Hanuman Chalisa in Kannada

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तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा में रचित हनुमान चालीसा को कौन नहीं जानता। हनुमान चालीसा में श्रीराम के साथ हनुमान जी का बखूबी वर्णन किया गया है। पुरे भारत में विख्यात हनुमान चालीसा जन कल्याण हेतु है। अगर आप कन्नड़ भाषा जानते हैं और Hanuman Chalisa in Kannada में पढ़ना चाहते हैं, तब आपको कहीं और जाने की जरुरत नहीं है, क्यूंकि यहाँ हनुमान चालीसा कन्नड़ भाषा में उपलब्ध है जिसे आप इस आर्टिकल में आगे पढेंगे! 

हनुमान जी के जन्म से जुडी बातें

हिन्दू धर्म के अनुसार हनुमान जी का जन्म चैत्र महीने में मंगलवार के दिन हुआ था। उनकी माता अंजनी और पिता केसरी थे। हनुमान जी को पवन देवता का अंश भी माना जाता था, जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें पवन पुत्र हनुमान के नाम से भी जाना जाता है। एक पुरानी मान्यता के अनुसार राजा केसरी के प्रिय हाथी का देहांत हो गया था, जिसका मुख्य कारण था इस  शंखबल नामक हाथी ने अपना आपा खो दिया था, जिसकी वजह से उसको मृत्यु के घाट उतारना पड़ा। इस घटना के बाद राजा केशरी शोक में डूब चुके थे, जिसको देखते हुए संतो ने उन्हें एक  बलशाली पुत्र का वरदान दिया था, वह कोई और नहीं भगवान हनुमान जी थे।

भगवान हनुमान से तुलसीदास का मिलन

एक पुराणी कथा के अनुसार-

जब तुलसीदास जी एक चौपाई लिखकर गाँव की तरफ जाने लगे, तब उन्हें एक बैल दिखाई दिया था। जिसे देखकर एक छोटे बच्चे ने उन्हें आगे जाने से मना किया। लेकिन उस बच्चे की बात अनसुनी करके तुलसीदास आगे बढे और जाने लगे। आगे बढ़ते ही उस बैल ने तुलसीदास पर वार कर दिया, जिस कारण तुलिदास जमीन पर गिर पड़े और वह क्रोधित हो उठे। तुलसीदास जी अपने लिखे चौपाई के पन्नो को फाड़ने की चेष्ठा की और अपने लिखे हुए चौपाई को गलत ठहराने लगे। तभी वहां हनुमान जी प्रकट हो गए, और उनसे इसका कारण पूछने लगे। फिर तुलसीदास जी ने अपने चौपाई के बारे में बताया।

सिय राम मय  सब जग जानी। 

करहु प्रणाम जोरी जग पानी।।

अथार्त हर प्राणी में भगवन राम का वश है यह सारा जग जानता है, इसलिए हमें उन्हें प्रणाम करना चाहिए।

हनुमान जी ने इस चौपाई को बिल्कुल सही बताया और बैल वाली घटना का कारण भी बतया। इसी समय तुलसीदास पहली बार हनुमान जी से मिले थे।हनुमान चालीसा हिंदी में पढ़े|

हनुमान चालीसा में सूर्य और पृथ्वी की दुरी का वर्णन

हनुमान चालीसा का उपयोग सिर्फ जन कल्याण हेतु ही नहीं हुआ है, बल्कि इसमें अनेको राज छुपे हैं जोकि शायद ही आपको पता हो। तुलसीदास ने मुगलकाल शासन में ही  हनुमान चालीसा के 18 वी चौपाई में सूर्य से पृथ्वी की दुरी का वर्णन कर दिया था। इसका सत्यापन तब हो पाया था जब वैज्ञानिको ने खुद अंतरिक्ष यान द्वारा इसका आकलन किया था। 

हनुमान चालीसा की 18 वी चौपाई- 

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू,

लील्यो ताहि मधुर फल जानू 

इस चौपाई के अनुसार जुग मतलब 12000 वर्ष, सहस्त्र मतलब 1000, जोजन (योजन) 8 मिल, भानु मतलब सूर्य है। अगर इसका आकलन किया जाए।

12000 x 1000 x 8 मील, कुल मिलकर हुआ 96000000 मील।

एक मील बराबर 1.6 किलोमीटर होता है।

तो  96000000 x 1.6 किलोमीटर बराबर 153600000 किलोमीटर।

इस तरह से सूर्य से पृथ्वी की दुरी 15 करोड़ किलोमीटर है।

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हनुमान चालीसा कन्नड़ में पढ़ें

हनुमान चालीसा का अनुवाद भारत के अनेक भाषाओ में उपलब्ध है, अगर आप चालीसा को कन्नड़ में पढना चाहते हैं तब आप इसे पूर्ण रूप से निचे पढ़ सकतें है।  

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