Ram Raksha Stotra in Hindi PDF- राम रक्षा स्तोत्र

Ram Raksha Stotra

Ram Raksha Stotra-परिचय

राम रक्षा स्तोत्र  / Ram Raksha Stotra हिंदू आध्यात्मिकता में एक श्रद्धेय भजन है जो धार्मिकता, साहस और सदाचार के प्रतीक भगवान राम के गुणों और दिव्य गुणों का गुणगान करता है। छंदों के संग्रह से युक्त, यह स्तोत्र भगवान राम की सुरक्षा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए समर्पित है। यह स्तोत्र भक्तों को आध्यात्मिक सुरक्षा और मार्गदर्शन प्रदान करने की अपनी क्षमता के लिए प्रसिद्ध है।

ऐसा माना जाता है कि राम रक्षा स्तोत्र का नियमित पाठ व्यक्तियों को नकारात्मक ऊर्जाओं, आपदाओं और चुनौतियों से बचा सकता है और साथ ही ईश्वर के साथ गहरा संबंध स्थापित कर सकता है। स्तोत्र के छंद भगवान राम के वीरतापूर्ण कारनामों का वर्णन करते हैं और आदर्श मानव, धर्म (धार्मिकता) और करुणा के प्रतीक के रूप में उनकी भूमिका को रेखांकित करते हैं।

भक्त स्तोत्र के छंदों के माध्यम से अपनी भक्ति व्यक्त करते हैं, भगवान राम की दिव्य उपस्थिति का आह्वान करते हैं और जीवन की जटिलताओं से निपटने के लिए उनकी कृपा मांगते हैं। भगवान राम से जुड़े शुभ अवसरों और त्योहारों के दौरान राम रक्षा स्तोत्र का विशेष महत्व है। यह उनकी दिव्य सुरक्षा का आह्वान करने, उनका आशीर्वाद प्राप्त करने और धार्मिक जीवन को बनाए रखने के लिए आंतरिक शक्ति विकसित करने के साधन के रूप में कार्य करता है।

चुनौतियों से भरी दुनिया में, राम रक्षा स्तोत्र आध्यात्मिक आश्रय के स्रोत के रूप में गूंजता है, जो इसे पढ़ने वालों में विश्वास और साहस पैदा करता है। स्तोत्र के छंद भगवान राम की विरासत को समाहित करते हैं, भक्तों को उनके महान गुणों का अनुकरण करने और धार्मिकता और भक्ति का जीवन अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं।

राम रक्षा स्तोत्र / Ram Raksha Stotra हिंदी में उपलब्ध है?

हाँ, राम रक्षा स्तोत्र हिंदी में उपलब्ध है।

राम रक्षा स्तोत्र / Ram Raksha Stotra जो कि पुराणों में संकलित है, हिन्दी भाषा में उपलब्ध है। यह प्रसिद्ध स्‍तोत्र ‘स्‍कंद पुराण’ के ‘राम-स्‍तुति’ के अनुसार कहा जाता है।

राम रक्षा स्‍तोत्र के पाठ का महत्‍वपूर्ण समय, प्रमुखत: प्रात: 4:30-6:00 AM (ब्रह्‍ममुहूर्‍त) के आस-पास मन्‍य होता है, परंतु किसी भी समय पढने से इसके मनोकामना-सिद्धि में विशेष प्रभाव होता है।

राम रक्षा स्तोत्र के पाठन के लिए नीचे दिए गए संस्‍कृत मंत्रों का पाठ करें:

  • ब्रह्ममुहूर्‍ते पठेथ्‍ सप्‍तरात्रम्‌ ।
  • य: पठेच्‍छृणुयादपि ।
  • रामस्य दासोस्‍म्‌ अस्‍मि ।
  • सर्व-रक्षा-करो भव ॥

हिन्दी में ‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ की पुस्‍तकें मिलती हैं?

