
विष्णु जी की आरती / vishnu ji ki aarti हिंदी भाषा में
विष्णु जी की आरती / Vishnu Ji Ki Aarti का हिंदू धर्म में बहुत बड़ा महत्व है, विष्णु जी की आरती करने से सभी देवताओं की आरती करने के बराबर का सुख मिलता है, विष्णु जी तो शिव भगवान के भी आराध्य हैं तो विष्णु जी की आरती करने से शिव जी को भी खुश किया जा सकता है !
विष्णु जी की आरती / Vishnu Ji Ki Aarti का प्रारम्भ
विष्णु जी की आरती /Vishnu Ji Ki Aarti हिंदू संस्कृति में महत्वपूर्ण है। यह प्राचीन काल से हमारे पौराणिक ग्रंथों में मिलने वाली प्रमुख पूजा-पाठों में से एक है। इसका प्रारम्भ ‘ओम्’ के संकल्प के साथ होता है, जो मन, मनोवृत्ति, और मनसंप्रेक्षाओं को प्रशान्ति प्राप्ति के संकेत के रूप में सम्मिलित करता है। विष्णु जी की आरती से सुख मिलता है। आरती में भक्त विष्णु जी की महिमा, गुण, और कृपाओं की महिमा का प्रमाण प्रस्तुत करते हैं।
Vishnu ji ki aarti / विष्णु जी की आरती का महत्त्व
विष्णु जी की आरती/Vishnu Ji Ki Aarti में संगीतिक महत्त्व होता है, जो प्रारम्भ से ही प्रकाशित होने लगता है। विष्णु जी की आरती के शब्दों का मन्त्रात्मक गुण होता है, जिसे सम्पूर्ण समाज के साथी एकसाथ प्रस्तुत करना प्रारंभ करते हैं।
संगीतिक महत्त्व के साथ, आरती में उपस्थित होने वाली ध्वनि, मेल, और सुरों का प्रकाशित होना, मन को प्रसन्न करके भक्ति-पूर्ण माहौल पैदा करता है। संगीतिक महिमा के साथ, यह प्राचीन संस्कृति का हिस्सा होती है, जिसमें संप्रदायिक संस्कृति, समृद्धि, और प्रेम की प्रक्रिया में पुन: पुलकित होने का अनुभव होता है।
विष्णु जी की आरती / vishnu ji ki aarti में संप्रदायिक प्रक्रिया
विष्णु जी की आरती/Vishnu Ji Ki Aarti में संप्रदायिक प्रक्रिया का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। इसमें, भक्त विष्णु जी के पूर्ण समर्पण के साथ, पुन: पुलकित होने के लिए प्रार्थना करते हैं।
विष्णु जी की आरती/Vishnu Ji Ki Aarti के द्वारा, भक्त विष्णु जी की महिमा, गुण, और कृपाओं की स्तुति करते हैं, उनके समर्पण में प्रार्थना करते हैं, और समस्त समाज को प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित करते हैं।
मन, मनोवृत्ति, और मनसंप्रेक्षाओं को प्रशान्ति प्राप्ति
विष्णु जी की आरती / Vishnu Ji Ki Aarti में मन, मनोवृत्ति, और मनसंप्रेक्षाओं को प्रशान्ति प्राप्ति का संकेत मिलता है। आरती के शब्दों का मन्त्रात्मक गुण होता है, जिससे प्रार्थना करने वाले की मनसंप्रेक्षाओं को स्पष्टीकरण, प्रसन्नता, और प्रेम मिलता है। हमारी मनोवृत्ति पर ध्यान केंद्रित करके, हम अपनी संकल्पित प्राथमिकताओं को सम्पूर्णत: समर्पित करते हैं, जिससे हमें आंतरिक सुकून, शांति, और प्रेम मिलता है।
स्थान, सम्मान, और सुरक्षा के लिए आरती का पाठ
विष्णु जी की आरती/Vishnu Ji Ki Aarti का पाठ स्थान, सम्मान, और सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। आरती से हमें विष्णु जी के प्रतिष्ठान, महिमा, और कृपाओं का प्रमाण मिलता है, जो हमें स्थान, सम्मान, और सुरक्षा का अनुभव करने में मदद करता है।ह मारी प्रस्तुति और प्रसन्नता के माध्यम से, हमें संप्रदायिक प्रक्रिया में प्रस्तुत होने की प्रेरणा मिलती है, जिससे हमारे साथी भक्तों को सम्मान, प्रेम, और सुरक्षा मिलता है।
विष्णु जी की आरती/Vishnu Ji Ki Aarti का प्रारम्भ
विष्णु जी की आरती/Vishnu Ji Ki Aarti का प्रारम्भ होता है उनके समर्पण में। यह एक पूजा-पाठ का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो देवी-देवताओं के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। इसके माध्यम से, भक्तों को मन, मनोवृत्ति, और मनसंप्रेक्षाओं को प्रशान्ति प्राप्त होती है।
आरती के संगीतिक महत्त्व
Vishnu Ji Ki Aarti /आरती में संगीतिक महत्त्व होने से, इसका पाठ सुंदर, मनोहारी, और प्रसन्न करने वाला होता है। संगीत के सहारे, भक्तों का मन और मनसंप्रेक्षाएं सुखी और प्रशान्त होती हैं। आरती के समय, लोग संगीत के साथ नृत्य करते हैं, जिससे मनोहारी सुरक्षा का महसूस होता है।
Vishnu Ji Ki Aarti के महत्वपूर्ण अंग
- मुकुट: इसका प्रयोग प्रमुख देवी-देवताओं के मुकुट पहनाने के लिए किया जाता है।
- लम्बी माला: इससे प्रमुख देवी-देवताओं को समर्पित होने का संकेत मिलता है।
- प्रकाश: प्रमुख देवी-देवताओं को प्रकाशित करने के लिए प्रकाशित दीपों का प्रयोग किया जाता है।
- धूप: इससे प्रमुख देवी-देवताओं को सुरक्षा मिलती है और उनकी सम्प्रेक्षाएं प्रसन्न होती हैं।
- पुष्प: प्रमुख देवी-देवताओं के समर्पित होने के लिए पुष्पों का प्रयोग किया जाता है।
विष्णु जी के समर्पण में संगीतिक महत्त्व
कहते हैं की संगीत सुनने और गाने से मन को शांति मिलती है और भटका मन काम में लग जाता है, और यदि संगीत के रूप में विष्णु जी की आरती/Vishnu Ji Ki Aarti हो तो जीवन में इससे बड़ी बात तो हो ही नहीं सकती है ! ईश्वर को यदि खुश करना है तो उनकी आरती सबसे सरल और सुंदर माध्यम है !!
