Chintpurni chalisa in hindi pdf-चिंतपूर्णी चालीसा

Chintpurni chalisa

Chintpurni chalisa का परिचय

चिंतपूर्णी चालीसा / Chintpurni chalisa एक प्रतिष्ठित भक्ति रचना है जिसमें देवी चिंतपूर्णी को समर्पित चालीस छंद शामिल हैं, जिन्हें माता चिंतपूर्णी के नाम से भी जाना जाता है। यह पवित्र भजन हिंदू परंपरा में महत्वपूर्ण महत्व रखता है और देवी का आशीर्वाद और कृपा पाने के लिए अनुयायियों द्वारा गहरी भक्ति के साथ इसका पाठ किया जाता है। भारत के हिमाचल प्रदेश की शांत पहाड़ियों में स्थित चिंतपूर्णी मंदिर, इस भक्ति अभ्यास के लिए केंद्र बिंदु के रूप में कार्य करता है।

चालीसा की पंक्तियाँ श्रद्धा और विश्वास की भावनाओं से ओत-प्रोत हैं, देवी चिंतपूर्णी के दयालु और पोषण गुणों की प्रशंसा करती हैं। भक्तों का मानना ​​है कि इन छंदों को ईमानदारी से पढ़ने से चिंताएं, संदेह और चुनौतियां कम हो सकती हैं और देवी के साथ आध्यात्मिक संबंध को बढ़ावा मिल सकता है। चिंतपूर्णी चालीसा धार्मिक अनुष्ठानों का एक अभिन्न अंग बन गया है, खासकर त्योहारों और शुभ अवसरों के दौरान, जहां भक्त छंदों का पाठ करने के लिए इकट्ठा होते हैं और अपनी इच्छाओं की पूर्ति और बाधाओं को दूर करने के लिए देवी का आशीर्वाद मांगते हैं।

भक्तों की स्थायी आस्था और सांस्कृतिक विरासत के प्रमाण के रूप में, चिंतपूर्णी चालीसा एक माध्यम के रूप में कार्य करती है जिसके माध्यम से व्यक्ति देवी के प्रति अपनी भक्ति, कृतज्ञता और आशा व्यक्त कर सकते हैं। इसके छंद देवी चिंतपूर्णी का आशीर्वाद चाहने वालों को सांत्वना, मार्गदर्शन और आंतरिक सद्भाव प्रदान करते हुए, परमात्मा के साथ जुड़ाव की गहरी भावना को प्रेरित करते हैं।

 

क्या चिंतपूर्णी चालीसा हिंदी में उपलब्ध है?

हाँ, चिंतपूर्णी चालीसा हिंदी में उपलब्ध है। यह चालीसा माँ चिंतपूर्णी को समर्पित है, जो माता प्रथम सति के संबंधित स्थलों में से एक हैं। इसे प्रतिदिन प्रार्थना के रूप में पढ़ने से माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सुख-शान्ति, समृद्धि, सुरक्षा, समस्याओं के समाधान के लिए प्रेम-करुणा की कमना की जाती है।

हिन्दी

हिन्‍दुस्‍तान में 51-52 प्रतिष्‍ठान हैं जहां माता को पहली सती के रूप में पूजा जाता है, और चिंतपूर्णी एक ऐसी ही प्रतिष्‍ठा है। हिन्‍दी में ‘चिंता’ का अर्थ होता है “चि‍न्‍ता से मुक्‍त” ।

महत्व

माँ चिंतपूर्णी के प्रसन्‍न होने पर, समस्याओं का समाधान, सुख-शान्ति, समृद्धि, सुरक्षा, प्रेम-करुणा, मनोकामनाओं की प्राप्‍ति, आरोग्‍य, शक्ति, संप्रेम-संप्रेम के रिश्‍तों की सुरक्षा, और मनोभावनुमानों में वृद्धि होती है।

चिंतपूर्णी चालीसा के प्रमुख संग्रहालय कौन-कौन से हैं?

