Kuber Ji Ki Aarti

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कुबेर जी की आरती / Kuber Ji Ki Aarti : जानिए क्या है?

कुबेर जी की आरती / Kuber Ji Ki Aarti कुबेर भगवान को समर्पित है, जो हिंदू धर्म में संपत्ति, समृद्धि, और धन का प्रतीक माना जाता है। इस आरती का पाठ करने से मान्यता है कि कुबेर भगवान संपत्ति को प्रसन्न करके प्रदान करेंगे।

कुबेर जी की आरती / Kuber Ji Ki Aarti में संपत्ति, समृद्धि, सुंदरता, समस्त प्रकार के आनंदों, सुहागिनों, पुत्र-पोत्रों, प्रेम-सम्बंधों, मनोकामनाओं, समस्त प्रकार की सहृदयता, महिला-पुलिंदियों, गृह-वालों, रोजगारी के समस्त प्रकार के विषयों का उल्लेख होता है।

कुबेर जी की आरती/Kuber Ji Ki Aarti का प्रस्तुतिकरण किस मंदिर में होता है?

कुबेर जी की आरती / Kuber Ji Ki Aarti का प्रस्तुतिकरण समस्त हिंदू मंदिरों में होता है, जहाँ पर कुबेर भगवान की मूर्ति स्थापित होती है। इसमें समस्त प्रकार के मंन्दिर, मन्दिर, महल, और प्राचीन स्थलों में समाहित है।

Kuber Ji Ki Aarti प्रसन्नता प्राप्ति के लिए, समस्त प्रकार के मंन्दिरों में, सप्‍त: 1) “कु-न” 2) “कु-बे” 3) “र-न” 4) “ज्ञान” और 5) “विमल” या कुबेर भगवान की मूर्ति के सामने प्रस्तुतिकरण होता है।

कुबेर जी की आरती / Kuber Ji Ki Aarti में पाठ किए जाने वाले मंत्रों के बारे में जानें

कुबेर जी की आरती/Kuber Ji Ki Aarti में पाठ किए जाने वाले मंत्रों समस्त समृद्धि, संपत्ति, और समृद्धि को प्रसन्‍न करने का प्रयास होता है।

कुबेर मंत्र:

  • ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं हलहला-हलहल: हुं:
  • कु-न-कु-न: प्रसिद्ध:
  • ह्रीं: सप्‍त:
  • ह्रीं: कुबेराय नम:।

कुबेर आरती मंत्र:

  • ॐ जै कुबेरा! जै कपिश!
  • किन्हो पलंग किन्हो सासु,
  • सप्‍तहि दीपक में दीप,
  • हलहला-हलहल: हुं:॥

कुबेर जी की आरती/ Kuber Ji Ki Aarti: सामान्य समारोह कैसा होता है?

कुबेर जी की आरती/Kuber Ji Ki Aarti को प्रतिदिन, प्रात: 5-7 मन्त्रों के साथ पठने से मान्यता है कि संपत्ति, समृद्धि, और धन में वृद्धि होती है।

समस्‍त प्रकार के मंन्‍दिरों में, प्रमुख मंन्‍दिरों में, 1) “कु-न” 2) “कु-बे” 3) “र-न” 4) “ज्ञान” और 5) “विमल” या कुबेर भगवान की मूर्ति के सामने प्रस्‍तुतिकरण होता है।

सामान्यत: आरती का प्रस्‍तुतिकरण एक पंडित, पुरोहित, या मंन्‍दिर के प्रमुख द्वारा किया जाता है, जो समस्‍त मंन्‍दिरी समूह के समक्ष होता है।

कुबेर जी की आरती/Kuber Ji Ki Aarti में सम्मिलित होने से प्राप्त होने वाले लाभ

Kuber Ji Ki Aarti प्रसन्‍नता प्राप्ति के लिए, समस्‍त प्रकार के मंन्‍दिरों में, सप्‍त: 1) “कु-न” 2) “कु-बे” 3) “र-न” 4) “ज्ञान” और 5) “विमल” या कुबेर भगवान की मूर्ति के सामने प्रस्तुतिकरण होता है।

