हनुमान जी की आरती – Hanuman Ji Ki Arti

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सनातन धर्म में हनुमान जी की आरती को ख़ास रूप से महत्व दिया जाता है। अपने भक्तो का मंगल करने वाले हनुमान जी की आरती हर मंगलवार के दिन विशेष रूप से की जाती है। जो कोई हनुमान जी की आरती सच्चे मन से करता है उसे मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस आर्टिकल में आप Hanuman Ji Ki Arti का स्मरण कर करेंगे और इसके साथ ही आरती के महत्व और विधि को जानेंगे। 

हनुमान जी की आरती किसने और कब लिखी थी ही 

आरती कीजै  हनुमान लाला की…..” पक्तियां ही हनुमान जी की आरती है। जबकि हनुमान चलीसा अलग होती है। हनुमान जी की आराधना और उन्हें प्रसन्न करने के लिए आरती का जाप किया जाता है। भारत में मौजूद अनेक मंदिरों में शाम और सुबह यह आरती की जाती है। हनुमान जी की आरती की रचना 15 वी शताब्दी में हुई थी, जिसको गोस्वामी तुलसीदस ने लिखा था। इसके आलावा हनुमान चालीसा भी तुलसीदास द्वारा लिखी गयी थी।

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Hanuman Ji की आरती का महत्व

हनुमान जी की आरती में मधुर गीत  का वर्णन है। इनकी आरती करने वाले भक्तो की हर इच्छा पूर्ण होती है। अगर आप हनुमान जी की आरती का महत्व जानना चाहते है तो निचे बताई गयी बातें जरुर पढ़ें, इसको पढने के बाद आपको यकीन हो जाएगा की हनुमान जी की आरती महत्वपूर्ण क्यूँ है।

  • हनुमान जी की आरती करने से घर में होने वाले दुःख और परेशानियां ख़त्म हो जाती हैं।
  • हनुमान जी की आरती करने से मन में होने वाले भय ख़त्म हो जाते हैं।
  • इनकी करती करने से तामसिक प्रवृति का अंत होता है।
  • हनुमान जी की आरती करने वाले भक्तो में सबके लिए प्रेम की भावना जागृत होती है।
  • आरती करने वाला हर व्यक्ति अपने लक्षित कार्यो में सफलता हासिल करता है।

Hanuman Ji की आरती इस तरह करने से जल्दी फल की प्राप्ति होती है

हनुमान  जी की आरती करने के अनेकों फायदे हैं। अगर कोई व्यक्ति आरती करके कम समय में मनोवांछित फल प्राप्त करना चाहता है, तब उसे निम्लिखित विधि का प्रयोग करना चाहिए, इससे हनुमान जी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तो की हर मनोकामना पूरी करते हैं।

  • हनुमान जी की आरती हमेसा प्रातः काल और सायं काल में ही करनी चाहिए।
  • हनुमान जी की आरती के समय ताम्बे और पीतल से बने बर्तन या थाली का उपयोग करना शुभ होता है।
  • आटें से बने दिए का उपयोग करें।
  • आरती करते समय एक, पांच या फिर सात दिए जलाकर हनुमान जी को अर्ध्य देना चाहिए।
  • आरती के समय अर्ध्य देने पर परिवार के सभी सदस्यों को हाथ जोड़कर आरती सुननी  चाहिए।
  • आरती के दौरान घंटी और शंक बजाकर भगवन हनुमान जी से प्रार्थना करनी चाहिए।
  • जो भक्त सच्चे मन और दिल से आरती करतें है उनकी मनोकामना बहुत जल्दी पूरी होती है।

यहाँ पढ़े – हनुमान चालीसा हिंदी में

Hanuman Ji की आरती का सार

हनुमान जी की आरती उनके भक्तो के लिए एक एक मधुर गीत है। अगर आप भी उनकी आरती का स्मरण करना चाहते हैं, तो आपके लिए यहाँ पर पूरी आरती का सार दिया गया है जिसे आपको जरुर पढना चाहिए। 

 

हनुमान जी की आरती

॥ श्री हनुमंत स्तुति ॥
मनोजवं मारुत तुल्यवेगं,
जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम् ॥
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं,
श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥

॥ आरती ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
॥ इति संपूर्णंम् ॥

 

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