Shri Ram Chalisa in Hindi pdf – श्री राम चालीसा

Shri ram Chalisa

श्रीराम चालीसा/Shri Ram Chalisa के लेखक तुलसीदास हर जगह श्रीराम को देखते हैं इसलिए उन्होंने इस चालीसा के माध्यम से अपनी भावनाओं को लिखा है, आप निश्चित रूप से उनसे जुड़ सकते हैं और महसूस कर सकते हैं।

श्री राम चालीसा/Shri Ram Chalisa: क्या हिंदी भाषा में उपलब्ध है?

हाँ, श्री राम चालीसा हिंदी भाषा में उपलब्ध है। यह सन् 16वीं से 17वीं शताब्दी के प्रारम्भ में संकलित हुई है। श्री राम-चालीसा, के संकलन को “राम-रत्न” कहा जाता है, कि परम पूज्य महर्षि प्रेमप्रियों (पुरोहित) महर्षि सत्‍तम्‍प्रियों (सन्‍त)से, पुरोहितों से, सन्‍तों से, ऋषि-मुनियों से, मन्‍त्र-तन्‍त्र-केवल-कर्‍मकाण्‍ड-पुरोहितों से, मन्‍त्र-तन्‍त्र-केवल-कर्मकांड पुरोहितों से मन्‍त्र-तन्‍त्र-केवल- और सबसे उपास्य पूज्य महा राम की आराधना के लिए प्रेमप्रिय महर्षि प्रेमप्रियों (पुरोहित) महर्षि सत्‍तम्‍प्रियों (सन्‍त)से, पुरोहितों से, सन्‍तों से, ऋषि-मुनियों से, मन्‍त्र-तन्‍त्र-केवल-, मन्‍त्र-तन्‍त्र-केवल कर्मकांड पुरोहितों से पूज्य है।

श्री राम चालीसा का महत्व: Importance of Shri Ram Chalisa

श्री राम चालीसा हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है। यह चालीसा भगवान श्री राम की महिमा, गुणों, कर्तव्यों, और पूजनीयता के बारे में संकलित हुई है। इसे पढ़ने से प्रेम, समर्पण, संकल्प, धृति, शक्ति, सुन्‍दरता, सम्‍पत्‍ति, प्रसन्‍नता, मोक्ष की प्राप्‍ति, सुप्रीम-प्रसन्‍नता (परमेश्‍वर) की प्राप्‍ति होती है।

श्री राम-चालीसा/Shri Ram Chalisa के पाठ के फायदे:

  • मनोकामना को पूरा करने में सहायक
  • सुख-शांति को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण
  • पुराने दोषों का नाश करने में सक्षम
  • भगवान श्री राम की कृपा प्राप्त करने में सहायक
  • आत्मिक और मानसिक संतुलन प्राप्त करने में सक्षम

श्री राम चालीसा/Shri Ram Chalisa: प्रमुख स्तोत्रों के विषय में कुछ बताएं

हिन्दू धर्म में, प्रमुख स्तोत्रों में से एक है “श्री राम-चालीसा”/Shri Ram Chalisa। यह स्तोत्र 40 पंक्‍तियों (चौपाई) से मिलकर बना है, जिसमें हर पंक्‍ति में 4-4 पैरों का है। “चालीसा” (Chalisa) का अर्थ होता है ’40’।

प्रमुख स्तोत्रों के विषय में:

हिन्दू धर्म में, प्रमुख स्तोत्रों का महत्वपूर्ण स्‍थान है। ये स्‍तोत्र भक्‍ति, पूजा और आराधना के लिए प्रयोग होते हैं और इनकी पाठ करने से मन, शरीर, और आत्‍मा की संस्‍कारित होती है। स्‍तोत्रों के पाठ का महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा “श्री राम-चालीसा” है, जो महान संकलन “राम-रत्न” के हिस्‍से में है।

प्रमुख स्तोत्रों की सूची:

  • हनुमान चालीसा
  • दुर्गा चालीसा
  • लक्ष्मी चालीसा
  • गणेश चालीसा
  • कृष्ण चालीसा
  • शिव चालीसा
  • संतोषी माता चालीसा
  • सरस्वती चालीसा
  • हनुमान अष्‍टक
  • राम स्तुति

हिन्दू धर्म में क्या श्री राम चालीसा / Shri Ram Chalisa को महत्वपूर्ण माना जाता है?

