सत्यनारायण भगवान की आरती / Shri Satyanarayan Ji Ki Aarti

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सनातन धर्म में सत्यनारायण की आरती एक प्रचलित कथा है, जिसकी कृपा से लोकजन का कल्याण होता है। सत्यनारायण भगवान अर्थात भगवान विष्णु की आरती शुभ कार्यों के लिए पढ़ी जाती है। कुछ लोगो के अनुसार उनकी इच्छापूर्ति के उपरांत सत्यनारायण की आरती को संपन्न किया जाता है। अगर आप सत्यनारायण भगवान की आरती से अपरिचित हैं, तथा इंटरनेट पर इसकी तलाश कर रहें तो जानकारी के लिए बताना चाहेंगे यहां पर आप सत्यनारायण की आरती पूर्ण रूप से प्राप्त कर सकते हैं। आरती के लिए इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ें।

सत्यनारायण भगवान कौन हैं

भगवान विष्णु को सत्यनारायण के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा उनके अनेकों नाम है जैसे ईश, सत्यदेव, सत्यनारायण, भगवान विष्णु। पुराने ग्रंथो के अनुसार धरती पर जब-जब पाप का घड़ा भरता है, भगवान विष्णु अपने अनेकों रूप में अवतरित होते हैं और पाप का नाश करते हैं। भगवान विष्णु ने मनुष्य के कल्याण हेतु अनेकों लीलाएं रची है जिसका पूर्ण विवरण प्राचीन ग्रंथो में बखूबी मिल जाता है।

सत्यनारायण भगवान की आरती करने से होने वाले अनसुने लाभ

सत्यनारायण की आरती से मतलब है भगवान विष्णु जी की आरती। इनकी आरती मुख्य रूप से शुभ कार्यों की शुरुवात पर ही की जाती है। ताकि विभिन्न कार्यों में किसी प्रकार की परेशानियां अथवा अड़चन ना आए। घर निमार्ण के उपरांत उसमे प्रवेश करने से पहले और शादी जैसे अवसर पर सत्यनारायण की आरती का पाठ किया जाता है। सत्यनारायण की आरती के विभिन्न लाभों के बारे में जानने के लिए आगे पढ़ें।

  • सत्यनारायण की आरती करने वाले हमेशा सुखी रहते हैं।
  • इनकी आरती से भक्तो की हर मनोकामना पूर्ण होती है।
  • परिवार में सुख समृद्धि के लिए सत्यनारायण की आरती पाठन करना लाभकारी साबित होता है।
  • वैवाहिक जीवन में सुख शांति के लिए यह आरती की जाती है।
  • लोकजन के स्वास्थ्य कल्याण हेतु सत्यनारायण की आरती लाभकारी होती है।
  • सत्यनारायण की आरती करने से सफलता में उन्नति मिलती है।
  • अपनी गलतियों का पश्चताप करने हेतु  इस आरती का स्मरण किया जाता है, जिससे हर पाप नष्ट हो जाते हैं।

विष्णु जी की आरती के लाभ|

सत्यनारायण पूजा सामग्री लिस्ट

सत्यनारायण की आरती करने से पहले हमे कुछ महत्वपूर्ण पूजा सामग्री एकत्रित कर लेना चाहिए ताकि पूजा के समय इन सामग्रियों का उपयोग आसानी से किया जा सके। यहां पर दी गई कुछ सामग्री इस प्रकार हैं।

  • नारियल
  • सुपारी
  • लौंग
  • इलाइची
  • पान के पत्ते
  • केले के पत्ते
  • रोली
  • मोली
  • आम के पत्ते
  • छोटी लकड़ियां
  • आटे का प्रसाद
  • पंचामृत
  • पंजारी
  • धूप अगरबत्ती
  • फूल माला

सत्यनारायण पूजा हवन विधि

अगर आप अपने घर में सत्यनारायण जी की पूजा अर्चना स्थापित करने वालें है, तब आपके लिए यह फलदायक साबित हो सकता है। लेकिन उससे पहले आपको सत्यनारायण की आरती से संबंधित पूर्ण विधि का पता होना जरूरी है, ताकि भगवान विष्णु आपकी पूजा अर्चना से प्रसन्न हो जाएं। अगर आप एक सही विधि के साथ सत्यनारायण की आरती पूर्ण कर लेते है तो जल्दी ही मनचाही इच्छा को प्राप्त कर सकते हैं। पूरी विधि जानने के लिए आगे पढ़ें।

  • सत्यनारायण की आरती के लिए सर्वप्रथम केले के बड़े पत्ते से मंडप का निर्माण करें।
  • अब चौकी का प्रबंध करके उसपे लाल वस्त्र से भगवान विष्णु के लिए आसान बनाए, और विष्णु भगवान के साथ श्री गणेश जी को विराजित करें।
  • भगवान विष्णु और गणेश जी के पास जल से भरा कलश और नारियल रखना चाहिए। ऐसा करना शुभमंगल होता है।
  •  भगवान विष्णु को पंचामृत, पंजीरी, और केला का भोग लगाना चाहिए। 
  • शुद्ध दही के साथ मेवे  मिलाकर भगवान विष्णु को स्नान करवाना चाहिए।
  • श्री सत्यनारायण को शुद्ध दूध का भोग लगाना चाहिए।
  • आरती समन होने के बाद अनाज में गेहूं का दान करना शुभ होता है।

सत्यनारायण की पूजा के फ़ायदे|

सत्यनारायण की कथा पढ़ें

अगर आप किसी कार्यो हेतु सुभारंभ के लिए घर में सत्यनारायण की कथा करवाना चाहते हैं तो यहां पर आप सत्यनारायण की आरती पाठ प्राप्त कर सकते हैं और इसका जाप आप आरती के दौरान कर सकते है। जानने के लिए आगे पढ़ें। 

 

 

सत्यनारायण भगवान की आरती

ओम जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।
सत्यनारायण स्वामी जन पातक हरणा॥

ओम जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
रत्‍‌न जडि़त सिंहासन अद्भुत छवि राजै।
नारद करत निराजन घंटा ध्वनि बाजै॥

ओम जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
प्रकट भये कलि कारण द्विज को दर्श दियो।
बूढ़ा ब्राह्मण बनकर कांचन महल कियो॥

ओम जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी।
चन्द्रचूड़ एक राजा तिनकी विपत्ति हरी॥

ओम जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
वैश्य मनोरथ पायो श्रद्धा तज दीन्हों।
सो फल भोग्यो प्रभु जी फिर-स्तुति कीन्हीं॥

ओम जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
भाव भक्ति के कारण छिन-छिन रूप धरयो।
श्रद्धा धारण कीनी, तिनको काज सरयो॥

ओम जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
ग्वाल बाल संग राजा वन में भक्ति करी।
मनवांछित फल दीन्हों दीनदयाल हरी॥

ओम जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
चढ़त प्रसाद सवायो कदली फल, मेवा।
धूप दीप तुलसी से राजी सत्य देवा॥

ओम जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
श्री सत्यनारायण जी की आरती जो कोई नर गावै।
भगतदास तन-मन सुख सम्पत्ति मनवांछित फल पावै॥

ओम जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।

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