
गणेश जी की आरती / Ganesh Ji Ki Aarti के बारे में पूरी जानकारी
गणेश जी की आरती /Ganesh Ji Ki Aarti हिंदू धर्म में एक प्रमुख पूजा-पाठ का हिस्सा है। यह आरती प्रतिदिन सुबह-संध्या में की जाती है, समस्त संकटों से मुक्ति के लिए प्रार्थना करते हुए। इसका पाठ करने से मन, वचन, और क्रियाओं में सुंदरता, समृद्धि, सम्पन्नता, सुन्दरता, समृद्धि, सम्पन्नता, मंगलकामनाएं पूर्ण होती हैं।
हिन्दू परंपरा में महलक्ष्मि, महालक्ष्मि, सुंदरप्रिय, सुन्दरकाण्ड आदि नामों का जिक्र होता है। गणेश जी की पूजा के बाद इसका पाठ करने से महलक्ष्मि की कृपा होती है, और समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
गणेश जी की आरती / Ganesh Ji Ki Aarti को हिंदी में कैसे पढ़ा जाता है?
गणेश जी की आरती/Ganesh Ji Ki Aarti को हिंदी में प्रस्तुत करने के लिए, सबसे पहले “वक्रतुंड महाकाय” से प्रारंभ किया जाता है, और “मंगलमूर्ति मोर्ति” से समाप्ति होती है।
हिन्दी में “मंत्र-पुस्तक” (mantra-pustak) में गणेश जी की आरती के पाठ का संकलन मौजूद होता है, जिसमें संपूर्ण आरती के मंत्रों को सही क्रम में प्रस्तुत किया गया है।
गणेश जी की आरती / Ganesh Ji Ki Aarti के मंत्र:
- 1. “वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ”
- 2. “निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा”
- 3. “लम्बोदरं पिताम्बकं वन्दे सुरेश्वरम्”
- 4. “हे गौरीनन्दन! निर्मलसोम, सौम्प्रसादक, पूसन्त, पल्लि”
- 5. “हे हे हे हे हे हे!”
- 6. “जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा”
हिन्दी में आरती के पाठ को संपूर्णता से करने के लिए, समस्त मंत्रों को ध्यानपूर्वक प्रोन्नति, मुकुट, हाथ, पुस्तक, पुस्तक-पात्रा, हृदय पर स्पर्श, मात्र-हृदिस्पर्श (heart-touch), हृदिस्पर्श (touching the heart) के साथ प्रस्तुत किया जाता है।
गणेश जी की आरती / Ganesh Ji Ki Aarti का हिन्दू धर्म में महत्व
हिन्दू धर्म में, गणेश जी / Ganesh Ji Ki Aarti को समस्त प्रमुख पूजा-पाठों के प्रारंभ में प्रसन्न होने के लिए प्रार्थना करने का महत्वपूर्ण स्थान है। गणेश जी की आरती / Ganesh Ji Ki Aarti का पाठ करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं, और सुख-शांति, समृद्धि, सम्पन्नता, और मंगल प्राप्ति हो सकती है।
गणेश जी को “सिद्धि-प्रदायक” (bestower of success) माना जाता है, इसलिए उनकी प्रसन्नता के लिए आरती का प्रारंभिक पाठ बहुत महत्वपूर्ण होता है।
क्या इसके पठन से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं?
हिन्दी में “मंत्र-पुस्तक” (mantra-pustak) में गणेश जी की आरती के पाठ का संकलन मौजूद होता है, जिसमें संपूर्ण आरती के मंत्रों को सही क्रम में प्रस्तुत किया गया है।
गणेश जी को “सिद्धि-प्रदायक” (bestower of success) माना जाता है, इसलिए उनकी प्रसन्नता के लिए आरती का प्रारंभिक पाठ बहुत महत्वपूर्ण होता है।
क्या इसमें सुन्दरकाण्ड, सुंदरप्रिय, महलक्ष्मि, महालक्ष्मि आदि नामों का जिक्र होता है?
हिन्दू परंपरा में महलक्ष्मि, महालक्ष्मि, सुंदरप्रिय, सुन्दरकाण्ड आदि नामों का जिक्र होता है। गणेश जी की पूजा / Ganesh Ji Ki Aarti के बाद इसका पाठ करने से महलक्ष्मि की कृपा होती है, और समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
यह नाम समस्त महलक्ष्मि-प्रिय माता-पिता के प्रतिष्ठित (esteemed) रूप में प्रस्तुत (present) करते हैं, और सुंदरप्रिय (beloved of the beautiful), सुन्दरकाण्ड (beautiful-eyed), महलक्ष्मि (goddess of wealth), महालक्ष्मि (great goddess of wealth) के रूप में प्रसन्न होते हैं।
क्या Ganesh ji ki aarti main किसी स्पेशल मंत्रों का प्रयोग होता है?
हां Ganesh Ji Ki Aarti आरती में कुछ स्पेशल मंत्र प्रयोग होते हैं। सुरमंत्र के साथ पहले “ॐ” मंत्र का प्रयोग किया जाता है, जो गणेश जी की पूजा में बहुत महत्वपूर्ण है। इसके बाद, “जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा” मंत्र का प्रयोग किया जाता है, जो समर्पित किया जाता है सुप्रीम प्रार्थना के साथ।
प्रारंभिक पुकार:
“सुंक्ल्प: संकल्प: संकल्प:”
गणेश जी की आरती / Ganesh Ji Ki Aarti का पाठ करने से हम उन्हें समर्पित करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह महत्वपूर्ण होता है क्योंकि गणेश जी मान्यता के अनुसार समस्त मनोकामनाओं को पूरा करने में सहायता कर सकते हैं।
क्या इसमें सुन्दरकाण्ड, सुंदरप्रिय, महलक्ष्मि, महालक्ष्मि आदि नामों का जिक्र होता है?
हां, गणेश जी की आरती में / Ganesh Ji Ki Aarti “सुन्दरकाण्ड”, “सुंदरप्रिय”, “महलक्ष्मि”, “महालक्ष्मि” आदि प्रमुख प्रसिद्धिप्राप्ति (h3)नाम प्रस्तुत होते हैं:
प्रमुख 4 प्रसिद्धिप्राप्ति:
- सुन्दरकाण्ड
- सुंदरप्रिय
- महलक्ष्मि
- महालक्ष्मि
इन नामों का जिक्र करने से, गणेश जी की महिमा और महत्व प्रकट होता है, और उनकी पूजा करने वाले को सुख, समृद्धि, सौभाग्य, ऐश्वर्य, समृद्धि, संपत्ति, प्रसिद्धि आदि की प्राप्ति होती है।
श्री गणेश जी की आरती / Ganesh Ji Ki Aarti हमारे मन, शरीर और आत्मा को पवित्रता, सुख, समृद्धि और संतुलन के साथ पूर्ण करती है।
श्री गणेश जी की आरती / Ganesh ji ki aarti
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे
मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे
संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत
निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो
जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