हिन्दू धर्म में, “श्री राम-चालीसा” Shri Ram Chalisa को प्रमुख संकलन “राम-रत्न” के हिस्‍से में महत्‍वपूर्ण माना जाता है। यह संकलन प्रेमप्रियों (पुरोहित) से, सन्‍तम्‍प्रियों (सन्‍त) से, पुरोहितों से, सन्‍तों से, ऋषि-मुनियों से, मन्त्र-तन्‍त्र-केवल-कर्मकाण्‍ड पूज्य है।

हिन्दी संस्करण में पहले से ही कोई प्रमुख परिवर्तन हुआ है?

हाँ, हिन्दी संस्करण में पहले से ही कुछ प्रमुख परिवर्तन हुए हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि श्री राम-स्‍तुति में “कौसल्‍या सुप्रीत” को “कौसल्‍या सुप्रीतम” के रूप में संपादित किया गया है। इसके अलावा, कुछ और पाठों में भी सामान्य शोध, पाठ-प्रकाशन, और प्रमुखता में सुधार किए गए हैं।

प्रमुख परिवर्तन:

  • कौसल्‍या सुप्रीत – “कौसल्‍या सुप्रीत” को “कौसल्‍या सुप्रीतम” के रूप में संपादित किया गया है।
  • सामान्य शोध – कुछ पाठों में सामान्य शोध करके परिवर्तन किए गए हैं, जो पहले से ही मौजूद थे।
  • पाठ-प्रकाशन – कुछ पाठों में प्रकाशन की सुविधा के लिए संपादन किए गए हैं, जिससे पाठों की समझने में आसानी होती है।
  • प्रमुखता में सुधार – कुछ प्रमुखता में सुधार करके पहले से ही मौजूद प्रमुखता को बेहतर बनाया गया है।

क्‍रम:

  1. पहले से ही मौजूद पाठों का विश्लेषण करना।
  2. प्रमुख परिवर्तन की खोज करना और उनके पीछे कारणों को समझना।
  3. संपादकीय सुधार और प्रमुखता में सुधार करना।
  4. संस्करण में हुए परिवर्तनों के प्रति चर्चा करना।

क्‍या “श्री राम-स्‍तुति” में सम्‍मिलित “श्री राम-चालीसा” / Shri Ram Chalisa सही है?

“श्री राम-स्‍तुति” में “श्री राम-चालीसा” / Shri Ram Chalisa सम्‍मिलित करने के महत्वपूर्ण कारक हो सकते हैं, लेकिन इसके सही होने के बारे में कुछ वितर्क हो सकते हैं। “श्री राम-स्‍तुति” और “श्री राम-चालीसा” दोनों ही प्रमुख पौराणिक पाठ हैं, जो भक्‍तों के बीच प्रसिद्ध हैं।

महत्वपूर्ण कारक:

  • भक्‍ति – “श्री राम-स्‍तुति” में “श्री राम-चालीसा”/Shri Ram Chalisa को सम्‍मिलित करने से, भक्‍ति में एक संलग्नता का महसूस हो सकता है।
  • पौराणिक महत्व – “श्री राम-स्‍तुति” और “श्री राम-चालीसा” दोनों ही प्रमुख पौराणिक पाठ हैं, जिनमें सम्‍मिलन का महत्व हो सकता है।
  • भक्‍तों की प्राथमिकता – यदि भक्‍तों की प्राथमिकता “श्री राम-चालीसा” में है, तो “श्री राम-स्‍तुति” में इसे सम्‍मिलित करने से उनकी मान्यता को मजबूती मिल सकती है।

