Vishnu Ji Ki Aarti

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हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार गुरुवार के दिन विष्णु भगवान की आरती करना शुभ माना जाता है। विष्णु जी की कृपा जिस पर हो, वो हमेशा सुखी रहते हैं। विष्णु जी की आरती शादी जैसे शुभ कार्यों में की जाती है। इनकी आरती से पारिवारिक जीवन शुभमंगल रहता है। अगर आप Vishnu Ji ki Arti के बारे में पहले से जानते है और मंत्रो को इंटरनेट पर ढूंढ रहें है तब आप सही जगह पर हैं। यहां आप पूरी आरती प्राप्त कर सकते हैं, साथ ही आरती की विधि और फायदों को विस्तार से जानेंगे। 

भगवान विष्णु जी की रहस्य भरी घटना

एक कथा के अनुसार ऋषि कश्यप की कई पत्नियों में से विनीता और कद्रू एक दूसरे से नफरत नफरत करती थी। दोनो में से किसी का पुत्र नही था, इस कारण उन्होंने वरदान से पुत्र की प्राप्ति की ठानी। वरदान में एक ने हजार सर्प पुत्र की मांग की और दूसरे ने बलशाली पुत्र की मांग की मांग की। सर्प का जन्म तो हो गया लेकिन दूसरी पत्नी के अर्घ्यपक्व बच्चा पैदा हुआ। जिसका नाम अरुण था। अरुण ने बड़े होकर अपने इस हाल को देखकर अपनी माता को श्राप दे दिया कि वह आजीवन दासी बनी रहेगी। इस तरह अरुण की माता अपने बहन की दासी बन गई। जब उनका दूसरा पुत्र पैदा हुआ तब उसने अपनी माता को दासी के बंधन से मुक्त करने की सोची। उनका दूसरे पुत्र गरुण थे जो की एक गिद्ध के रूप में दिखते थे। 

अपनी माता के श्राप का निवारण करने के लिए गरुण ने हर शर्तों को पूरा करने की ठानी। शर्त के अनुसार स्वर्ग लोक में मौजूद अमृत को धरती पर लाना था। इसका स्मरण करते हुए गरुण स्वर्ग लोक में पहुंच गए। वहां पर उनको अनेक चरण की सुरक्षा को पार करके अमृत को प्राप्त करना था। उन्होंने अपने बल और बुद्धि से अमृत को हासिल कर लिया और उसे लेकर पृथ्वी की तरफ आने लगे। जब वह धरती पर आ रहे तब उन्हें विष्णु भगवान के दर्शन होते है। उनके अच्छे कार्यों में इस तरह अमृत हासिल करने की बात को जानकर भगवान खुश होते है और वरुण को अमर होने का वरदान दे देते हैं। इसके साथ ही विष्णु जी ने गरुण से खुद का सवारी बनने का अवसर प्रदान किया। इसके पश्चात इंद्र देव भी वहां पहुंच जाते है सब जानने के बाद इंद्र गरुण को सर्प को आहार के रूप में ग्रहण करने का वरदान दे देते हैं। इसके साथ ही गरुण ने भी अमृत को सुरक्षित वापस करने का निर्णय लिया।

जब गरुण अमृत लेकर पृथ्वी पहुंचे तब उन्होंने अमृत सर्प को दिया, लेकिन गरुण की लीला के अनुसार, जब सर्प अमृत पीने से पहले नहाने गए। तभी इंद्र देव स्वर्गलोक से आकर अमृत को अपने साथ लेकर वहां से प्रस्थान कर गए। इस तरह से अमृत का दुरुपयोग होने से बच जाता है और गरुण की माता का श्राप भी खत्म हो जाता है। 

विष्णु भगवान की आरती के फायदे

विष्णु जी की आरती करने से जीवन में अनेकों फायदे मिलते हैं यहां पर आप कुछ महत्वपूर्ण फायदों के बारे में बताया गया है जिन्हे आपको जरूर पढ़ना चाहिए।

  • विष्णु जी की आरती करने वालो के सभी पाप मिट जाते हैं।
  • पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है।
  • धन की कमी नही रहती।
  • शादीशुदा जिंदगी हमेशा खुशहाल बनी रहती है।
  • विष्णु जी की आरती करने वाले को मृत्यु के बाद स्वर्ग में स्थान मिलता है।
  • विष्णु जी की आरती करने वालों पर किसी तरह के संकट नहीं आते।

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विष्णु भगवान की आरती करने की सही विधि

अगर आप विष्णु जी की आरती के बारे में नही जानते और उनकी आरती करने की विधि को विस्तार से जानना चाहते हैं तब आप नीचे बताई विधि को पढ़ सकतें हैं।

  • प्रातः काल उठकर खुद को स्वच्छ करें।
  • मंदिर में विष्णु जी की मूर्ति या तस्वीर को अच्छी तरह विराजित कर ले और उसकी सज्जा करें।
  • पांच मुख वाला दीप में रुई की बाती जलाकर मंदिर के सामने रखें।
  • अगरबत्ती जलाकर तस्वीर के चारो तरफ घुमाएं।
  • मंदिर में मौजूद घंटी को बजाते हुए तस्वीर के चारों को तरफ घुमाएं।
  • मंदिर के सामने शंख वादन करें।
  • एक थाली में दीप रखकर भगवान जी की आरती करें।
  • आरती करते समय विष्णु भगवान की आरती का मंत्र जाप करें।
  • आरती संपन्न होने के बाद परिवार के सभी सदस्यों को आरती देनी चाहिए।

विष्णु के नरसिंघ अवतार की कहानी|

vishnu ji ki aarti in hindi में पढ़ें 

विष्णु जी की आरती करना बहुत ही आसान है। इसके साथ ही आप आरती के मंत्रो को आसानी से पढ़ सकतें हैं। यहां पर पूरी आरती का उल्लेख दिया हुआ है। 

विष्णु जी की आरती / Vishnu ji ki aarti

ॐ जय जगदीश हरे

स्वामी जय जगदीश हरे

भक्त जनों के संकट

दास जनों के संकट

क्षण में दूर करे

ॐ जय जगदीश हरे

जो ध्यावे फल पावे

दुःखबिन से मन का

स्वामी दुःखबिन से मन का

सुख सम्पति घर आवे

सुख सम्पति घर आवे

कष्ट मिटे तन का

ॐ जय जगदीश हरे

 

मात पिता तुम मेरे

शरण गहूं किसकी

स्वामी शरण गहूं मैं किसकी

तुम बिन और न दूजा

तुम बिन और न दूजा

आस करूं मैं जिसकी

ॐ जय जगदीश हरे

 

तुम पूरण परमात्मा

तुम अन्तर्यामी

स्वामी तुम अन्तर्यामी

पारब्रह्म परमेश्वर

पारब्रह्म परमेश्वर

तुम सब के स्वामी

ॐ जय जगदीश हरे

 

तुम करुणा के सागर

तुम पालनकर्ता

स्वामी तुम पालनकर्ता

मैं मूरख फलकामी

मैं सेवक तुम स्वामी

  कृपा करो भर्ता

ॐ जय जगदीश हरे

 

तुम हो एक अगोचर

  सबके प्राणपति

स्वामी सबके प्राणपति

किस विधि मिलूं दयामय

किस विधि मिलूं दयामय

  तुमको मैं कुमति

ॐ जय जगदीश हरे

 

दीन-बन्धु दुःख-हर्ता

ठाकुर तुम मेरे

स्वामी रक्षक तुम मेरे

अपने हाथ उठाओ

अपने शरण लगाओ

   द्वार पड़ा तेरे

ॐ जय जगदीश हरे

विषय-विकार मिटाओ

    पाप हरो देवा

स्वमी पाप हरो देवा

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ

   सन्तन की सेवा

ॐ जय जगदीश हरे

 

 

ॐ जय जगदीश हरे

स्वामी जय जगदीश हरे

भक्त जनों के संकट

दास जनों के संकट

  क्षण में दूर करे

ॐ जय जगदीश हरे

हिंदी भाषा में ;vishnu ji ki aarti

https://hi.wikipedia.org/wiki/vishnuji

 

Ashish Rawat

my name is ashish singh rawat . I am from Devbhumi Uttrakhand and post graduate in political science. i like write poems and creative paper works art.

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