
काली माता की आरती / kali Mata Ki Aarti हिंदी भाषा में कैसे पढ़ी जाती है?
काली माता की आरती /kali Mata Ki Aarti को हिंदी भाषा में पढ़ने के लिए, सबसे पहले आपको उपयुक्त संस्कृति, परंपरा, और स्थानिक भाषा को समझने की आवश्यकता होती है। कुछ संस्कृत मंत्रों को हिंदी में परिवर्तित किया गया होता है, जिससे प्रकाशनों में सुलेखन (transliteration) सहित प्रस्तुति हो सके।
काली माता की आरती / kali Mata Ki Aarti हमेशा समर्पित, प्रेम-प्रसंग, और समर्पण-शक्ति के संकलन में प्रस्थुत होती है। इसमें माता की महिमा, गुणों, और कृपालुता का वर्णन होता है, जिससे भक्ति-भावना और प्रेम की भावना प्रकट होती है।
आरती में मंत्रों, पंक्तियों, और स्तुतियों का प्रयोग होता है, जिन्हें समर्पक संग्रह (aarti sangrah) में सुलेखन (transliteration) सहित प्रस्तुत किया जाता है। इसे पढ़ने के लिए, पहले से ही समर्पक (aarti book) में प्रस्थुति होती है, जिसमें संस्कृत मंत्रों की हिंदी में परिवर्तन की गई सुलेखन (transliteration) होती है।
Example:
काली माता की आरति/ kali Mata Ki Aarti –
- “Jai Kali Mata, Jai Kali Mata, Jai Kali Mata”
- “Tum Hi Ho Jag Ki Mata, Tum Hi Ho Jag Ki Mata”
- “Surya Chandra Varchit Hai, Tum Hi Ho Durga Daata”
काली माता की आरती /kali Mata Ki Aarti का महत्व क्या है?
काली माता की आरती /kali Mata Ki Aarti का महत्व भक्तों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इसे पढ़ने से पूरे मन, शरीर, और आत्मा को सुकून मिलता है और समस्त प्रेम-प्रसंगों को समर्पित किया जाता है।
काली माता की आरति/kali Mata Ki Aarti पढ़ने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है, संकटों से रक्षा होती है, और समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह आरती काली माता के आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक माध्यम है और भक्तों को सुख, समृद्धि, और सफलता प्रदान करती है।
Example:
काली माता की आरति/kali Mata Ki Aarti के महत्व –
- संकटों से मुक्ति
- पापों से मुक्ति
- प्रेम-प्रसंगों की प्राप्ति
काली माता की आरती /kali Mata Ki Aarti में कौन-कौन से पंक्तियों और मंत्रों का उपयोग होता है?
मुख्य पंक्तियाँ:
- जय काली, जय काली, जय काली महाकाली
- नमो नमो दुर्गे सुख करनी
- सर्व मंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके
महत्वपूर्ण मंत्र:
- ॐ ह्रीं क्रीं क्रीं हुं हुं हुं परेश्वरि क्रीं क्रीं हुं हुं हुं स्वाहा
- ॐ जयन्ति मंत्र: ॐ जयन्ति मनसा पूजिता, सुरसुरेश्वरि सेविता
- हे भद्रकालि, महाकलि, भक्तन्त्राण करिनि
काली माता की आरती /kali Mata Ki Aarti में कई पंक्तियों और मंत्रों का उपयोग होता है। मुख्य पंक्तियों में “जय काली, जय काली, जय काली महाकाली”, “नमो नमो दुर्गे सुख करनी”, और “सर्व मंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके” शामिल हैं। प्रमुख मंत्रों में “ॐ ह्रीं क्रीं क्रीं हुं हुं हुं परेश्वरि क्रीं क्रीं हुं हुं हुं स्वाहा”, “ॐ जयन्ति मनसा पूजिता, सुरसुरेश्वरि सेविता”, और “हे भद्रकालि, महाकलि, भक्तन्त्राण करिनि” सम्मिलित होते हैं। ये पंक्तियाँ और मंत्र भक्तों के द्वारा काली माता की आरती में प्रयोग होते हैं और उनके समर्पण को सुन्दरता, प्रेम, और समृद्धि के साथ प्रदर्शित करते हैं।
काली माता के समर्पित आरति संग्रह में, अनुप्रास, छंद, और रस-भावना पर क्या प्रमुख प्रकाश पड़ता है?
काली माता के समर्पित आरति संग्रह में, अनुप्रास (rhyme), छंद (meter), और रस-भावना (emotional expression) प्रमुख होता है। समर्पित आरति में प्रयुक्ति होने वाली कहानियों, महिमा-स्तुति, पूजा-अर्चना, और भक्ति के संबंध में विभिन्न रसों को प्रकट किया जाता है। यह संग्रह माँ काली के महत्वपूर्ण आरति संग्रहों में प्रमुखत: पाया जाता है।
आरति संग्रह में, प्रमुख प्रकाश पनपता है:
1. अनुप्रास (Rhyme):
आरति में प्रयुक्त होने वाले पंक्तियों की सुंदरता में, उनके अनुप्रास (rhyme) का महत्वपूर्ण योगदान होता है। समान ध्वनि-सम्प्रसारित (sound repetition) की सलीलता, सुंदरता, और मेल-मिलाप (harmony) के माध्यम से, पंक्तियों का अनुप्रास आरति को और प्रभावी बनाता है।
2. छंद (Meter):
आरति में प्रयुक्त होने वाले छंद (meter) संगीत, ताल, और ध्वनि के साथ मेल-मिलाप करके, प्रस्तुति को सुंदर, मनोहारी, और समृद्धिशाली बनाता है।
3. रस-भावना (Emotional Expression):
काली माता की समर्पित आरति संग्रह में, प्रमुखत: प्रेम (love), करुणा (compassion), उत्साह (enthusiasm), भक्ति (devotion), महिमा-स्तुति (glorification), पूजा-प्रस्तुति (worship-offering), समर्पण (surrender), और समृद्धि (prosperity) के 9 प्रमुख रसों को प्रकट किया जाता है। इन रसों के माध्यम से, आरति में भक्ति-भावना, प्रेम-प्रसंग, और समर्पण-शक्ति को प्रकट किया जाता है।
18वीं से 20वीं सदी में, काली माता के प्रमुख समर्पित आरति संग्रहों में सुप्रसिद्धि-लक्ष्मि-पुस्तक “कलिकलप” (Kali Kalpa) शामिल होता है – इसमें प्रमुखत: 10-12 प्रक्रियाएं (काली माता की आरतियों के सन्दर्भ में) शामिल होती हैं। इस पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी क्या है?
“कलिकलप” (Kali Kalpa) पुस्तक, 18वीं से 20वीं सदी में काली माता के प्रमुख समर्पित आरति संग्रहों में शामिल होता है। यह पुस्तक प्रमुखत: 10-12 प्रक्रियाओं (काली माता की आरतियों के सन्दर्भ में) को संकलित करती है। “कलिकलप” में, आरति संग्रहों के अलावा, काली माता के पूजन, उपासना, और महिमा-स्तुति से सम्बंधित अन्य महत्वपूर्ण ज्ञान, मंत्र, और प्रक्रियाएं भी सम्मिलित होती हैं। “कलिकलप” पुस्तक के माध्यम से, भक्तों को काली माता के प्रेम-पूर्ण समर्पण-पथ पर प्रेरित किया जाता है।
काली माता की आरति/kali Mata Ki Aarti समर्पित प्रमुख संग्रहों में, भक्ति-भावना, प्रेम-प्रसंग, और समर्पण-शक्ति पर कौन-कौन से प्रमुख पहलुओं को महत्वपूर्ण माना जाता है?
काली माता की आरति /kali Mata Ki Aarti समर्पित प्रमुख संग्रहों में, भक्ति-भावना (devotional sentiment), प्रेम-प्रसंग (love narrative), और समर्पण-शक्ति (power of surrender) को महत्वपूर्ण माना जाता है। ये पहलु भक्तों के हृदय में काल
काली माता की आरती हिंदी भाषा में एक संक्षिप्त और संक्षेप्त निष्कर्ष प्रस्तुत करते हैं।
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https://hi.wikipedia.org/wiki/
kali Mata Ki Aarti