प्रलोभन:

  1. प्रमुख पौराणिक पाठों का अध्ययन करना।
  2. प्रमुख पौराणिक पाठों के संपादन में सहायक होने वाले कारकों का विश्लेषण करना।
  3. संप्रेषण – “श्री राम-स्‍तुति” में “श्री राम-चालीसा” को सम्‍मिलित करने से प्रभावित होने वाले भक्‍तों की संप्रेषण करना।
  4. समीक्षा – “श्री राम-स्‍तुति” में “श्री राम-चालीसा” को सम्‍मिलित करने के परिणामस्वरूप हुए परिवर्तनों की समीक्षा करना।

क्‍या श्री राम-चालीसा / Shri Ram Chalisa को संकलन करने के पीछे कोई वैदिक/पुराणिक कारण है?

हाँ, श्री राम-चालीसा / Shri Ram Chalisa को संकलन करने में वैदिक/पुराणिक कारण हो सकते हैं। “श्री राम-चालीसा” प्रमुखता में प्रस्थान है, जो पुराण में महत्वपूर्ण महत्त्व रखता है। इसके संकलन का मुख्य कारण श्री राम के भक्‍तों की प्राथमिकता हो सकती है।

वैदिक/पुराणिक कारण:

  • पुराण में महत्व – “श्री राम-चालीसा” /Shri Ram Chalisa पुराण में महत्वपूर्ण प्रमुखता रखता है, जिसे संकलन करने का उद्देश्य हो सकता है।
  • प्रमुख पौराणिक पाठ – “श्री राम-चालीसा” प्रमुख पौराणिक पाठों में से एक हो सकती है, जिसे संकलन करने का महत्व हो सकता है।
  • प्रमुखता – “श्री राम-चालीसा” Shri Ram Chalisa को प्रमुखता में संकलित करने से, इसकी मान्यता और प्रभावित होने की संभावना बढ़ सकती है।

प्रलोभन:

  1. पुराण में प्रमुखता के आधार पर अध्ययन करना।
  2. प्रमुख पौराणिक पाठों के संकलन में सहायक होने वाले कारकों का विश्लेषण करना।
  3. संप्रेषण – “श्री राम-चालीसा” को संकलित करने से प्रभावित होने वाले भक्‍तों की संप्रेषण करना।
  4. समीक्षा – “श्री राम-चश्री राम चालीसा हिंदी भाषा में एक संक्षिप्त और संक्षेप्त समाप्ति है, जो हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण प्रभु श्री राम की महिमा, प्रार्थना और समर्पण को प्रकट करती है।

Shri Ram Chalisa in Hindi

॥ दोहा ॥
आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनं
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणं

ली निर्दलं समुद्र तरणं लङ्कापुरी दाहनम्
पश्चद्रावनं कुम्भकर्णं हननं एतद्धि रामायणं

