Radha Chalisa in hindi pdf – राधा चालीसा

radha chalisa

राधा चालीसा” Radha Chalisa देवी राधा को समर्पित एक भक्ति भजन या प्रार्थना है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिकता में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। राधा को अक्सर हिंदू धर्म में प्रेम और भक्ति के दिव्य अवतार, भगवान कृष्ण की शाश्वत पत्नी के रूप में सम्मानित किया जाता है। “चालीसा” “प्रारूप में चालीस छंद होते हैं, जो आम तौर पर अवधी या हिंदी भाषा में लिखे जाते हैं, प्रत्येक देवता की स्तुति और आशीर्वाद का आह्वान करते हैं। राधा चालीसा के मामले में, ये छंद संदर्भ में देवी राधा के दिव्य गुणों, गुण और भूमिका का जश्न मनाते हैं।

भगवान कृष्ण के साथ उनके रिश्ते के बारे में। भक्त गहरी श्रद्धा और विश्वास के साथ राधा चालीसा का पाठ करते हैं, राधा द्वारा प्रतिनिधित्व की जाने वाली दिव्य ऊर्जा से आध्यात्मिक संबंध, मार्गदर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह भजन राधा के बिना शर्त प्यार, भक्ति और भगवान के प्रति समर्पण का सार प्रस्तुत करता है। कृष्ण, इसे हिंदू धर्म के भीतर भक्ति परंपरा के अनुयायियों के लिए भक्ति प्रथाओं का एक पोषित और अभिन्न अंग बनाते हैं

राधा चालीसा (Radha Chalisa) के बोल हिंदी में क्या हैं?

राधा चालीसा के बोल हिंदी में समर्पण करते समय, प्रमुखतः 40 पंक्तियों के समर्पण के पश्चात्, “राधा-प्रेम” (Radha-Prem) के 5 पंक्ति-पंक्ति/मनोहर-मनोहर/प्रेम-प्रेम/मोह-मोह/रस-रस/लीला-लीला आदि के आधार पर, राधा-प्रेम में समर्पित 5 पंक्ति/मनोहरता के श्लोकों की सूची प्रस्तुत की जा सकती है।

राधा-प्रेम पंक्तियाँ:

  1. मनोहर मुख मोहिनी मुरली, श्याम सुंदर अलि
  2. सुनत ब्रज में सब गोपियाँ, प्रेम-पिय के गुन गावत हैं
  3. मन ही मन से, हरि के नाम को, सदा सुनत हैं प्रियतमा

इस प्रकार, “राधा-प्रेम” (Radha-Prem) के 5 पंक्ति/मनोहरता के श्लोकों के संकलन को “राधा चालीसा” (Radha Chalisa) कहा जा सकता है।

राधा चालीसा (Radha Chalisa)के प्रमुख स्त्रोतों में से कौन-कौन से हिंदी में हैं?

राधा चालीसा के प्रमुख स्त्रोतों में से हिंदी में प्रस्तुति हेतु, “पद्म पुराण”, “ब्रह्म-वैवर्त पुराण”, “स्कंद पुराण”, “पद्म-पुराण”, “लिङ्ग-पुराण”, आदि प्रमुख स्त्रोतों का उपयोग किया जाता है।

राधा चालीसा के प्रमुख स्त्रोत:

  • पद्म पुराण
  • ब्रह्म-वैवर्त पुराण
  • स्कंद पुराण
  • पद्म-पुराण
  • लिङ्ग-पुराण

इन संस्कृत में लिखित प्रमुख स्त्रोतों के अलावा, “राधा चालीसा” के हिंदी में अनुवाद/संकलन के लिए “कृष्ण-कृपा” (Krishna-Kripa), “हरि-हरि मनोहरी” (Hari-Hari Manohari), “मनोहर मनोहरी” (Manohar Manohari), “मनमोहन मुकुंद” (Manmohan Mukund) आदि स्रोतों के प्रमुख श्लोकों का प्रयोग किया जाता है।

“राधा चालीसा”(Radha Chalisa) के हिन्दी में अनुवादित प्रमुख पंक्ति/पंक्तियों सूची 

“राधा चालीसा” के हिन्दी में अनुवादित 5 प्रमुख पंक्ति/पंक्तियों की सूची है –

  1. मनोहर मुख मोहिनी मुरली, श्याम सुंदर अलि
  2. सुनत ब्रज में सब गोपियाँ, प्रेम-पिय के गुन गावत हैं
  3. मन ही मन से, हरि के नाम को, सदा सुनत हैं प्रियतमा
  4. मनमोहन मुकुंद मुरली, सहस-बहस गोरी धाम
  5. मन में राखूँ, मनोहर श्याम, प्रेम-प्रिय के नाम

क्या “राधा चालीसा” (Radha Chalisa) को हिन्दी में पढने से किस प्रकार का सत्संग/मनोहरता मिलती है?