Kuber Ji Ki Aarti प्रसन्‍नता से, संपत्ति, समृद्धि, और धन में वृद्धि होती है। इसके साथ ही, प्रेम-सम्बंधों, पुत्र-पोत्रों, सहृदयता, महिला-पुलिंदियों, गृह-वालों, रोजगारी के समस्‍त प्रकार के मुक्‍ति/लाभ प्राप्‍त हो सकते हैं।

कुबेर जी की आरती/Kuber Ji Ki Aarti: प्रस्तुति का समय, दिन, और महिना

कुबेर जी की आरती/Kuber Ji Ki Aarti को प्रतिदिन पठने से मान्यता है कि संपत्ति, समृद्धि, और धन में वृद्धि होती है।

सामान्यत: आरती का प्रस्‍तुतिकरण प्रात: 5-7 मन्त्रों के साथ होता है, जो समस्‍त मंन्‍दिरी समूह के समक्ष होता है।Kuber Ji Ki Aarti प्रसन्‍नता प्राप्‍ति के लिए, समस्‍त प्रकार के मंन्‍दिरों में, सप्‍त: 1) “कु-न” 2) “कु-बे” 3) “र-न” 4) “ज्ञान” और 5) “विमल” या कुबेर भगवान की मूर्ति के सामने प्रस्‍तुतिकरण होता है।

कुबेर जी की आरती /Kuber Ji Ki Aarti का प्रस्तुतिकरण किस मंदिर में होता है?

कुबेर जी की आरती/Kuber Ji Ki Aarti का प्रस्तुतिकरण

कुबेर जी की आरती /Kuber Ji Ki Aarti का प्रस्तुतिकरण सामान्यतः उनके मंदिरों में होता है। भारत में कई स्थानों पर, खासकर उनके प्रमुख मंदिरों में, हर सप्ताह में कुबेर जी की आरती का प्रस्तुतिकरण होता है।

कुबेर जी के प्रमुख मंदिरों में से कुछ प्रमुख स्थान हैं:

  • 1.

    कलकत्ता, पश्चिम बंगाल: कलकत्ता में स्थित “कलि मन्दिर” में हर सप्ताह को शुक्रवार को कुबेर जी की आरती का प्रस्तुतिकरण होता है।

  • 2.

    मुंबई, महाराष्ट्र: मुंबई में स्थित “कुबेर भगवान मंदिर” में हर सप्ताह को शनिवार को कुबेर जी की आरती का प्रस्तुतिकरण होता है।

  • 3.

    लक्ष्मीपुर, उत्तर प्रदेश: लक्ष्मीपुर में स्थित “कुबेर मंदिर” में हर सप्ताह को सोमवार को कुबेर जी की आरती का प्रस्तुतिकरण होता है।

कुबेर जी की आरती/Kuber Ji Ki Aarti में पाठ किए जाने वाले मंत्रों के बारे में जानें

कुबेर जी की आरती /Kuber Ji Ki Aarti में पाठ किए जाने वाले मंत्र

कुबेर जी की आरती/Kuber Ji Ki Aarti में पाठ किए जाने वाले मंत्रों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। इन मंत्रों का पाठ करने से, कुबेर जी हमें समृद्धि, धन, सुख-शांति, समृद्धि, और सुरक्षा प्रदान करते हैं।

कुछ प्रमुख मंत्रों में से कुछ हैं:

  • 1.

    “ॐ ह्रीं ॐ ह्रौं: ॐ कुलपुत्रस्य ॐ” – This mantra is chanted to seek the blessings of Kubera for wealth and prosperity.

  • 2.

    “कुलपुत्रस्य ॐ” – This mantra is believed to bring financial stability and abundance.

  • 3.

    “ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये ॐ” – This mantra is chanted to invoke the blessings of Kubera for wealth, prosperity, and abundance.

कुबेर जी की आरती/Kuber Ji Ki Aarti: सामान्य समारोह कैसा होता है?

कुबेर जी की आरती/Kuber Ji Ki Aarti: समारोह

कुबेर जी की आरती / Kuber Ji Ki Aarti का प्रस्तुतिकरण समान्यतः मंदिरों में होता है, जहां प्रमुखता से पंडित या पुरोहित आपके मंत्रों का प्रस्तुतिकरण करेंगे। समारोह में, मंत्रों का पाठ, दीप-प्रकाशन, पुष्प-प्रस्तुति, और प्रसन्नता के संकेत में “कुबेर जी” को विशेष प्रकार से पूजा जाता है।

समारोह में, लोग आरती के समय “कुबेर जी” के मंत्रों का पाठ करते हैं, और उन्हें धूप, दीप, पुष्प, और प्रसाद की समर्पणा की जाती है। समारोह में संगठनिकता होती है, और मंदिर में “कुबेर” की मूर्ति के सामने समस्त समुदाय का संग्रह होता है।

कुबेर जी की आरती/Kuber Ji Ki Aarti में सम्मिलित होने से प्राप्त होने वाले लाभ

कुबेर जी की आरती/Kuber Ji Ki Aarti: प्राप्ति

कुबेर जी की आरती/Kuber Ji Ki Aarti में सम्मिलित होने से, मान्यता है कि व्यक्ति धन, समृद्धि, और आरोग्य के लाभ प्राप्त करता है। इसके अलावा, कुबेर जी की कृपा से संकटों से मुक्ति, निराशा से उद्धार, और प्रसन्नता प्राप्त होती है।

कुबेर जी की आरती में सम्मिलित होने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं, संपत्ति में वृद्धि होती है, और प्रसन्नता का महसूस होता है।

कुबेर जी की आरती/Kuber Ji Ki Aarti : प्रस्तुति का समय, दिन, और महिना

कुबेर जी की आरती/Kuber Ji Ki Aarti : प्रस्तुति

कुबेर जी की आरती/Kuber Ji Ki Aarti को प्रस्तुत करने का सबसे उपयुक्त समय शाम का होता है, जब सूर्यास्त होता है।

कुबेर जी की आरती/Kuber Ji Ki Aarti को प्रस्तुत करने का सबसे शुभ दिन “शुक्रवार” माना जाता है, क्योंकि “कुबेर” प्रमुखता से “लक्ष्मी” (माँ लक्ष्मी) के प्रिय होते हैं।

हिन्दू पंचांग में, “मार्गशीर्ष” महीना (नवंबर-दिसंबर) में कुबेर जी की आरती प्रस्तुति का समय समर्पित होता है।

कुबेर जी की आरती/Kuber Ji Ki Aarti हिंदी भाषा में संक्षेप में एक संक्षिप्त और संक्षेप्त निष्कर्ष प्रस्तुत करता है।

Read :Ganesh Ji Ki Aarti

https://www.jagran.com/spiritual/puja-path-dhanteras-2022-know-what-are-kuber-puja-niyam-and-vidhi-23155601.html

Kuber Ji Ki Aarti/ कुबेर जी की आरती

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे ।
शरण पड़े भगतों के,
भण्डार कुबेर भरे ।
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,
स्वामी भक्त कुबेर बड़े ।
दैत्य दानव मानव से,
कई-कई युद्ध लड़े ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

स्वर्ण सिंहासन बैठे,
सिर पर छत्र फिरे,
स्वामी सिर पर छत्र फिरे ।
योगिनी मंगल गावैं,
सब जय जय कार करैं ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

गदा त्रिशूल हाथ में,
शस्त्र बहुत धरे,
स्वामी शस्त्र बहुत धरे ।
दुख भय संकट मोचन,
धनुष टंकार करें ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,
स्वामी व्यंजन बहुत बने ।
मोहन भोग लगावैं,
साथ में उड़द चने ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

बल बुद्धि विद्या दाता,
हम तेरी शरण पड़े,
स्वामी हम तेरी शरण पड़े ।
अपने भक्त जनों के,
सारे काम संवारे ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

मुकुट मणी की शोभा,
मोतियन हार गले,
स्वामी मोतियन हार गले ।
अगर कपूर की बाती,
घी की जोत जले ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

यक्ष कुबेर जी की आरती,
जो कोई नर गावे,
स्वामी जो कोई नर गावे ।
कहत प्रेमपाल स्वामी,
मनवांछित फल पावे ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

 

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