चौपाई
श्रीरघुबीरभक्तहितकारी
सुनिलीजैप्रभुअरजहमारी

निशि दिन ध्यान धरै जो कोई ।
ता सम भक्त और नहिं होई ॥

ध्यानधरेशिवजीमनमाहीं
ब्रह्माइन्द्रपारनहिंपाहीं

जय जय जय रघुनाथ कृपाला ।
सदा करो सन्तन प्रतिपाला ॥

दूततुम्हारवीरहनुमाना
जासुप्रभावतिहूँपुरजाना

तुव भुजदण्ड प्रचण्ड कृपाला ।
रावण मारि सुरन प्रतिपाला ॥

तुमअनाथकेनाथगोसाईं
दीननकेहोसदासहाई

ब्रह्मादिक तव पार न पावैं ।
सदा ईश तुम्हरो यश गावैं ॥

चारिउवेदभरतहैंसाखी
तुमभक्तनकीलज्जाराखी

गुण गावत शारद मन माहीं ।
सुरपति ताको पार न पाहीं ॥ 10 ॥

नामतुम्हारलेतजोकोई
तासमधन्यऔरनहिंहोई

राम नाम है अपरम्पारा ।
चारिहु वेदन जाहि पुकारा ॥

गणपतिनामतुम्हारोलीन्हों
तिनकोप्रथमपूज्यतुमकीन्हों

शेष रटत नित नाम तुम्हारा ।
महि को भार शीश पर धारा ॥

फूलसमानरहतसोभारा
पावतकोउतुम्हरोपारा

भरत नाम तुम्हरो उर धारो ।
तासों कबहुँ न रण में हारो ॥

नामशत्रुहनहृदयप्रकाशा
सुमिरतहोतशत्रुकरनाशा

लषन तुम्हारे आज्ञाकारी ।
सदा करत सन्तन रखवारी ॥

तातेरणजीतेनहिंकोई
युद्धजुरेयमहूँकिनहोई

महा लक्ष्मी धर अवतारा ।
सब विधि करत पाप को छारा ॥ 20 ॥

सीतारामपुनीतागायो
भुवनेश्वरीप्रभावदिखायो

घट सों प्रकट भई सो आई ।
जाको देखत चन्द्र लजाई ॥

सोतुमरेनितपांवपलोटत
नवोनिद्धिचरणनमेंलोटत

सिद्धि अठारह मंगल कारी ।
सो तुम पर जावै बलिहारी ॥

औरहुजोअनेकप्रभुताई
सोसीतापतितुमहिंबनाई

इच्छा ते कोटिन संसारा ।
रचत न लागत पल की बारा ॥

जोतुम्हरेचरननचितलावै
ताकोमुक्तिअवसिहोजावै

सुनहु राम तुम तात हमारे ।
तुमहिं भरत कुल- पूज्य प्रचारे ॥

तुमहिंदेवकुलदेवहमारे
तुमगुरुदेवप्राणकेप्यारे

जो कुछ हो सो तुमहीं राजा ।
जय जय जय प्रभु राखो लाजा ॥ 30 ॥

रामाआत्मापोषणहारे
जयजयजयदशरथकेप्यारे

जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा ।
निगुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा ॥

सत्यसत्यजयसत्यब्रतस्वामी
सत्यसनातनअन्तर्यामी

सत्य भजन तुम्हरो जो गावै ।
सो निश्चय चारों फल पावै ॥

सत्यशपथगौरीपतिकीन्हीं
तुमनेभक्तहिंसबसिद्धिदीन्हीं

ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा ।
नमो नमो जय जापति भूपा ॥

धन्यधन्यतुमधन्यप्रतापा
नामतुम्हारहरतसंतापा

सत्य शुद्ध देवन मुख गाया ।
बजी दुन्दुभी शंख बजाया ॥

सत्यसत्यतुमसत्यसनातन
तुमहींहोहमरेतनमनधन

याको पाठ करे जो कोई ।
ज्ञान प्रकट ताके उर होई ॥ 40 ॥

आवागमनमिटैतिहिकेरा
सत्यवचनमानेशिवमेरा

और आस मन में जो ल्यावै ।
तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै ॥

सागपत्रसोभोगलगावै
सोनरसकलसिद्धतापावै

अन्त समय रघुबर पुर जाई ।
जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई ॥

श्रीहरिदासकहैअरुगावै
सोवैकुण्ठधामकोपावै

॥ दोहा ॥
सात दिवस जो नेम कर पाठ करे चित लाय ।
हरिदास हरिकृपा से अवसि भक्ति को पाय ॥

राम चालीसा जो पढ़े रामचरण चित लाय ।
जो इच्छा मन में करै सकल सिद्ध हो जाय ॥

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Ashish Rawat

my name is ashish singh rawat . I am from Devbhumi Uttrakhand and post graduate in political science. i like write poems and creative paper works art.

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