“राधा चालीसा” को हिन्दी में पढने से, भक्ति-पूर्ण संस्कृति में सम्पूर्णता/पूर्णता/मनोहरता/सुंदरता-सुंदरता/लीला-लीला/प्रेम-प्रेम/मोह-मोह/रस-रस/मनोहर-मनोहर संगीत, संकलन, सुंदरकाण्ड, आदि प्रकार के सत्‍संग (Satsang) / मनोहरता (Manoharata) / रस (Rasa) / प्रेम (Prem) / मुकुंद (Mukund) का आनंद प्राप्त होता है। यह सत्संग धार्मिक, मनोहर, और आनंदमय होता है, जिससे मन, शरीर, और आत्मा को सुकून मिलता है।

“राधा चालीसा” के हिंदी अनुवाद में उपलब्ध प्रमुख श्लोकों का संकलन कहाँ मिलेगा?

“राधा चालीसा” के हिन्दी में प्रस्तुत/अनुवादित प्रमुख 5 पंक्ति/मनोहरता के श्लोक संकलन/सूचि “राधा-प्रेम” (Radha-Prem)

समारोह के अनुसार, हिंदी भाषा में ‘राधा चालीसा’ के आधार पर संक्षेप में और सुव्यवस्थित निष्कर्ष प्रस्तुत किया जा सकता है।

