Shivji Ki Aarti

Shivji Ki Aarti

सनातन धर्म में भगवान शिव मुख्य रूप से प्रचलित है। शिव जी बड़े दयालु देवता है जिसकी वजह से वह अपनी भक्ति से जल्दी प्रसन्न हो जाते है। Shiv Ji Ki Aarti करने वाले यहां पूरी आरती को प्राप्त कर सकते हैं और साथ ही आप आरती की विधि और फायदे को विस्तार से जानेंगे।

शिव जी का अनोखा वरदान (शिव की कहानी) 

पुरानी मान्यता के अनुसार मृकंदु ऋषि ने शिव की तपस्या करके पुत्र की माग की। तब शिव जी ने ऋषि से पूछा की तुम कैसा पुत्र चाहते हो? सामान्य या 16 वर्ष का बुद्धिमान पुत्र? तब ऋषि ने बुद्धिमान पुत्र की मांग की थी। कुछ समय के बाद उनकी पत्नी को एक सुंदर और शुशील पुत्र हुआ, जो बड़ा होकर एक बुद्धिमान युवक बना। उनके पुत्र का नाम मार्कडेय था। जब वह 16 वर्ष का होने वाला था, तब उसके पिता ने उसकी मृत्यु की बात बताई। 

 

लेकिन मार्कडेय ने इस बात झूठ बतलाते हुए, शिव जी की आराधना करना शुरू कर दी। वह शिव जी की पूजा अर्चना में लग गया। जब उसका दुनिया में आखिरी दिन था तब यमराज उसे लेने आए। उस समय वह भगवान की पूजा कर रहा था इसलिए उसने  साथ चलने से इंकार कर दिया और कहा कि मैं शिव की पूजा पूर्ण करना चाहता हूं। इस बात पर यमराज क्रोधित हो गए। और उस लड़के पर यम पाश का वार कर दिया। 

 

तभी वहां पर शिव जी प्रकट हो जाते है, और उस पाश को रोक देते है फिर यमराज को वापस लौट जाने की आज्ञा देते है। इस तरह शिव जी ने यमराज को हमेशा के लिए पृथ्वी से भेज दिया। इस तरह से पृथ्वी पर मृत्यु होना बंद हो गई। 

 

लेकिन ऐसा होने की वजह से धरती माता पर भार बढ़ गया। धरती मां ने शिव जी से मदद मांगनी चाही, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। इसके बाद धरती माता पार्वती जी के पास जाती हैं। पार्वती जी को धरती जी की बात सुनकर दया आई और वह तुरंत शिव जी के पास गई। उन्होंने सारी बाते शिव जी को बताई। तब शिव जी ने अपने वरदान के बारे में बताया, और जब इस वरदान का सच पता चला तो यमराज को धरती पर जाने की अनुमति मिल पायी।

वरदान का सच यह था कि मार्कडेय 16 साल की उम्र जैसा अमर रहेगा। सिर्फ 16 तक ही जीवित रहेगा, ऐसा कोई मतलब नहीं था।

जाने शिव जी की व्रत की विधि|

शिवजी की आरती के फायदे

भगवान शिव कृपा के सागर है। उनके भक्तो को किसी भी वस्तु की कमी नही रहती। अगर आप इनकी आरती के फायदे को जानना चाहते है तो नीचे बताई गई पूरी बात पढ़ें।

  • शिवजी की आरती करने से भगवान शिव की कृपा बनी रहती है।
  • शिवजी की आरती करने से घर में सुख और शांति का वास रहता है।
  • इनकी आरती करने से बच्चों में एक एकाकग्रता की भावना जागृत होती है।
  • घर में चलने वाली गृह कलेश से छुटकारा मिलता है।
  • कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर प्राप्त होता है।
  • घर में धन की पूर्ति होती है।
  • शिव जी की आरती से पति पत्नी में प्यार की भावना बढ़ती है।

शिव बाबा को भोग लगाने की विधि

शिव जी की आरती करने वालो के ऊपर शिव की कृपादृष्टि बनी रहती है। अगर आप  शिव जी की आरती करने के बारे में सोच रहा है तो आपको पहले से ही इसकी पूरी विधि जान लेनी चाहिए। पूरी विधि यह नीचे पढ़ सकतें हैं।

  • प्रातः काल उठकर जल में तिल को मिलाकर स्नान करें और खुद को स्वच्छ कर ले।
  • मंदिर की साफ सफाई करने के बाद शिवजी की मूर्ति या तस्वीर को विराजित करें।
  • शिव जी के सामने अगरबत्ती लगाकर हाथ जोड़े।
  • शहद, दही, चना, कच्चा दूध, इन सभी सामग्रियों का शिव जी को भोग लगाएं।
  • आरती के समय अपने मन की इच्छाओं का स्मरण करते हुए भगवान शिव से प्रार्थना करें।
  • आरती संपन्न होने के बाद घर ने गंगाजल का छिड़काव अवश्य करें।

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Shiv Ji Ki Aarti in Hindi में पढ़ें 

सोमवार का व्रत करने वाले के लिए शिव आरती के मंत्रो का उच्चारण अवश्य करना चाहिए। इसके लिए आपकी पूरी आरती स्मरण होना जरूरी है। यहां पर नीचे आप पूरी आरती को पढ़ सकतें है।

Shivji Ki Aarti/शिवजी की आरती

ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

एकानन चतुरानन
पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

दो भुज चार चतुर्भुज
दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते
त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

अक्षमाला वनमाला,
मुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै,
भाले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर
बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक
भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

कर के मध्य कमंडल
चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी
जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित
ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी
सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

लक्ष्मी व सावित्री
पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी,
शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

पर्वत सोहैं पार्वती,
शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन,
भस्मी में वासा ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

जटा में गंग बहत है,
गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत,
ओढ़त मृगछाला ॥
जय शिव ओंकारा…॥

काशी में विराजे विश्वनाथ,
नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत,
महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥

Ashish Rawat

my name is ashish singh rawat . I am from Devbhumi Uttrakhand and post graduate in political science. i like write poems and creative paper works art.

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