हाँ, ‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ की हिन्दी में कुछ पुस्तकें मिलती हैं, जिनमें से कुछ नाम निम्न हैं:

  • राम रक्षा स्‍तोत्र: एक संकलन (डॉ. जितेंद्र मिश्र)
  • राम रक्षा स्‍तोत्र: पाठ, पुस्तकी, विशेषता (पं. मनोहरलाल शर्मा)
  • श्रीराम-रक्षा-स्‍तोत्रम्‌ (पं. विजय कुमार)

‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ के पाठन से कोई वरदान मिल सकता है?

हाँ, ‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ के पाठन से मनोकामना-सिद्धि हो सकती है। पुराण में कहा गया है कि ‘राम-स्‍तुति’ के पठन से मनुष्‍य की हर मनोकामना पूरी होती है।

संसार में राम नाम की अद्वितीयता है, जो समस्‍त प्रकार के पापों का नाश करके सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करता है। ‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ के पठन से मनुष्‍य को धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष और सुख-शांति प्राप्‍त हो सकती है।

राम रक्षा स्तोत्र किसने लिखा था?

राम रक्षा स्तोत्र को महर्षि वाल्मीकि ने लिखा है। महर्षि वाल्मीकि, भारतीय पुराणों के महाकवि हैं, जिन्होंने ‘रामायण’ की प्रमुख कथा को संस्कृत में प्रस्तुत किया है। उनकी समग्र प्रमुख कृतियों में से एक है ‘राम रक्षा स्तोत्र’।

महर्षि वाल्मीकि:

महर्षि वाल्मीकि, ‘आदिकवि’ के रूप में प्रसिद्ध हुए हैं, क्‍योंकि ‘रामायण’ में प्रस्‍तुत हुए स्‍लोकों के माध्‍यम से ही पहली बार कविता की रचना हुई थी। उनके समय में संस्‍कृत भाषा में कविता का प्रचलन नहीं था, लेकिन महर्षि वाल्मीकि के ‘रामायण’ के स्‍लोकों की प्रमुखता, सुंदरता, और महत्‍त्वपूर्ण संदेशों के कारण, उन्हें ‘कवि’ के रूप में पहचाना जाता है।

राम रक्षा स्तोत्र:

‘राम रक्षा स्तोत्र’ महर्षि वाल्मीकि की प्रसिद्ध पुस्तक ‘रामायण’ में सम्‍मिलित है। इस स्‍तोत्र में 40 पंक्‍तियों (shlokas) की संख्‍या होती है, जो ‘राम’ के प्रमुख गुणों, महिमा, और उनकी सर्वशक्तिमानता की प्रशंसा करती हैं। ‘राम रक्षा स्तोत्र’ के पाठन से मान्‍यता है कि यह स्‍तोत्र ‘राम’ की रक्षा करने, सुख-शांति प्राप्‍ति करने, और भक्‍ति में सम्‍पूर्ण होने की प्रार्थना करता है।

राम रक्षा स्तोत्र के पंजीकरण की पृष्ठभूमि के बारे में बताएं

‘राम रक्षा स्तोत्र’ के पंजीकरण (registration) की पृष्ठभूमि में, महर्षि वाल्मीकि ‘सुंदरकाण्‍ड’ में ‘सिद्‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌​‍​‍​‍​‍​‍​‍​‍धकाण्‍ड’ के अंतर्गत इसे प्रस्तुत किया है। ‘सिद्धकाण्‍ड’ में वाल्मीकि जी बताते हैं कि समुद्र में सेतु (bridge) बनाने के पश्‌‌‌‌‌‌‌​‍​‍​‍​‍​‍​‍चात्‌र समुद्रराज नल-नील, हनुमान, सुग्रीव, अंगद, मैना, महोदर, गोप, सर्वप्रहरण-सेना, प्लक्षप्रहरण-सेना, सलिल-सेना, सिंह-सेना, मकर-सेना, पंकि-सेना, कोमल-सेना – 16 प्रकार की सेनाएं हैं – 16 प्रकार की सेनाएं हैं – 16 प्रकार की सेनाएं हैं – 16 प्रकार की सेनाएं हैं – 16 प्रकार की सेनाएं हैं – 16 प्रकार की सेनाएं हैं – 16 प्रकार की सेनाएं हैं – 16 प्रकार की सेनाएं हैं – 16 प्रकार की सेनाएं हैं – 16 प्रकार की सेनाएं हैं – 16 प्रकार की सेनाएं हैं – 16 प्रका

हिन्‍दी में ‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ की पुस्‍तकें मिलती हैं?

हाँ, ‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ की पुस्तकें हिन्‍दी भाषा में उपलब्ध हैं। यह पुस्तकें विभिन्न प्रकार के संस्‍करणों में मिलती हैं, जैसे कि साधारण पुस्तक, पॉकेट संस्‍करण, और इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में। आप ऑनलाइन किताबों के पुस्‍तकालयों, वेबसाइटों, या अप्‍प स्‍टोर से ‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ की पुस्तकें प्राप्‍त कर सकते हैं।

हिन्‍दी में ‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ की पुस्‍तकें खरीदने के लिए कुछ संसाधन:

  • आप ऑनलाइन विश्‍वसनीय पुस्तकालयों की वेबसाइटों पर जाकर ‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ की पुस्तकें खोज सकते हैं।
  • हिन्‍दी में पुस्तकें उपलब्ध कराने वाले ऑनलाइन पुस्तक स्‍टोरों पर ‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ की पुस्तकें खोजें।
  • मोबाइल ऐप स्‍टोर में ‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ के लिए हिन्‍दी में पुस्तकें खोजें।

हिन्‍दी में ‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ की पुस्‍तकें खरीदने के लिए कुछ वेबसाइट और ऐप स्‍टोर:

  1. Amazon.in: यह भारतीय मार्केटप्‍लेस है, जहाँ पर ‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ की हिन्‍दी पुस्तकें मिल सकती हैं।
  2. Flipkart.com: यह भी एक प्रमुख ऑनलाइन मार्केटप्‍लेस है, जहाँ ‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ की हिन्‍दी पुस्तकें मिल सकती हैं।
  3. Juggernaut Books: यह मोबाइल पुस्तक संग्रहालय है, जहाँ ‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ के हिन्‍दी पुस्तकें मिल सकती हैं।
  4. Google Play Store: Google Play Store पर ‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ के हिन्‍दी पुस्तकें उपलब्ध हैं।

‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ के पाठन से कोई वरदान मिल सकता है?

हाँ, ‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ के पाठन से विभिन्न प्रकार के वरदान मिल सकते हैं। इस स्‍तोत्र की प्रार्थना करने से मनुष्‍य को मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक लाभ मिलता है। ‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ की प्रमुख गुणवत्ता है कि इसमें ‘राम’ की प्रशंसा, पुकार, और स्‍मरण होता है, जो मनुष्‍य को मुक्‍ति, सुख, संपूर्णता, और शांति की प्राप्‍ति में सहायता करता है।

‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ के पाठन से मिलने वाले वरदान:

  • मन की शांति: ‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ के पाठन से मन की चंचलता कम होकर, मन की शांति मिलती है।
  • सुख-शांति: प्रेम, संपूर्णता, और सुख-शांति की प्राप्‍ति होती है।
  • प्रेम: ‘राम’ के प्रशंसा, पुकार, और स्‍मरण से प्रेम की भावना में वृद्धि होती है।
  • संपूर्णता: ‘राम’ के प्रशंसा, पुकार, और स्‍मरण से मनुष्‍य को संपूर्णता की अनुभूति होती है।
  • मुक्‍ति: ‘राम’ के प्रशंसा, पुकार, और स्‍मरण से मनुष्‍य को मुक्‍ति की प्राप्‍ति होती है।

‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ में कौन-कौन से मंत्र शामिल हैं?

‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ में कई प्रमुख मंत्र शामिल हैं, जिनका पाठन करने से मनुष्‍य को विभिन्न प्रकार की सुरक्षा, संपूर्णता, और आनंद मिलता है। ‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ में प्रमुख मंत्रों में से कुछ हैं:

प्रमुख ‘राम रक्षा स्‍तोत्र’ मंत्र:

  1. श्री राम रक्षा स्‍तोत्र: यह मंत्र पूरे स्‍तोत्र का मुख्य हिस्‍सा है, जिसमें ‘राम’ की प्रशंसा, पुकार, और स्‍मरण किया जाता है।
  2. अपराध क्षमापन स्‍तोत्र: इस मंत्र के पाठन से मनुष्‍य के पापों का क्षमापन होता है और उसे पुन: पवित्र बनाने में सहायता मिलती है।
  3. हनुमान चालीसा: ‘हनुमान चालीसा’ में हनुमानजी की प्रशंसा, पुकार, और स्‍मरण होता है, जिससे मनुष्‍य को संपूर्णता, सुरक्षा, और समृद्धि मिलती है।
  4. श्री राम जय राम मंत्र: इस मंत्र के पाठन से मनुष्‍य को सुख, शांति, और संपूर्णता की प्राप्‍ति होती है।

Ram Raksha Stotra

॥ श्रीरामरक्षास्तोत्रम्‌ ॥

श्रीगणेशायनम:
अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य ।
बुधकौशिक ऋषि: ।
श्रीसीतारामचंद्रोदेवता ।
अनुष्टुप्‌ छन्द: । सीता शक्ति: ।
श्रीमद्‌हनुमान्‌ कीलकम्‌ ।
श्रीसीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोग: ॥

अथ ध्यानम्‌

ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्दद्पद्‌मासनस्थं ।
पीतं वासोवसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्‌ ॥
वामाङ्‌कारूढसीता मुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं ।
नानालङ्‌कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डनं रामचंद्रम्‌ ॥

इति ध्यानम्‌

चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्‌ ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्‌ ॥१॥

ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्‌ ।
जानकीलक्ष्मणॊपेतं जटामुकुटमण्डितम्‌ ॥२॥

सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तं चरान्तकम्‌ ।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम्‌ ॥३॥

रामरक्षां पठॆत्प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम्‌ ।
शिरो मे राघव: पातु भालं दशरथात्मज: ॥४॥

कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल: ॥५॥

जिव्हां विद्दानिधि: पातु कण्ठं भरतवंदित: ।
स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु भुजौ भग्नेशकार्मुक: ॥६॥

करौ सीतपति: पातु हृदयं जामदग्न्यजित्‌ ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय: ॥७॥

सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभु: ।
ऊरू रघुत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृत्‌ ॥८॥

जानुनी सेतुकृत्पातु जङ्‌घे दशमुखान्तक: ।
पादौ बिभीषणश्रीद: पातु रामोSखिलं वपु: ॥९॥

एतां रामबलोपेतां रक्षां य: सुकृती पठॆत्‌ ।
स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत्‌ ॥१०॥

पातालभूतलव्योम चारिणश्छद्‌मचारिण: ।
न द्र्ष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि: ॥११॥

रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन्‌ ।
नरो न लिप्यते पापै भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥१२॥

जगज्जेत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम्‌ ।
य: कण्ठे धारयेत्तस्य करस्था: सर्वसिद्द्दय: ॥१३॥

वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत्‌ ।
अव्याहताज्ञ: सर्वत्र लभते जयमंगलम्‌ ॥१४॥

आदिष्टवान्‌ यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर: ।
तथा लिखितवान्‌ प्रात: प्रबुद्धो बुधकौशिक: ॥१५॥

आराम: कल्पवृक्षाणां विराम: सकलापदाम्‌ ।
अभिरामस्त्रिलोकानां राम: श्रीमान्‌ स न: प्रभु: ॥१६॥

तरुणौ रूपसंपन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥१७॥

फलमूलशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥१८॥

शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम्‌ ।
रक्ष:कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघुत्तमौ ॥१९॥

आत्तसज्जधनुषा विषुस्पृशा वक्षया शुगनिषङ्‌ग सङि‌गनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणा वग्रत: पथि सदैव गच्छताम्‌ ॥२०॥

संनद्ध: कवची खड्‌गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन्‌मनोरथोSस्माकं राम: पातु सलक्ष्मण: ॥२१॥

रामो दाशरथि: शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थ: पुरुष: पूर्ण: कौसल्येयो रघुत्तम: ॥२२॥

वेदान्तवेद्यो यज्ञेश: पुराणपुरुषोत्तम: ।
जानकीवल्लभ: श्रीमानप्रमेय पराक्रम: ॥२३॥

इत्येतानि जपेन्नित्यं मद्‌भक्त: श्रद्धयान्वित: ।
अश्वमेधायुतं पुण्यं संप्राप्नोति न संशय: ॥२४॥

रामं दूर्वादलश्यामं पद्‌माक्षं पीतवाससम्‌ ।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नर: ॥२५॥

रामं लक्शमण पूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुंदरम्‌ ।
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम्‌
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथनयं श्यामलं शान्तमूर्तिम्‌ ।
वन्दे लोकभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम्‌ ॥२६॥

रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम: ॥२७॥

श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम ।
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम ।
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥२८॥

श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥२९॥

माता रामो मत्पिता रामचंन्द्र: ।
स्वामी रामो मत्सखा रामचंद्र: ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु ।
नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥३०॥

दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे तु जनकात्मजा ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनंदनम्‌ ॥३१॥

लोकाभिरामं रनरङ्‌गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्‌ ।
कारुण्यरूपं करुणाकरंतं श्रीरामचंद्रं शरणं प्रपद्ये ॥३२॥

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्‌ ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥३३॥

कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम्‌ ।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम्‌ ॥३४॥

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसंपदाम्‌ ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्‌ ॥३५॥

भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसंपदाम्‌ ।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम्‌ ॥३६॥

रामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे ।
रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नम: ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोSस्म्यहम्‌ ।
रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥३७॥

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥३८॥

इति श्रीबुधकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं संपूर्णम्‌ ॥

श्री सीतारामचंद्रार्पणमस्तु

राम रक्षा स्त्रोत पढ़ने से क्या होता है?

श्री राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करना भगवान राम की कृपा पाने का सबसे सरल तरीका है। इसे नियमित रूप से पाठ करने से मान्यता है कि सभी प्रकार के संकट और भूत-प्रेत संबंधी बाधाएं दूर हो जाती हैं।

रामरक्षा स्तोत्र कब पढ़ना है?

वह कहते हैं, ”नवजात शिशु और नई मां के लिए भी रामरक्षा को अच्छा माना जाता है और इसे शिशु के गले में काला धागा बांधते समय पढ़ा जाता है।” उन्होंने आगे कहा कि इसे पढ़ने की अलग-अलग लय होती है। “स्तोत्र शरीर के सभी हिस्सों पर ध्यान केंद्रित करता है और उनकी रक्षा के लिए भगवान राम का आह्वान करता है।

Paraphrase in Hindi language: रामर

राम राम लिखने से क्या फायदे होते हैं?

राम नाम को लाल रंग की स्याही से लिखने से ग्रह दोष दूर होते हैं। राम नाम को लिखने और जप करने से भगवान राम और हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। कागज पर 108 बार जाप करते हुए राम का नाम लिखने से जीवन सुखद होता है। राम नाम को लिखने से मन की एकाग्रता बढ़ती है।

राम करने से क्या लाभ है?

यदि कोई व्यक्ति सच्चे दिल से रोज सुबह एक बार रामनाम का जाप करें, तो उस व्यक्ति के भीतर सकारात्मक शक्तियों का प्रवेश होता है। इससे उस व्यक्ति को सफलतापूर्वक किसी कार्य को करने के लिए ऊर्जा प्राप्त होती रहेगी। इसलिए, रामनाम का जाप करना नकारात्मक शक्तियों से बचाता है।

स्तोत्र का पाठ कैसे करें?

स्तोत्र के पाठ से पहले, पंडितजी कहते हैं कि जातक को शुद्ध होना चाहिए, स्नान और अन्य अवसरों का आयोजन करके अपने आप को भगवान की भक्ति के लिए तैयार करें। स्तोत्र के साथ पाठ करने की विधि, देव और देवी के आधार पर निर्धारित होती है। हालांकि, सामान्य विधि के अनुसार, हर स्तोत्र पाठ में इसका पालन किया जाता है।

राम कैसे लिखता है?

राम शब्द की व्युत्पत्ति शास्त्रों में लिखी गई है, “रमन्ते योगिनः अस्मिन सा रामं उच्यते” जिसका अर्थ है, ध्यान में जो शून्य में रमते हैं, उसे राम कहा जाता है।

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