Radha Chalisa in Hindi – 

श्री राधा चालीसा 


।। दोहा ।।

श्री राधे वुषभानुजा , भक्तनि प्राणाधार ।

वृन्दाविपिन विहारिणी , प्रानावौ बारम्बार ।।

जैसो तैसो रावरौ, कृष्ण प्रिय सुखधाम ।

चरण शरण निज दीजिये सुन्दर सुखद ललाम ।।

।। चौपाई ।।

जय वृषभानु कुँवरी श्री श्यामा, कीरति नंदिनी शोभा धामा ।।

नित्य बिहारिनी रस विस्तारिणी, अमित मोद मंगल दातारा ।।1।।

राम विलासिनी रस विस्तारिणी, सहचरी सुभग यूथ मन भावनी ।।

करुणा सागर हिय उमंगिनी, ललितादिक सखियन की संगिनी ।।2।।

दिनकर कन्या कुल विहारिनी, कृष्ण प्राण प्रिय हिय हुलसावनी ।।

नित्य श्याम तुमररौ गुण गावै,राधा राधा कही हरशावै ।।3।।

मुरली में नित नाम उचारें, तुम कारण लीला वपु धारें ।।

प्रेम स्वरूपिणी अति सुकुमारी, श्याम प्रिया वृषभानु दुलारी ।।4।।

नवल किशोरी अति छवि धामा, द्दुति लधु लगै कोटि रति कामा ।।

गोरांगी शशि निंदक वंदना, सुभग चपल अनियारे नयना ।।5।।

जावक युत युग पंकज चरना, नुपुर धुनी प्रीतम मन हरना ।।

संतत सहचरी सेवा करहिं, महा मोद मंगल मन भरहीं ।।6।।

रसिकन जीवन प्राण अधारा, राधा नाम सकल सुख सारा ।।

अगम अगोचर नित्य स्वरूपा, ध्यान धरत निशिदिन ब्रज भूपा ।।7।।

उपजेउ जासु अंश गुण खानी, कोटिन उमा राम ब्रह्मिनी ।।

नित्य धाम गोलोक विहारिन , जन रक्षक दुःख दोष नसावनि ।।8।।

शिव अज मुनि सनकादिक नारद, पार न पाँई शेष शारद ।।

राधा शुभ गुण रूप उजारी, निरखि प्रसन होत बनवारी ।।9।।

ब्रज जीवन धन राधा रानी, महिमा अमित न जाय बखानी ।।

प्रीतम संग दे ई गलबाँही , बिहरत नित वृन्दावन माँहि ।।10।।

राधा कृष्ण कृष्ण कहैं राधा, एक रूप दोउ प्रीति अगाधा ।।

श्री राधा मोहन मन हरनी, जन सुख दायक प्रफुलित बदनी ।।11।।

कोटिक रूप धरे नंद नंदा, दर्श करन हित गोकुल चंदा ।।

रास केलि करी तुहे रिझावें, मन करो जब अति दुःख पावें ।।12।।

प्रफुलित होत दर्श जब पावें, विविध भांति नित विनय सुनावे ।।

वृन्दारण्य विहारिनी श्यामा, नाम लेत पूरण सब कामा ।।13।।

कोटिन यज्ञ तपस्या करहु, विविध नेम व्रतहिय में धरहु ।।

तऊ न श्याम भक्तहिं अहनावें, जब लगी राधा नाम न गावें ।।14।।

व्रिन्दाविपिन स्वामिनी राधा, लीला वपु तब अमित अगाधा ।।

स्वयं कृष्ण पावै नहीं पारा, और तुम्हैं को जानन हारा ।।15।।

श्री राधा रस प्रीति अभेदा, सादर गान करत नित वेदा ।।

राधा त्यागी कृष्ण को भाजिहैं, ते सपनेहूं जग जलधि न तरिहैं ।।16।।

कीरति हूँवारी लडिकी राधा, सुमिरत सकल मिटहिं भव बाधा ।।

नाम अमंगल मूल नसावन, त्रिविध ताप हर हरी मनभावना ।।17।।

राधा नाम परम सुखदाई, भजतहीं कृपा करहिं यदुराई ।।

यशुमति नंदन पीछे फिरेहै, जी कोऊ राधा नाम सुमिरिहै ।।18।।

रास विहारिनी श्यामा प्यारी, करहु कृपा बरसाने वारी ।।

वृन्दावन है शरण तिहारी, जय जय जय वृषभानु दुलारी ।।19।।

।।दोहा।।

श्री राधा सर्वेश्वरी , रसिकेश्वर धनश्याम ।

करहूँ निरंतर बास मै, श्री वृन्दावन धाम ।।

Radha Chalisa in Hindi PDF

राधा रानी की सेवा कैसे की जाती है?

श्रीकृष्ण और राधारानी के लिए चंदन, अक्षत, फूल और फल चढ़ाएं। इसके बाद धूप और दीप से आरती करें। आरती के बाद राधा-कृष्ण के मंत्रों का जाप करें। यह मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण की पूजा बिना राधा के अधूरी मानी जाती है।

राधा क्या होता है?

राधा हिन्दू धर्म की प्रमुख देवी हैं, जिन्हें कृष्ण की प्रेमिका और संगिनी के रूप में चित्रित किया जाता है। उन्हें राधा कृष्ण के रूप में पूजा जाता है। वे बरसाना के प्रतिष्ठित यादव राजा वृषभानु गोप की पुत्री और लक्ष्मी के अवतार मानी जाती हैं, जैसा कि पद्म पुराण में उल्लेख किया गया है।

राधा रानी का प्रिय भोग क्या है?

फारब्स की जानकारी के मुताबिक, वित्तीय संकट के दौरान, मोर्गन स्टैनली ने 2007 और 2008 के बीच अपने बाजारी मान्यता का लगभग 80% खो दिया। संकट से बचने के लिए, कंपनी ने कई संस्थाओं से पूंजी प्रवाह प्राप्त की।

क्या राधा और लक्ष्मी एक ही है?

वह प्रेम, कोमलता, करुणा और भक्ति की देवी हैं। शास्त्रों में, राधा के रूप में उल्लेख किया गया है जो लक्ष्मी के अवतार के रूप में भी हैं और साथ ही मूलभूत प्रकृति, सर्वोच्च देवी, जो कृष्ण की स्त्री समकक्ष और आंतरिक शक्ति (ह्लादिनी शक्ति) हैं। राधा कृष्ण के सभी अवतारों में उनके साथ हैं।

राधे राधे दो बार क्यों कहा जाता है?

मोर पंख, पीतांबरी और कृष्ण स्वरूप वाले बनकर राधा रानी भ्रमण करने लगीं। कृष्ण जाते जाते अपनी बांसुरी राधा रानी को दे गए थे। बृजवासियों को यह पता था कि यह राधा हैं, जो श्री कृष्ण के रूप में घूमती हैं। इसलिए बृज के लोग उन्हें “हे राधे-हे राधे” कहकर पुकारते थे।

राधे के आगे श्री क्यों लगाते हैं?

धर्म और विश्वास के मान्यताओं के अनुसार, यदि हम श्री शब्द का उपयोग करते हैं तो राधा रानी को राधे कहा जाता है, जिससे कृष्ण की याद भी आती है। इसीलिए कृष्ण और राम जी के सामर्थ्य को दर्शाने के लिए हम उनके नाम के आगे श्री शब्द का उपयोग करते हैं। 12 फरवरी, 2023 को।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *