Saraswati Chalisa in Hindi PDF- सरस्वती चालीसा

Saraswati Chalisa-परिचय

सरस्वती चालीसा हिंदू आध्यात्मिकता में एक प्रतिष्ठित और पोषित रचना है, जिसमें ज्ञान, ज्ञान, कला और शिक्षा की अवतार देवी सरस्वती को समर्पित चालीस छंद शामिल हैं। यह भक्ति भजन उन लोगों के लिए गहरा महत्व रखता है जो बौद्धिक गतिविधियों, रचनात्मकता और ज्ञानोदय के लिए आशीर्वाद चाहते हैं।

देवी सरस्वती को संगीत, कला, साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र का पोषण करने वाली प्रेरणा और मार्गदर्शन के दिव्य स्रोत के रूप में दर्शाया गया है। सरस्वती चालीसा उनके सार को समाहित करती है, उन्हें दिव्य ज्ञान के अंतिम स्रोत और अज्ञान को दूर करने वाली के रूप में चित्रित करती है। चालीसा के छंदों में वाक्पटुता प्रदान करने वाली, विद्वानों की संरक्षक और ज्ञान के मार्ग पर साधकों की मार्गदर्शक के रूप में देवी सरस्वती की विशेषताओं का गुणगान किया गया है।

भक्तों का मानना ​​है कि भक्तिपूर्वक चालीसा का पाठ करके, वे अपनी समझ, रचनात्मकता और सत्य की खोज को बढ़ाने के लिए उनके आशीर्वाद का आह्वान कर सकते हैं। निरंतर सीखने और विकसित होते ज्ञान से प्रेरित दुनिया में, सरस्वती चालीसा प्रेरणा और बुद्धि का अभयारण्य प्रदान करती है। इसके छंद देवी की उत्कृष्ट ऊर्जा के साथ जुड़ाव को प्रेरित करते हैं, भक्तों को अपने चुने हुए क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने और आत्म-खोज की यात्रा पर निकलने के लिए सशक्त बनाते हैं।

ज्ञान की असीम नदी के अवतार के रूप में, सरस्वती चालीसा उन लोगों के लिए एक प्रकाशस्तंभ के रूप में कार्य करती है जो आत्मज्ञान के लिए तरसते हैं। इसके छंदों के माध्यम से, साधक अपने भीतर बहने वाले दिव्य ज्ञान का लाभ उठा सकते हैं, और अपनी समझ की प्यास बुझाने और अपनी चेतना को उन्नत करने के लिए देवी का आशीर्वाद मांग सकते हैं।

 

क्या सरस्वती चालीसा हिंदी भाषा में उपलब्ध है?

हाँ, सरस्वती चालीसा हिंदी भाषा में उपलब्ध है। सरस्वती चालीसा हिन्दुओं के प्रमुख पौराणिक पंथों में प्रमुख स्तोत्रों में से एक है। यह माँ सरस्वती को समर्पित है, जो ज्ञान, कला, संगीत, शिक्षा, बुद्धि, क्रियाशक्‍ति, क्रियाशीलता, सन्‍मुक्‍ति, मनोकामना पूर्‍ति के प्रतीक मानी जाती है।

हिन्‍दी में “सरस्वती” के 40+10=50 (पं. 1-5) + (पं. 6-10) = 50 (पं.) + 4 (प्रमुख) = 54 (पं.) दोहे हैं।

इनमें माँ सरस्वती के प्रमुख गुणों, स्‍तुति, प्रार्थना, आशीर्‍वाद, उपासना, महिमा का वर्णन होता है। सरस्वती चालीसा के पाठ से माँ सरस्वती की कृपा प्राप्‍ति, बुद्धि, ज्ञान, कला, संगीत, शिक्षा में सुकून-शांति प्राप्‍ति होती है।

सरस्वती चालीसा के 54 पं. (2-2) दोहों के मुख्‍य-मुख्‍य पं. (1-5) + 4 (प्रमुख) = 9+4=13 (प्रमुख+) पं. हैं:

  1. महिमा
  2. कलौ”
    • कलिकलेश
    • विद्या
    • ज्ञान-प्रदायिनी
    • महिमा
  3. संकल्प
  4. स्‍तुति
    • सरोजनैनी
    • मातृका
    • महिमा
  5.   प्रार्थना
  • सरोजहस्‍ता
  • महिमा

 

(1) महिमा:

“ब्रह्मवेद, पुराण, गीतों के आलेख, चौरासी सिद्ध, अस्‍त-सिद्ध और नवनीत संकल्‍प के प्रमुख स्‍तुति-पं. हैं।” “महिमा” में माँ सरस्वती के प्रमुख गुणों का उल्‍लेख होता है।

(2) “कलौ”: (1) कलिकलेश, (2) विद्या, (3) ज्ञान-प्रदायिनी, (4) महिमा

“कलौ” के पं. में माँ सरस्वती की प्रमुख गुणों का उल्‍लेख होता है। “कलिकलेश” में सरस्वती के अनुपम रूप, “विद्या” में सरस्वती के प्रमुख स्‍थान, “ज्ञान-प्रदायिनी” में सरस्वती के ज्ञान-स्‍त्रोत, “महिमा” में सरस्वती के प्रमुख गुणों का उल्‍लेख होता है।

(3) “संकल्‍प”:

संकल्‍प में सरस्वती के प्रमुख संकल्‍प, प्रमुख संकल्‍प-हनन, प्रमुख संकल्‍प-हनन के प्रमुख लक्ष्‍य, प्रमुख संकल्‍प-हनन के प्रमुख उपाय का वर्णन होता है।

(4) “स्‍तुति”:

स्‍तुति में माँ सरस्वती की प्रमुख स्‍तुति, प्रमुख स्‍तोत्र-रचना, प्रमुख स्‍तोत्र-रचना के प्रमुख लक्ष्‍य, प्रमुख स्‍तोत्र-रचना के प्रमुख उपाय का वर्णन होता है।

सरस्वती चालीसा के रचयिता कौन हैं?

महाकवि आदि शंकराचार्य

सरस्वती चालीसा के रचयिता महाकवि आदि शंकराचार्य हैं। महाकवि आदि शंकराचार्य, हिन्‍दू संप्रदाय के प्रमुख सन्‍न्‍यासी महापुरुषों में से एक हैं। उन्‍होंने सरस्वती चालीसा को संप्रेषित किया है, जो माँ सरस्वती की प्रतिमा को प्रेम, पुरस्‍कृति, सम्‍मान, प्रेम, पुलकित करने का सम्‍पूर्ण मनोहारी मंत्र है।

महाकवि आदि शंकराचार्य

महाकवि आदि शंकराचार्य, 8वीं सदी के महान आचार्यों में से एक हैं। उन्‍होंने सन्‍न्‍यास प्राप्त करके अपना समस्‍त जीवन माँ सरस्वती की प्रेम-पूजा में समर्पित किया। उन्‍होंने हिन्‍दू धर्म को प्रमुखत: प्रमाणिकता, सत्‍य, प्रेम, पुरस्‍कृति, सम्‍मान, श्रद्धा, पुलकित करने की महत्‍ता को सिखाया है।

 

सरस्वती चालीसा में कुल कितने दोहे होते हैं?

सरस्वती चालीसा में कुल 40 दोहे होते हैं। इन 40 दोहों में सरस्वती माता की प्रशंसा, उनके गुणों का वर्णन, उनके प्रभाव, और उनकी कृपा के बारे में बताया गया है। सरस्वती चालीसा को पढ़ने से माँ सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है और मनुष्‍य को ज्ञान, सम्‍मान, संपत्ति, सुख-शांति, मनोहारिणी-मोहिनी प्रेम-प्रस्‍पर्दा, मुक्‍ति, संस्‍कृति, संगीत, कला-संकल्‍प-सिद्धि प्राप्‍त होती है।

क्या सरस्वती चालीसा में सरस्वती माता के प्रमुख गुणों का उल्लेख होता है?

हाँ

सरस्वती चालीसा में सरस्वती माता के प्रमुख गुणों का उल्लेख होता है। इसमें माँ सरस्वती को ज्ञान, बुद्धि, विद्या, संगीत, कला, संकल्‍प-सिद्धि, प्रेम, पुरस्‍कृति, सम्‍मान, श्रद्धा के स्‍वरूप में प्रकट किया गया है। सरस्वती माता के इन गुणों को प्राप्‍त करने के लिए माँ सरस्वती की प्रेम-पूजा करने की सलाह दी गई है।

सरस्वती चालीसा के पाठ से किस प्रकार में मनोबल में सुधार हो सकता है?

मन:शक्‍ति

सरस्वती चालीसा के पाठ से मनोबल में सुधार हो सकता है। यह चालीसा ज्ञान, विद्या, संगीत, कला, संकल्‍प-सिद्धि के प्रमुख देवी माँ सरस्वती को समर्पित है। इसके पाठ से मन:शक्‍ति में वृद्धि होती है, जिससे मनुष्‍य को अधिक उत्‍साह, प्रेरणा, समर्थन, आत्‍म-विश्‍वास प्राप्‍त होता है।

Saraswati Chalisa in Hindi

। दोहा ।।

जनक जननि पदम दुरज, निजब मस्तक पर धारि।

बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि।।

पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।

दुष्टजनों के पाप को, मातु तुही अब हन्तु।।

।। चौपाई ।।

जय श्रीसकल बुद्धि बलरासी।

जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी।।

जय जय जय वीणाकर धारी।

करती सदा सुहंस सवारी।।

रूप चतुर्भुज धारी माता।

सकल विश्व अन्दर विख्याता।।

जग में पाप बुद्धि जब होती।

तबही धर्म की फीकी ज्योति।।

तबहि मातु का निज अवतारा।

पाप हीन करती महितारा।।

बाल्मीकि जी था हत्यारा।

तव प्रसाद जानै संसारा।।

रामचरित जो रचे बनाई ।

आदि कवि की पदवी पाई।।

कालीदास जो भये विख्याता ।

तेरी कृपा दृष्टि से माता।।

तुलसी सूर आदि विद्वाना ।

भये जो और ज्ञानी नाना।।

तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा ।

केवल कृपा आपकी अम्बा।।

करहु कृपा सोई मातु भवानी।

दुखित दीन निज दासहि जानी।।

पुत्र  करई अपराध बहूता ।

तेहि न धरई चित माता।।

राखु लाज जननि अब मेरी।

विनय करऊ भांति बहुतेरी।।

मैं अनाथ तेरी अवलंबा ।

कृपा करउ जय जय जगदंबा।।

मधुकैटभ जो अति बलवाना ।

बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना।।

समर हजार पांच में घोरा।

फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा।।

मातु सहाय कीन्ह तेहि काला।

बुद्धि विपरीत भई खलहाला।।

तेहि ते मृत्यु भई खल केरी ।

पुरवहु मातु मनोरथ मेरी।।

चण्ड मुण्ड जो थे विख्याता ।

क्षण महु संहारे उन माता।।

रक्त बीज से समरथ पापी ।

सुर मुनि हृदय धरा सब कांपी।।

काटेउ सिर जिम कदली खम्बा।

बार बार बिनवऊं जगदंबा।।

जगप्रसिद्ध जो शुंभ निशुंभा।

क्षण में बांधे ताहि तूं अम्बा।।

भरत-मातु बुद्धि फेरेऊ जाई ।

रामचन्द्र बनवास कराई।।

एहि विधि रावन वध तू कीन्हा।

सुर नर मुनि सबको सुख दीन्हा।।

को समरथ तव यश गुण गाना।

निगम अनादि अनंत बखाना।।

विष्णु रूद्र जस कहिन मारी।

जिनकी हो तुम रक्षाकारी।।

रक्त दन्तिका और शताक्षी।

नाम अपार है दानव भक्षी।।

दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।

दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा।।

दुर्ग आदि हरनी तू माता ।

कृपा करहु जब जब सुखदाता।।

नृप  कोपित को मारन चाहे ।

कानन  में घेरे  मृग  नाहै।।

सागर मध्य पोत के भंजे ।

अति तूफान नहिं कोऊ संगे।।

भूत प्रेत बाधा या दु:ख में।

हो दरिद्र अथवा संकट में।।

नाम जपे मंगल सब होई।

संशय इसमें करई न कोई।।

पुत्रहीन जो आतुर भाई ।

सबै छांड़ि पूजें एहि भाई।।

करै पाठ नित यह चालीसा ।

होय पुत्र सुन्दर गुण ईसा।।

धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै।

संकट रहित अवश्य हो जावै।।

भक्ति मातु की करैं हमेशा।

निकट न आवै ताहि कलेशा।।

बंदी  पाठ  करें  सत  बारा ।

बंदी  पाश  दूर  हो  सारा।।

रामसागर बांधि हेतु भवानी।

कीजे कृपा दास निज जानी।।

।। दोहा ।।

मातु सूर्य कान्ति तव, अंधकार मम रूप।

डूबन से रक्षा कार्हु परूं न मैं भव कूप।।

 

क्‍या सरस्वती चालीसा प्रमुखत: परिशिष्‍ट, प्रकरण, अनुप्रकरण और संकीर्ण काव्‍य है?

हाँ

हाँ, सरस्वती चालीसा प्रमुखत: परिशिष्‍ट, प्रकरण, अनुप्रकरण और संकीर्ण काव्‍य है। इसमें माँ सरस्वती के गुणों, प्रभाव, प्रेम-पूजा के महत्‍त्व, उनकी कृपा के बारे में बताया गया है। सरस्वती चालीसा को पढ़ने से मनुष्‍य को माँ सरस्वती की कृपा प्राप्‍त होती है और उनके प्रमुख गुणों का संकल्‍प-सिद्धि होता है।

सारस्वती चालीसा हिंदी में एक प्रमुख पौराणिक प्रार्थना है, जो संगठित और सुंदर शब्दों में लिखी गई है। यह प्रार्थना माता सरस्वती के समर्पित है, जो ज्ञान, कला, संगीत, विद्या और समस्त कलाओं की प्रतिष्ठा के प्रतीक हैं। सार

सरस्वती जी का मंत्र क्या है?

सरस्वती मंत्र सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी, विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा। हे सबकी कामना पूर्ण करने वाली माता सरस्वती, मैं आपका स्वागत करता हूँ। मैं अपनी विद्या की शुरुआत कर रहा हूँ, मेरे इस कार्य को सफलता मिले। हे देवी, जो सभी प्राणियों में विद्या के रूप में स्थित हैं, आपको नमस्कार है। शत शत

सरस्वती जी कब आती है जुबान पर?

माना जाता है कि प्रात: काल 3:10 से 3:15 तक का समय सर्वोत्तम होता है, और इस समय अगर आप रोज़ अपनी मन की कामना बोलें तो वह पूरी होती है। आगे से प्रात: काल 3:20 से 3:40 के बीच में सरस्वती जी जुबान पर मौजूद होती हैं। इस समय कहे गए हर वाक्य को सरस्वती के जुबान से कहा जाता है। 11 जून, 2023.

सरस्वती माता की कृपा कैसे प्राप्त करें?

मां सरस्वती की प्रतिमा के सामने एक डिपक और एक अगरबत्ती जलानी चाहिए। मां सरस्वती को पीले फूल समर्पित करने चाहिए। मां सरस्वती को पीले चंदन का टीका लगाना चाहिए और उसी चंदन को अपने सिर पर लगाने से मां सरस्वती का आशीर्वाद मिलेगा। इसके बाद मां सरस्वती को पीले रंग की मिठाई और पीले रंग के फलों का भोग चढ़ाना चाहिए।

सरस्वती ने ब्रह्मा जी को श्राप क्यों दिया?

माता सरस्वती के पहुंचने से पहले, उन्हें पता चला कि भगवान ब्रह्मा ने देवी गायत्री के साथ विवाह कर लिया है ताकि विशेष अनुष्ठान पूरा कर सकें। इसके बाद माता सरस्वती नाराज हो गईं और उन्होंने भगवान ब्रह्मा पर श्राप दिया।

विद्या प्राप्ति के लिए कौन सा मंत्र?

या देवी सर्व भूतेषु, जो विद्या के रूप में स्थित है। नमस्ते तुझे, नमस्ते तुझे, नमस्ते तुझे, नमः नमः।।

सरस्वती जी को क्या पसंद है?

केसर भात एक प्रकार का भोग है जिससे देवी सरस्वती बहुत प्रसन्न होती हैं। कहा जाता है कि केसर भात का भोग लगाने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। सरस्वती माता को केसर का हलवा भी बहुत पसंद है। सरस्वती पूजा में केसर हलवा एक पारंपरिक भोग के रूप में चढ़ाया जाता है।

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