चिंतपूर्णी चालीसा के प्रमुख संग्रहालय में से कुछ हैं:

1. माता रानी मंदिर, जम्‍मू

माता रानी मंदिर, जम्‍मू को भी “पहला सत्‍तेवन” कहा जाता है, क्‍योंकि यह माता प्रतिष्‍ठानों में से पहला है जहाँ पर्वती (पहली सति) को पूजा जाता है।

2. मनिमहेश्वर मंदिर, हिमाचल प्रदेश

मनिमहेश्वर मंदिर, हिमाचल प्रदेश, भरतपुर (कि‍ल्‍ल) 

3. मनिमहेश्वर मंदिर, उत्तराखंड

मनिमहेश्वर मंदिर, उत्तराखंड, 

Chintpurni chalisa in hindi

जय मां छिनमस्तिका

चित में वसो चिंतपूर्णी ।
छिन्मस्तिका मात ।।
सात बहन की लाड़ली ।
हो जग में विख्यात ।।

माईदास पर की कृपा ।
रूप दिखाया श्याम।।
सब की हो वरदायनी ।
शक्ति तुमे प्रणाम ।।

छिन्मस्तिका मात भवानी ।
कलिकाल में शुभ कलियानी।।
सती आपको अंश दिया है ।
चिंतपूर्णी नाम किया है ।।

चरणों की है लीला न्यारी ।
चरणों को पूजा हर नर नारी ।।
देवी देवता नतमस्तक ।
चैन नाह पाये भजे न जब तक ।।

शांत रूप सदा मुस्काता ।
जिसे देख आनंद आता ।।
एक और कलेश्वर सजे ।
दूसरी और शिववाड़ी विराजे ।।

तीसरी और नारायण देव ।
चौथी और मुचकुंद महादेव ।।
लक्ष्मी नारायण संग विराजे ।
दस अवतार उन्ही में साजे ।।

तीनो दुवार भवन के अंदर ।
बैठे ब्रह्मा ,विष्णु ब शंकर ।।
काली , लक्ष्मी सरस्वती मां ।
सत ,रज ,तम से व्याप्त हुई मां।।

हनुमान योद्धा बलकारी ।
मार रहे भैरव किलकारी ।।
चौंसठ योगिनी मंगल गावे ।
मृदंग छैने महंत वजावे ।।

भवन के नीचे बाबड़ी सूंदर ।
जिसमे जल बेहता है झर झर ।।
संत आरती करे तुम्हरी ।
तुमेः पूजते है नर नारी ।।

पास है जिसके बाग निराले ।
जहाँ है पुष्पों की है वनमाला ।।
कंठ आपके माला विराजे ।
सुहा सुहा चोला अंग साजे ।।

सिंह यहाँ संध्या को आता ।
छिन्मस्तिका शीश नवाता ।।
निकट आपके है गुरुद्वारा ।
जो है गुरु गोबिंद का प्यारा ।।

रणजीत सिंह महाराज बनाया ।
तुम स्वर्ण का छत्र चढ़ाया ।।
भाव तुम्ही से भक्ति पाया ।
पटियाला मंदिर बनवाया ।।

माईदास पर कृपा करके ।
आई होशियारपुर विचर के ।।
अठूर क्षेत्र मुगलो नेह घेरा ।
पिता माईदास ने टेरा ।।

अम्ब छेत्र के पास में आये ।
दोह पुत्र कृपा से पाये ।।
वंश माये नेह फिर पुजवाया ।
माईदास को भक्त बनवाया ।।

सो घर उसके है अपनाया ।
सेवारत है जो हर्षाया ।।
तीन आरती है मंगलमह ।
प्रात: मद्या और संद्यामय ।।

असोज चैत्र मेला लगता ।
पर सावन में आनंद भरता ।।
पान ध्वजा – नारियल चढ़ाऊँ ।
हलवा , चन्ना का भोग लगाऊं ।।

छनन य चुन्नी शीश चढ़ाऊँ ।
माला लेकर तुम्हे ध्याऊँ ।।
मुझको मात विपद ने घेरा ।
जय माँ जय माँ आसरा तेरा ।।

ज्वाला से तुम तेज हो पति,
नगरकोट की शवि है आती ।।
नयना देवी तुम्हे देखकर,
मुस्काती है मैया तुम पर ।।

अभिलाषा मां पूरन कर दो ।
हे चिंतपूर्णी मां झोली भर दो ।।
ममता वाली पलक दिखा दो ।
काम, क्रोध , मद , लोभ हटा दो ।।

सुख दुःख तो जीवन में आते ।
तेरी दया से दुःख मिट जाते ।।
चिंतपूर्णी चिंता हरनी ।
भय नाशक हो तुम भय हरनी ।।

हर बाधा को आप ही टालो,
इस बालक को आप संभालो ।।
तुम्हारा आशीर्वाद मिले जब ।
सुख की कलियाँ खिले तब ।।

कहा तक तुम्हरी महिमा गाऊं ।
दुवार खड़ा हो विनय सुनाऊ ।।
चिंतपूर्णी मां मुझे अपनाओ ।
भव से नैया पार लगाओ ।।

।। दोहा ।।

चरण आपके छू रहा हु , चिंतपूर्णी मात ।
लीला अपरंपार हे , हो जगमें विख्यात ।।

इस चालीसा में किस प्रकार की परंपरा, संगीत और कथा-कहानी सम्मिलित होती है?

चिंतपूर्णी चालीसा में प्राचीन पुराणों, कथा-कहानियों और सुप्रसि‍द्‍ध संतों के अनुसार माँ चिंतपूर्णी के महत्‍वपूर्ण स्‍थलों के बारे में जानकारी होती है।

प्रमुख स्‍मि‍ति

स्‍मि‍ति (कि‍ल्‍ल) – “स्‍मि‍त” (मुस्‍का)

1. प्रमुख स्‍मि‍ति

स्‍मि‍ति (कि‍ल्‍ल) – “स्‍मि‍त” (मुस्‍का)

2. अनुष्ठानिक प्रेम-करुणा

चिंतपूर्णी चालीसा में संगीत, भजन और कथाएं होती हैं, जो माता के प्रेम-करुणा को प्रकट करती हैं।

क्या इस चालीसा में मंत्रों का प्रयोग किया जाता है?

हाँ, चिंतपूर्णी चालीसा में मंत्रों का प्रयोग किया जाता है। माँ चिंतपूर्णी के सुप्रसिद्ध मंत्र “ॐ ह्रीं क्‍लीं सह: सुमुख: सह:” है, जिसे प्रार्थना के समय बोलने से माता की कृपा प्राप्त होती है और सभी संकटों का निवारण होता है।

मंत्र

“ॐ ह्रीं क्‍लीं सह: सुमुख: सह:”

क्या इसमें विशेष महत्वपूर्ण प्रार्थनाएं होती हैं?

हाँ, चिंतपूर्णी चालीसा में कुछ विशेष महत्वपूर्ण प्रार्थनाएं होती हैं, जो माता के प्रसन्‍न होने पर प्रदान किया जाता है:

1. सुख-शान्ति

“सुख-शान्ति, सम्‍प्रेम-सम्‍प्रेम के रिश्‍तों की सुरक्षा, मनोकामनाओं की प्राप्‍ति”

2. समृद्धि

“समृद्धि, संप्रेम-संप्रेम के रिश्‍तों की सुरक्षा, मनोकामनाओं की प्राप्‍ति

 

इसे पढ़ने से मनोभावनुमानों, सुरक्षा, और समृद्धि में किस प्रकार की वृद्धि हो सकती है?

चिंतपूर्णी चालीसा को प्रतिदिन प्रार्थना के रूप में पढ़ने से मनोभावनुमानों, सुरक्षा, और समृद्धि में वृद्धि हो सकती है। माता की कृपा प्राप्‍त होती है और संकटों का निवारण होता है।

1. मनोहानि

मनोहानि (हिमल) – “हल्‍ल” (मुस्‍का)

2. सुरक्षा

चिंतपूर्णी चालीसा के पठन से माता की कृपा प्राप्‍त होती है और संकटों का निवारण होता है, जिससे सुरक्षा में वृद्धि होती है।

3. समृद्धि

समृद्धि, संप्रेम-संप्रेम के रिश्‍तों की सुरक्षा, मनोकामनाओं की प्राप्‍ति”

संक्षेप में कहें तो, हिंदी भाषा में “चिंतपूर्णी चालीसा” शीर्षक पर आधारित संक्षेप में निष्कर्ष यह है कि यह एक हिन्दू प्रार्थना है, जो माता चिंतपूर्णी के समर्पित है। 

READ MORE ; Laxmi Ji Ki Aarti

https://hi.wikipedia.org/wiki/

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *