
शारदा आरती / Sharada Aarti के बारे में कुछ बताएं
शारदा आरती / Sharada Aarti हिन्दू धर्म में माँ सरस्वती को समर्पित एक प्रमुख पूजा प्रक्रिया है। इस आरती को प्रतिदिन समय-समय पर पढ़ने से माँ सरस्वती की कृपा मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। शारदा, संस्कृति, सनातन धर्म, समृद्धि-समृद्धि के प्रतीक होने के कारण, इसका महत्व अपार होता है।
माँ सरस्वती / Sharada Aarti को ‘ज्ञान-की-मुल’ (The Root of Knowledge) माना जाता है, और ‘लेखन-कला’ (The Art of Writing) के प्रमुख प्रेषक (The Chief Propagator) के रूप में भी पूजा जाता है। शारदा आरती के पठन से माँ सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है, और उनके आशीर्वाद से छात्रों, कला-संस्कृति कर्मियों, लेखकों, गीतकारों, महिलाओं, मनोहारियों, समुद्र-यात्रियों, समुद्र-पुत्रियों (Sailors), पेट्रोलियम-महिलाओं (Petroleum Women), पेट्रोलियम-कर्मियों (Petroleum Workers), पेट्रोलियम-क्षेत्र (Petroleum Field) के 7.5% से 15% (7.5% to 15%) कर्मियों, महिला-सुपरवाइजर (Female Supervisors), महिला-पुलिस (Female Police Officers), महिला-सैनिक (Female Soldiers), महिला-न्यायिका (Female Judge), और अन्य महिलाओं को बहुत ही शक्तिशाली सामरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, और प्रभावशाली बना सकते हैं।
शारदा आरती / Sharada Aarti के प्रमुख मंत्रों का प्रमुख महत्व
शारदा आरती / Sharada Aarti में कुछ प्रमुख मंत्रों का प्रमुख महत्व होता है। “ॐ सरस्वति महाभागे, विद्ये कमललोचने” (Om Saraswati Mahabhage, Vidye Kamalalochane) – इस मंत्र के पूरे पाठ से संस्कृििििििििक (Cultural), सनातन (Eternal), और समृिि्््क/लिए (Prosperity and Abundance) के 100% (Hundred Percent) प्रप्त हो सकता है। “सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि” (Saraswati Namastubhyam, Varade Kamarupini) – इस मंत्र का प्रतिदिन पाठ करने से शिक्षा, कला, समृद्धि, और सफलता में वृद्धि होती है।
हिन्दी संस्कृति, सनातन धर्म, और समृद्धि-समृद्धि के प्रतीक “शारदा आरती” के बारे में प्रमुख सूक्ष्म-प्रकृतिक ज्ञान
- माँ सरस्वती / Sharada Aarti हिन्दी संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं, उनकी पुजा-पाठ संस्कृिििििििक नीति-नियम, कानून, संविधान, और भाषा (Language) के प्रतीक है।
- हिन्दी संस्कृति में संस्कृिििििििक माँ सरस्वती को “ज्ञान-की-मुल” (The Root of Knowledge), “लेखन-कला” (The Art of Writing) के प्रमुख प्रेषक (The Chief Propagator) के रूप में माना जाता है।
- शारदा आरती के पठन से माँ सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है, और उनके आशीर्वाद से छात्रों, कला-संस्कृति कर्मियों, लेखकों, गीतकारों, महिलाओं, मनोहारियों, समुद्र-यात्रियों, समुद्र-पुत्रियों (Sailors), पेट्रोलियम-महिलाओं (Petroleum Women), पेट्रोलियम-कर्मियों (Petroleum Workers), पेट्रोलियम-क्षेत्र (Petroleum Field) के 7.5% से 15% (7.5% to 15%) कर्मियों, महिला-सुपरवाइजर (Female Supervisors), महिला-पुलिस (Female Police Officers), महिला-सैनिक (Female Soldiers), महिला-न्यायिका (Female Judge), और अन्य महिलाओं को बहुत ही शक्तिशाली सामरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, और प्रभावशाली बना सकते हैं।
हिन्दी में शारदा आरती / Sharada Aarti कैसे पढ़ी जाती है?
शारदा आरती / Sharada Aarti को पढ़ने के लिए सबसे पहले, समर्पित व्यक्ति को ध्यान में लेकर संकल्प पढ़ना होता है। संकल्प में, व्यक्ति को माँ शारदा के समक्ष अपनी प्रार्थना प्रकट करनी होती है, और माँ की कृपा, सुरक्षा, संतुलन, बुद्धि, समृद्धि, और सुंदरता की मांग करती है।
प्रसिद्ध “हे माँ” (Hey Maa) मंत्र के पश्चात्, “संपूर्न” (Sampoorna) मंत्र प्रकट होता है, जिसमें माँ को समर्पित होने का संकल्प और उनसे कृपा की प्रार्थना होती है। इसके बाद, शारदा आरती के प्रमुख मंत्रों को सुनाने का समय आता है।
हे माँ (Hey Maa) मंत्र:
हे माँ, हे माँ, हे माँ, हे माँ,
हे माँ, हे माँ, हे माँ,
हे माँ, हे माँ, हे माँ, हेम्
हेम्-सुख-प्रदेहि!
संपूर्ण (Sampoorna) मंत्र:
सर्वम्-ज्ञेयम्-जगन्मयम्,
सर्व-प्रकृति-पिण्डितम्,
सर्व-लोक-पिता-महेश्वरम्,
सर्व-भूति सुन्दरी!
हेम् सुख प्रदेहि!
क्या शारदा आरती / Sharada Aarti को संग्रहीत किया गया है?
हाँ, शारदा आरती / Sharada Aarti को संग्रहीत किया गया है। इसे प्रमुखतः “नवरात्रि” में माँ शारदा के पूजन के समय पढ़ा जाता है। नवरात्रि, माँ शारदा की पूजा-पाठ के नौ दिनों के पर्व होते हैं, और इसके समय में महिलाएं, पुरुष, बुध्धिमान्, संत-महात्मा, संस्कृति-प्रेमी, संस्कृति-प्रेमिका, और मनोहारी-संस्कृति-कला-कलाकार सम्पन्न होकर मिलकर माँ की प्रसन्नता प्रकट करने के लिए “निश्पक्ष” (Nishpaksh) होते हैं। इस पर्व के दौरान, शारदा आरती को संग्रहीत किया जाता है, जिसमें माँ की महिमा, कृपा, और सुंदरता की प्रशंसा होती है।
नवरात्रि:
नवरात्रि, हिन्दू धर्म में माँ शक्ति की पूजा-पाठ के प्रमुख पर्वों में से एक है। यह पर्व 9 दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें महिषासुरमर्दिनी (माँ दुर्गा) की प्रसन्नता प्रकट की जाती है।
हिन्दी संस्करण में शारदा आरती के प्रमुख पंक्तियों को सुनाएं
हे माँ, हे माँ, हे माँ, हे माँ,
हे माँ, हे माँ, हे माँ,
हे माँ, हे माँ, हे माँ, हेम्
हेम्-सुख-प्रदेहि!
सर्वम्-ज्ञेयम्-जगन्मयम्,
सर्व-प्रकृति-पिण्डितम्,
सर्व-लोक-पिता-महेश्वरम्,
सर्व-भूति सुन्दरी!
हेम् सुख प्रदेहि!
शारदा आरती में प्रमुख मंत्रों का प्रमुख महत्व
शारदा आरती / Sharada Aarti के प्रमुख मंत्रों का प्रमुख महत्व इस आरती को पूरी करने का संकल्प और माँ की कृपा की प्रार्थना है। “हे माँ” (Hey Maa) और “संपूर्न” (Sampoorna) मंत्रों के माध्यम से, व्यक्ति माँ की प्रसन्नता, सुरक्षा, बुद्धि, समृद्धि, और सुंदरता की प्रार्थना करता है। इन मंत्रों के जाप से माँ की कृपा प्राप्त होती है और उनकी आशीर्वाद से जीवन में समृद्धि और सुख-शांति प्राप्त होती है।
शारदा आरती के माध्यम से हिंदी भाषा में संक्षेप में एक संपूर्णता का निर्माण होता है।
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https://en.wikipedia.org/wiki/Sringeri_Sharadamba_Temple
शारदा आरती / Sharada Aarti
भुवन विराजी शारदा महिमा अपरम्पार ।
भक्तों के कल्याण को धरो मात अवतार ॥
मैया शारदा तोरे दरबार, आरती नित गाऊँ ।
श्रद्धा का दीया प्रीत की बाती, असुअन तेल चढ़ाऊँ ॥
दर्श तोरे पाऊँ, मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ ।
मन की माला आँख के मोती, भाव के फूल चढ़ाऊँ ॥
दर्श तोरे पाऊँ, मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ ।
बल को भोग स्वांस दिन राती, कंधे से विनय सुनाऊँ ॥
दर्श तोरे पाऊँ, मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ ।
तप को हार कर्ण को टीका, ध्यान की ध्वजा चढ़ाऊँ ॥
दर्श तोरे पाऊँ, मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ ।
माँ के भजन साधु सन्तन को, आरती रोज सुनाऊ ॥
दर्श तोरे पाऊँ, मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ ।
सुमर – सुमर माँ के जस गावें, चरनन शीश नवाऊँ ॥
दर्श तोरे पाऊँ, मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ ।
मैया शारदा तोरे दरबारआरती नित गाऊँ ॥
॥ इति माँ शारदा आरती संपूर्णम् ॥