृष्ण के अद्भुत लीलाएं, मक्खन चोरी, गोपियों के संग नृत्य, कालिया मर्दन, प्रहलाद-संवाद, और महाभारत में कृष्ण की समर्थता के प्रमाणों का वर्णन होता है. साथ ही, इसमें प्रकट होता है कि कृष्ण सबके मन-मनि-महिमा से प्रसन्न होते हैं और समस्त प्रेम-पूर्ण भक्ति को सुनिश्चित प्रकट करते हैं.
ह3: मुकुंद
कृष्ण चालीसा में ‘मुकुंद’ (Mukund) शब्द का प्रयोग होता है. ‘मु’ (Mu) शब्द से यह सूचित होता है कि कृष्ण उन सबके मुखरित मनोहारी स्वरुप हैं, जो उनकी प्रेम-लीलाओं को सुंदरता और मनमोहकता के साथ प्रस्तुत करते हैं. ‘कुंद’ (Kund) शब्द से यह समझा जाता है कि कृष्ण हमारे मन को प्रकाशित करने, प्रेम-पूर्णता को प्रस्तुत करने, और हमें मुक्ति प्रदान करने में समर्थ हैं.
ह4: गोपाल
कृष्ण चालीसा में ‘गोपाल’ (Gopal) शब्द का प्रयोग होता है. ‘गो’ (Go) शब्द से यह समझा जाता है कि कृष्ण प्रिय-प्रेमिकाओं, समस्त प्रेमियों, और साधकों के हृदय में अपनी प्रियतमता के साथ विराजमान हैं. ‘पाल’ (Pal) शब्द से यह सूचित होता है कि कृष्ण हमें पालन-पोषण करने, संरक्षण करने, और हमें उनकी प्रेम-लीलाओं में प्रवृत्त करने में सक्षम हैं.
कृष्ण चालीसा में प्रमुख मंत्रों, स्तुति-संकलनों, और प्रार्थना-पाठों का समावेश होता है?
कृष्ण चालीसा में प्रमुख मंत्रों, स्तुति-संकलनों, और प्रार्थना-पाठों का समावेश होता है जो भक्तों के द्वारा पढ़े जाते हैं या सुने जाते हैं। इसमें कृष्ण की महिमा, गुण, और करुणा के संकलन किए गए मंत्र, स्तुति, और प्रार्थनाएं होती हैं।
किस प्रकार से कृष्ण चालीसा का पाठ या सुनना भक्तों के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालता है?
कृष्ण चालीसा का पाठ या सुनना भक्तों के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालता है। इसमें कृष्ण के मंत्रों, स्तुति-संकलनों, और प्रार्थना-पाठों की प्रभावशाली शक्ति होती है, जिससे मन, शरीर, और आत्मा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
कृष्ण ने राधा से शादी क्यों नहीं की?
ब्रह्मावैवर्त पुराण के अनुसार, राधा का विवाह यशोदा के भाई रायान गोपा से हुआ था और राधा को कृष्ण की मामी के रूप में मान्यता दी गई थी। इसी कारण से उन्होंने शादी नहीं की थी।
कृष्ण की पत्नी कितनी थी?
2022 के जन्माष्टमी के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की 8 पत्नियां थीं। उनके नाम थे रुक्मणि, जाम्बवंती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रविन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा। नरकासुर के कारण भगवान श्रीकृष्ण को 16000 नारियों के साथ विवाह करना पड़ा।
कृष्ण भक्ति कैसे की जाती है?
भगवान कृष्ण की सोच को स्थापित करें, जिसमें वह गाय के साथ हों। – नित्य प्रातः उन्हें तुलसी के पत्ते डालकर पंचामृत अर्पित करें। – इसके बाद “श्रीकृष्णम् शरणम् मम” का जाप करें। – पंचामृत का प्रसाद लें।
कृष्ण या कृष्णा सही क्या है?
‘कृष्ण’ एक पुल्लिंग है जबकि ‘कृष्णा’ एक स्त्रीलिंग है। ‘कृष्ण’ का अर्थ होता है – काला, श्याम, देवकी/यशोदा के पुत्र श्रीकृष्ण। ‘कृष्ण’ से ‘कृष्णपक्ष’ शब्द बनता है, जो माह में अंधेरे के सप्ताह के रूप में जाना जाता है। ‘कृष्णा’ का अर्थ होता है – द्रौपदी, जो महाभारत काल में राजा द्रुपद की पुत्री थीं।
श्री राधा जी की अंतिम इच्छा क्या है?
राधा ने कहा कि उन्हें कृष्ण को बांसुरी बजाते देखना है, और इसलिए कृष्ण ने एक मधुर धुन में बांसुरी बजाई. राधा ने धुन सुनते-सुनते अपने शरीर को छोड़ दिया.
कृष्ण भगवान की सबसे प्रिय पत्नी कौन थी?
रुक्मिणी भगवान कृष्ण की पत्नी थीं। वे लक्ष्मी के अवतार के रूप में भी मानी जाती हैं। उन्होंने श्रीकृष्ण के साथ प्रेम विवाह किया था।