विष्णु जी की आरती/Vishnu Ji Ki Aarti से निम्नलिखित प्रकार के सुख मिलते हैं –
- मन को शांति
- अच्छे विचारों का उदय
- ईश्वर के आशीष का अहसास
- जीवन में सुख का आगमन
विष्णु जी की आरती/Vishnu Ji Ki Aarti में संप्रदायिक प्रक्रिया
ईश्वर तो उनका नाम भर पुकार लेने से अपने भक्तों पर खुश हो जाते हैं, पर अगर मानव सच्चे मन से नित्य उनकी आरती करता है तो उसको ईश्वर के श्री चरणों में जगह मिलती है ! हिंदू धर्म में तो विष्णु जी की आरती है एक बड़ा महत्व है !
मन, मनोवृत्ति, और मनसंप्रेक्षाओं को प्रशान्ति प्राप्ति
मनुष्य अपने सारे काम के पीछे एक ही भाव लेकर चलता है और वह भाव है मन को शांति का, तो विष्णु की की आरती करके जो शांति मिलती है वो तो अलग ही है, सबसे निराली है ! भटका मन शांत हो जाता है, मन की सारी मनोकामनाएं पूरी होती नजर आती हैं !!
स्थान, सम्मान, और सुरक्षा के लिए आरती का पाठ
विष्णु जी की आरती/Vishnu Ji Ki Aarti करने से ईश्वर के प्रिय जनो में आप शामिल हो जाते हो, आपके मन में ईश्वर के प्रति और स्वयं के प्रति भी सम्मान का भाव खड़ा हो जाता है,, मन में ये भाव खड़ा होने लगता है की कोई एक सबसे बड़ी शक्ति है जो कि सदा आपकी रक्षा करने वाली है और आपके साथ हर कदम पर है !!
विष्णु जी की आरती /Vishnu Ji Ki Aartiसे करने से घर की विघ्न-बाधाएं दूर होती है श्री हरि की सच्चे मन से पूजा आराधना करने से मां लक्ष्मी की प्रसन्न होती है शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री हरि की पूजा करने से जीवन के सभी रुके हुए कार्य शीघ्र पूर्ण होते हैं
विष्णु जी की आरती / Vishnu ji ki aarti
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट
दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे
जो ध्यावे फल पावे
दुःखबिन से मन का
स्वामी दुःखबिन से मन का
सुख सम्पति घर आवे
सुख सम्पति घर आवे
कष्ट मिटे तन का
ॐ जय जगदीश हरे
मात पिता तुम मेरे
शरण गहूं किसकी
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी
तुम बिन और न दूजा
तुम बिन और न दूजा
आस करूं मैं जिसकी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम पूरण परमात्मा
तुम अन्तर्यामी
स्वामी तुम अन्तर्यामी
पारब्रह्म परमेश्वर
पारब्रह्म परमेश्वर
तुम सब के स्वामी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम करुणा के सागर
तुम पालनकर्ता
स्वामी तुम पालनकर्ता
मैं मूरख फलकामी
मैं सेवक तुम स्वामी
कृपा करो भर्ता
ॐ जय जगदीश हरे
तुम हो एक अगोचर
सबके प्राणपति
स्वामी सबके प्राणपति
किस विधि मिलूं दयामय
किस विधि मिलूं दयामय
तुमको मैं कुमति
ॐ जय जगदीश हरे
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता
ठाकुर तुम मेरे
स्वामी रक्षक तुम मेरे
अपने हाथ उठाओ
अपने शरण लगाओ
द्वार पड़ा तेरे
ॐ जय जगदीश हरे
विषय-विकार मिटाओ
पाप हरो देवा
स्वमी पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
सन्तन की सेवा
ॐ जय जगदीश हरे
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट
दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे
हिंदी भाषा में ;vishnu ji ki aarti
https://hi.wikipedia.org/wiki/vishnuji